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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।RSS प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर जाति व्यवस्था पर चौंकाने वाला बयान दिया है, जिससे पूरा हंगामा मच गया है। उन्होंने कहा कि जाति व्यवस्था एक "गलती" है और यह पंडितों द्वारा बनाई गई थी। यह बयान हिंदू समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव पर नए सिरे से बहस छेड़ दिया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या संघ इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगा? इस बयान के पीछे आरएसएस मुखिया की क्या क्रोनोलॉजी है?
भागवत का बयान और उसका महत्व
मोहन भागवत ने कहा, "जाति व्यवस्था पंडितों की गलती से उपजी है। हमें इससे ऊपर उठकर एकजुट होना चाहिए।" यह बयान उस समय आया है जब देश में जाति आधारित आरक्षण और सामाजिक न्याय पर बहस तेज है।
जाति-व्यवस्था पंडितो (ब्राह्मणों) ने बनाई है, यह कहकर RSS प्रमुख श्री भागवत ने धर्म की आड़ में महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ो को गाली देने वाले तथाकथित धर्म के ठेकेदारों व ढोंगियों की कलई खोल दी, कम से कम अब तो रामचरित्र मानस से आपत्तिजनक टिप्पड़ी हटाने के लिये आगे आयें।
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) February 5, 2023
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक्स पर उनका समर्थन करते हुए कमेंट पास किया है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
- भारत की 30% आबादी अभी भी जाति आधारित भेदभाव का शिकार होती है (NCRB 2023)।
- दलितों के खिलाफ अपराध में 2022 में 10% की वृद्धि दर्ज की गई।
- 85% भारतीय मानते हैं कि जाति व्यवस्था आज भी समाज में मौजूद है (Pew Research)।
क्या संघ लाएगा सामाजिक बदलाव?
RSS ने पहले भी जाति व्यवस्था के खिलाफ बयान दिए हैं, लेकिन अब तक कोई बड़ा सामाजिक आंदोलन नहीं चलाया गया। क्या भागवत के इस बयान के बाद संघ जाति-विरोधी अभियान शुरू करेगा?
विपक्ष और समाजवादियों की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी ने कहा, "RSS को सिर्फ बयानबाजी नहीं, कार्यवाही करनी चाहिए।"
मायावती ने ट्वीट किया, "अगर RSS सच में जाति खत्म करना चाहता है, तो वह BJP को OBC-दलितों के लिए आरक्षण बढ़ाने के लिए क्यों नहीं कहता?"
क्या बदलाव संभव है?
भागवत का बयान सामाजिक एकता की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, लेकिन जब तक RSS और उससे जुड़े संगठन जमीनी स्तर पर बदलाव नहीं लाते, तब तक यह सिर्फ एक वादा ही रहेगा।