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कश्मीर में आतंक की नई स्क्रिप्ट, हमास और ISI का खतरनाक गठजोड़, जानें कैसे रची गई हमले की साजिश?

भारतीय खुफिया एजेंसियों और इजरायली राजदूत के अनुसार, हमले में हमास और पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों के बीच गहरे संबंध होने का दावा किया गया।

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Ajit Kumar Pandey
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PAKISTAN ISI HAMAS NEWS
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। यह हमला न केवल अपनी क्रूरता के लिए चर्चा में रहा, बल्कि इसके पीछे छिपे अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क ने भी सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया। 

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भारतीय खुफिया एजेंसियों और इजरायल के राजदूत रियूवेन अजार के दावों के अनुसार, इस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच गहरे संबंध सामने आए हैं। 

हमले के पीछे की कहानी

पहलगाम, जिसे 'भारत का स्विट्जरलैंड' भी कहा जाता है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। 22 अप्रैल को बैसरण घाटी में आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। हमलावरों ने कथित तौर पर पर्यटकों से उनकी धार्मिक पहचान पूछी और हिंदुओं को निशाना बनाया।

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इस हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई। हमले का तरीका और क्रूरता 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में हमास द्वारा किए गए हमले से मिलता-जुलता था, जिसने जांच एजेंसियों का ध्यान इस ओर खींचा।

हमले के तुरंत बाद, 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने इसकी जिम्मेदारी ली, लेकिन बाद में इसे खारिज कर दिया। TRF को पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का सहयोगी माना जाता है। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने दावा किया कि यह हमला केवल स्थानीय आतंकी संगठनों का काम नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क था, जिसमें हमास की भी भूमिका थी।

हमास और पाकिस्तान का गठजोड़

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भारतीय खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पहलगाम हमले से दो महीने पहले, फरवरी 2025 में, हमास के वरिष्ठ कमांडरों ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) का दौरा किया था। इनमें हमास के प्रवक्ता खालिद काद्दूमी, नाजी जहीर, मुफ्ती आजम और बिलाल अल्सलात शामिल थे। ये नेता 5 फरवरी को PoK के रावलाकोट में आयोजित एक रैली में शामिल हुए, जिसका नाम था 'कश्मीर सॉलिडैरिटी एंड हमास ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड'। इस रैली में करीब 100 विदेशी आतंकियों ने हिस्सा लिया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के सदस्य भी शामिल थे।

इजरायल के राजदूत का खुलासा

इजरायल के राजदूत रियूवेन अजार ने इस मुलाकात को पहलगाम हमले से जोड़ते हुए कहा कि हमास ने पाकिस्तानी आतंकी संगठनों को हमले की रणनीति और प्रशिक्षण प्रदान किया। खास तौर पर, हमास की 7 अक्टूबर 2023 की रणनीति, जिसमें नागरिकों को निशाना बनाया गया था, को पहलगाम में दोहराने की कोशिश की गई।

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भारतीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने इस गठजोड़ को सुगम बनाया। ISI ने न केवल हमास के नेताओं को PoK में सुरक्षित ठिकाना प्रदान किया, बल्कि उन्हें लश्कर और जैश के आतंकियों के साथ जोड़ने में भी मदद की।

पाकिस्तान की भूमिका और भारत का जवाब

पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कड़ा रुख अपनाया। भारत ने 1960 के सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं रद्द कर दीं। 24 अप्रैल से 27 अप्रैल तक, 537 पाकिस्तानी नागरिकों, जिनमें 9 राजनयिक शामिल थे, को अटारी-वाघा सीमा के रास्ते भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।

भारत ने यह भी घोषणा की कि वह आतंकियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई पर विचार कर रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र ने कहा, "हम आतंकियों को उनके ठिकानों पर निशाना बनाने के लिए तैयार हैं।"

भारत के विदेश मंत्रालय ने हमले के "सीमा पार" संबंधों की बात उठाई और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान पर दबाव बनाने की मांग की। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने ब्रिटिश समकक्ष डेविड लैमी के साथ बातचीत में भारत की "आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता" की नीति को दोहराया।

वहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया और एक "तटस्थ" जांच की पेशकश की। हालांकि, पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक दार के उस बयान ने विवाद खड़ा कर दिया, जिसमें उन्होंने हमलावरों को "स्वतंत्रता सेनानी" कहने की बात कही।

हमास की रणनीति और कश्मीर

हमास, जो मुख्य रूप से इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में सक्रिय है, ने हाल के वर्षों में अपनी पहुंच दक्षिण एशिया तक बढ़ाने की कोशिश की है। भारतीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि हमास कश्मीर को एक वैश्विक "जिहाद" के केंद्र के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है। PoK में हमास की गतिविधियां इस बात का सबूत हैं कि वह कश्मीर के मुद्दे को अपने "उम्माह" (वैश्विक मुस्लिम एकता) के एजेंडे से जोड़ना चाहता है।

हमास के नेताओं ने PoK में न केवल रैलियां कीं, बल्कि स्थानीय आतंकियों को हथियारों और रणनीति का प्रशिक्षण भी दिया। खास तौर पर, हमास की "नागरिक क्षेत्रों में हमला" करने की रणनीति को पहलगाम में लागू किया गया। यह रणनीति न केवल आतंक फैलाने के लिए थी, बल्कि कश्मीर के पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचाकर भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने का भी लक्ष्य रखती थी।

भारत की जांच और कार्रवाई

हमले के बाद, केंद्र सरकार ने जांच का जिम्मा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया। NIA ने कश्मीर घाटी में आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की। शोपियां में लश्कर के आतंकी अदनान शफी और बांदीपोरा में अहमद शेर गुजरी के घरों को ध्वस्त कर दिया गया। इसके अलावा, कठुआ, पुलवामा और बारामूला में आतंकियों की तलाश में सर्च ऑपरेशन चलाए गए।

एक स्थानीय महिला के दावे ने जांच को नई दिशा दी, जिसमें उसने कहा कि उसने हमले में शामिल चार आतंकियों को देखा था। इस जानकारी के आधार पर सुरक्षा बलों ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी। साथ ही, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान और हमास के गठजोड़ को उजागर करने की रणनीति अपनाई।

पहलगाम हमला केवल एक आतंकी घटना नहीं थी, बल्कि यह एक बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क का हिस्सा थी, जिसमें पाकिस्तान, हमास, लश्कर और जैश जैसे संगठन शामिल थे।

इस हमले ने कश्मीर के शांतिपूर्ण माहौल को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन भारत के कड़े रुख और सुरक्षा बलों की त्वरित कार्रवाई ने आतंकियों को साफ संदेश दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी हद तक जाएगा। यह घटना वैश्विक समुदाय के लिए भी एक चेतावनी है कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा, ताकि ऐसी त्रासदियां दोबारा न हों। Pahalgam | jammu and kashmir terror attack | jammu kashmir attack news |

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