नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । 27 फरवरी 2002 का वह काला दिन भारतीय इतिहास में एक ऐसा घाव बनकर रह गया, जिसकी टीस आज भी महसूस की जा सकती है। गोधरा कांड, जिसमें साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे में आग लगने से 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी, आज भी राजनीतिक और सामाजिक बहसों का केंद्र बना हुआ है। आज supreme court में इस मामले की सुनवाई होनी है, जिसने एक बार फिर से इस घटना को चर्चा में ला दिया है।
गोधरा कांड: क्या हुआ था उस दिन?
तारीख: 27 फरवरी 2002
स्थान: गोधरा रेलवे स्टेशन, गुजरात
घटना: अयोध्या से लौट रहे करीब 58 हिंदू कारसेवकों को लेकर जा रही साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे में आग लगा दी गई।
मृतक: 59 लोगों की मौत (महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल)
प्रतिक्रिया: इस घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिसमें 1000 से अधिक लोगों की जानें गईं।
सुप्रीम कोर्ट में आज क्या होगा?
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सुप्रीम कोर्ट आज गोधरा ट्रेन हादसे से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। इस मामले में कई दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में गुजरात हाईकोर्ट ने कुछ को बरी कर दिया। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, जहां न्यायिक समीक्षा की मांग की गई है।
ये हैं जांच के मुख्य बिंदु
✔ 2006: नानावती कमीशन ने कहा कि आग अंदर से नहीं, बाहर से लगाई गई थी।
✔ 2011: गुजरात हाईकोर्ट ने 11 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई, लेकिन 63 को बरी कर दिया।
✔ 2017: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी।
✔ 2024: आज फिर से सुनवाई, क्या कोर्ट का फैसला नया मोड़ लेगा?
क्यों अभी भी जिंदा है यह मामला?
राजनीतिक मुद्दा: गोधरा कांड और उसके बाद के दंगों को अक्सर राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
न्यायिक देरी: 22 साल बाद भी पीड़ित परिवारों को पूरा न्याय नहीं मिला।
सामाजिक विभाजन: इस घटना ने हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर गहरा असर डाला।
क्या कहते हैं आंकड़े?
📌 मृतक: 59 (कारसेवक)
📌 दोषी: 31 (11 को फांसी, 20 को उम्रकैद)
📌 बरी हुए: 63
📌 दंगे पीड़ित: 1000+ (2002 गुजरात दंगे)
गोधरा कांड सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि भारतीय न्याय प्रणाली, राजनीति और सामाजिक सद्भाव के लिए एक टेस्ट केस बन चुका है। आज सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई इस मामले में अंतिम फैसले की दिशा में एक और कदम हो सकता है।