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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । पाकिस्तान के शेयर बाजार में हाहाकार मच गया है। कराची स्टॉक एक्सचेंज (KSE-100), एक अभूतपूर्व संकट से गुजरा, जब बाजार में 2.19% यानी 2500 अंकों से अधिक की भारी गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों में डर का माहौल होने से भगदड़ का आलम है।
इस गिरावट का प्रमुख कारण भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव और पाकिस्तानी मंत्रियों के बयानों से उत्पन्न डर बताया जा रहा है। यह घटना न केवल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए एक झटका है, बल्कि यह वैश्विक निवेशकों के लिए भी चिंता का विषय बन गई है। आइए, इस घटना के पीछे के कारणों, प्रभावों और भविष्य की संभावनाओं पर एक नजर डालते हैं।
तनाव की शुरुआत: पहलगाम आतंकी हमला
22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नया तूफान खड़ा कर दिया। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई, जिसे भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) से जोड़ा।
भारत ने इस हमले के जवाब में कई सख्त कदम उठाए, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, SAARC वीजा छूट योजना के तहत पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना, और अटारी एकीकृत चेकपोस्ट को बंद करना शामिल है। इन कदमों ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला, विशेष रूप से कृषि क्षेत्र पर, जो सिंधु नदी प्रणाली पर बहुत अधिक निर्भर है।
मंत्रियों के बयानों ने बढ़ाया डर
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने एक बयान में दावा किया कि भारतीय सेना अगले 36 घंटों में पाकिस्तान के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठा सकती है। इस बयान ने निवेशकों में दहशत पैदा कर दी।
पाकिस्तानी निवेशक, जो पहले से ही भारत के कड़े रुख और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा GDP विकास अनुमान को 3% से घटाकर 2.6% करने की खबर से परेशान थे, ने बाजार में भारी बिकवाली शुरू कर दी। परिणामस्वरूप, KSE-100 इंडेक्स में सुबह के पहले पांच मिनट में ही 2500 अंकों की गिरावट दर्ज की गई, और यह 1,14,740.29 अंकों तक लुढ़क गया।
बाजार में भगदड़ और PSX वेबसाइट डाउन
इस संकट के दौरान, पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (PSX) की आधिकारिक वेबसाइट भी कुछ समय के लिए बंद हो गई, जिसने निवेशकों की चिंता को और बढ़ा दिया। दोपहर 12:30 बजे तक इंडेक्स में कुछ सुधार हुआ और यह 1,14,796.33 अंकों पर पहुंचा, लेकिन तब तक बाजार में 223.49 अंकों की गिरावट बरकरार थी। इस भारी अस्थिरता ने न केवल स्थानीय निवेशकों को प्रभावित किया, बल्कि विदेशी निवेशकों में भी अनिश्चितता पैदा की।
भारत-पाकिस्तान तनाव का आर्थिक प्रभाव
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का असर केवल शेयर बाजार तक सीमित नहीं रहा। पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार और हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया, जिसने दोनों देशों के बीच व्यापारिक और यात्रा संबंधों को और जटिल बना दिया। भारत ने भी पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिया, जिन्हें उत्तेजक सामग्री फैलाने का आरोप था। इन कदमों ने दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और गहरा कर दिया।
वहीं, भारतीय शेयर बाजार ने इस तनाव के बावजूद उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया। 28 अप्रैल को सेंसेक्स और निफ्टी में मजबूत उछाल देखा गया, जो मजबूत कॉर्पोरेट आय और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) के भारी निवेश से प्रेरित था। विशेष रूप से, रक्षा क्षेत्र की कंपनियों जैसे पैरास डिफेंस, GRSE, और डेटा पैटर्न्स ने 20% तक की वृद्धि दर्ज की।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रही थी। विश्व बैंक ने अप्रैल 2025 में अनुमान लगाया था कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 2.7% की दर से बढ़ेगी, जो पिछले वर्ष के 2.5% से थोड़ा बेहतर है।
हालांकि, IMF और एशियाई विकास बैंक (ADB) ने 2025 के लिए GDP विकास अनुमान को क्रमशः 2.6% और 2.5% तक कम कर दिया। भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय पाकिस्तान के कृषि क्षेत्र के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि यह क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
पाकिस्तान के शेयर बाजार में इस गिरावट ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या यह अस्थायी दहशत है, या यह एक दीर्घकालिक आर्थिक संकट की शुरुआत है? विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम नहीं हुआ, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर और दबाव बढ़ सकता है। दूसरी ओर, भारत का मजबूत आर्थिक आधार और रणनीतिक कदम इसे इस संकट में अपेक्षाकृत सुरक्षित रख सकते हैं।
निवेशकों के लिए यह समय सतर्कता बरतने का है। पाकिस्तानी बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है, जबकि भारतीय बाजार में रक्षा और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निवेश के अवसर बढ़ सकते हैं। हालांकि, दोनों देशों के बीच शांति और कूटनीतिक बातचीत ही इस क्षेत्र में स्थिरता ला सकती है।
पाकिस्तान के शेयर बाजार में हालिया गिरावट एक चेतावनी है कि भू-राजनीतिक तनाव और आंतरिक नीतिगत निर्णय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। मंत्रियों के बयानों ने निवेशकों में डर पैदा किया, जिसके परिणामस्वरूप बाजार में भारी बिकवाली हुई। यह घटना न केवल पाकिस्तान के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए एक सबक है कि शांति और सहयोग ही आर्थिक स्थिरता की कुंजी हैं। breaking news india pakistan | india pakistan latest tension | India Pakistan Relations | share market |