/young-bharat-news/media/media_files/2025/04/21/KvGeWoIqzar8oodU1GRo.jpg)
नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । भारतीय राजनीति में अगर कोई एक नाम बार-बार विवादों के साथ उछलता है, तो वो हैं राहुल गांधी। कांग्रेस पार्टी के इस 'युवराज' ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरीं, जब अप्रैल 2025 में अमेरिका के बोस्टन में उन्होंने भारतीय चुनाव आयोग को निशाने पर लिया।
बोस्टन यूनिवर्सिटी में अपने संबोधन में राहुल ने कहा, "हमारे लिए यह बिल्कुल स्पष्ट है कि चुनाव आयोग ने समझौता कर लिया है और सिस्टम में कुछ गड़बड़ है।" बस, ये बयान ऐसा था मानो पेट्रोल पर माचिस की तीली रख दी हो!
बीजेपी ने तुरंत पलटवार किया, राहुल को 'भारत विरोधी' और 'जॉर्ज सोरोस का एजेंट' करार दिया। लेकिन ये कोई नई बात नहीं है। राहुल गांधी का विवादों से पुराना नाता है, और उनकी जुबान बार-बार उन्हें मुश्किल में डालती रही है। आइए, इस ताजा बवाल के साथ-साथ उनके पिछले दो दशकों के विवादित बयानों की कहानी को मजेदार अंदाज में खंगालते हैं।
बोस्टन से शुरू हुआ नया तूफान
20 अप्रैल 2025 को राहुल गांधी अमेरिका के दौरे पर थे। बोस्टन में प्रवासी भारतीयों और व्यापारियों से मुलाकात के बाद उन्होंने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदान के आंकड़ों में गड़बड़ी थी, और "कुल लोगों से ज्यादा वोट डाले गए।"
ये बयान सुनते ही बीजेपी भड़क गई। राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, "राहुल गांधी विदेशी धरती पर भारत को बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ते।" बीजेपी नेता प्रदीप भंडारी ने इसे 'लोकतंत्र विरोधी' करार दिया, जबकि जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम कविंद्र गुप्ता ने कहा, "कांग्रेस हाशिए पर जा रही है, और राहुल की ये बयानबाजी उनकी हताशा दिखाती है।"
कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी सच्चाई से मुंह मोड़ रही है। सचिन पायलट ने राहुल गांधी के बयान का बचाव करते हुए कहा, "उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। वो बस संस्थाओं में आरएसएस के प्रभाव की बात कह रहे थे।" लेकिन सोशल मीडिया पर ये बयान आग की तरह फैल गया। X पर @Rajchaupad ने लिखा, "राहुल गांधी ने फिर विदेश जाकर भारत का अपमान किया।"
चुनाव आयोग का पलटवार
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। आयोग के सूत्रों ने कहा कि उनके आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है। "जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 24 के तहत मुश्किल से कोई अपील दाखिल हुई," आयोग ने बताया। विशेष सारांश पुनरीक्षण 2025 के दौरान महाराष्ट्र में केवल 89 अपीलें हुईं, जबकि राज्यभर में लाखों बूथ लेवल एजेंट सक्रिय थे। आयोग का कहना है कि अंतिम मतदाता सूची पूरी तरह वैध और पारदर्शी है।
साल 2000 से अब तक राहुल गांधी के विवादों का रोलर-कोस्टर
राहुल गांधी ने 2004 में औपचारिक रूप से राजनीति में कदम रखा, लेकिन उनके विवादित बयानों का सिलसिला उससे भी पहले शुरू हो चुका था। आइए, साल-दर-साल उनके कुछ चुनिंदा बयानों पर नजर डालते हैं, जिन्होंने सियासी गलियारों में हंगामा मचाया... rahul gandhi | Rahul Gandhi Case |
2007: बाबरी मस्जिद और गांधी परिवार की 'सफलता'
उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार में राहुल ने कहा, "अगर गांधी-नेहरू परिवार से कोई सक्रिय होता, तो बाबरी मस्जिद नहीं गिरती।" ये बयान तत्कालीन पीएम पी.वी. नरसिंह राव पर हमला माना गया। बीजेपी और समाजवादी पार्टी ने इसे 'हिंदू विरोधी' और 'मुस्लिम विरोधी' बताकर राहुल को घेरा। इतिहासकार इरफान हबीब ने इसे बांग्लादेश आंदोलन का अपमान बताया।
2011: यूपी के युवाओं पर तंज
फूलपुर में एक रैली में राहुल ने कहा, "यूपी के युवा कब तक पंजाब-दिल्ली में मजदूरी और महाराष्ट्र में भीख मांगते रहेंगे?" ये बयान यूपी के लोगों को अपमानजनक लगा। बीजेपी ने इसे 'यूपी का अपमान' करार दिया, और सपा ने कहा कि राहुल को अपनी जुबान पर काबू रखना चाहिए। BJP Congress Conflict | Congress |
2013: गरीबी सिर्फ 'मानसिक स्थिति'?
इलाहाबाद में राहुल गांधी ने कहा, "गरीबी एक मानसिक स्थिति है, इसका खाने-पीने से कोई लेना-देना नहीं।" ये बयान सुनकर विपक्ष ने उन पर तंज कसा कि 'शहजादे को गरीबी का मतलब नहीं पता।' बीजेपी ने इसे 'गरीबों का मजाक' बताया, और मायावती ने कहा, "राहुल को जमीनी हकीकत से कोई वास्ता नहीं।"
2019: 'मोदी सरनेम' विवाद
मई 2019 में राहुल ने कहा, "सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?" ललित मोदी और नीरव मोदी का जिक्र करते हुए ये बयान उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधने के लिए दिया। लेकिन इसने पूरे मोदी समुदाय को नाराज कर दिया। सूरत में उनके खिलाफ मानहानि का केस दर्ज हुआ, और 2023 में उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी।
2022: न्यायपालिका और चुनाव आयोग पर सवाल
लोकसभा में राहुल ने कहा, "न्यायपालिका, चुनाव आयोग और पेगासस मोदी सरकार के हथियार हैं, जो लोगों की आवाज दबाते हैं।" कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे 'न्यायपालिका का अपमान' बताया और माफी की मांग की। बीजेपी ने इसे 'संवैधानिक संस्थाओं पर हमला' करार दिया।
2023: आरएसएस को 'फासीवादी' कहा
लंदन के चैथम हाउस में राहुल ने आरएसएस को 'फासीवादी' और 'मुस्लिम ब्रदरहुड' जैसा संगठन बताया। उन्होंने कहा, "आरएसएस ने भारत के सभी संस्थानों पर कब्जा कर लिया।" बीजेपी ने इसे 'भारत विरोधी' बयान बताया, और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, "राहुल विदेश में जाकर देश को बदनाम करते हैं।"
2024: 'जेबकतरा' और 'पनौती'
राजस्थान की एक रैली में राहुल ने पीएम मोदी, अमित शाह और गौतम अडानी को 'जेबकतरा' और मोदी को 'पनौती' कहा। दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे आपत्तिजनक बताया और चुनाव आयोग को कार्रवाई का निर्देश दिया। आयोग ने राहुल को भविष्य में सावधानी बरतने की सलाह दी।
विदेशी धरती पर राहुल गांधी के 'विस्फोटक' बयान
राहुल गांधी के विदेशी दौरों में दिए बयान अक्सर विवादों का कारण बने हैं। यहां कुछ प्रमुख उदाहरण हैं...
2017, अमेरिका: कैलिफोर्निया में राहुल ने कहा, "भारत में कुछ लोग देश को बांट रहे हैं।" बीजेपी ने इसे 'भारत विरोधी' बताया, और इसे कर्नाटक चुनाव में मुद्दा बनाया।
2018, बहरीन: राहुल ने कहा, "भारत में जॉब नहीं हैं, सरकार धार्मिक उन्माद फैला रही है।" बीजेपी ने इसे 'देश की छवि खराब करने' की कोशिश बताया।
2023, लंदन: आरएसएस को फासीवादी कहने के अलावा, राहुल ने कहा, "भारत में लोकतंत्र खतरे में है।" बीजेपी ने इसे 'विदेशी साजिश' का हिस्सा बताया।
2024, अमेरिका: हरियाणा चुनाव से पहले राहुल ने सिख समुदाय और आरक्षण पर बयान दिए, जिसे बीजेपी ने 'सिखों का अपमान' करार दिया।
2025, बोस्टन: चुनाव आयोग पर ताजा हमला, जिसने बीजेपी को फिर से हमलावर बना दिया।
विवादों पर रिएक्शन: सियासी रणभेरी से सोशल मीडिया तक
राहुल गांधी के बयानों पर बीजेपी हमेशा आक्रामक रही है। अमित शाह, अनुराग ठाकुर, किरेन रिजिजू जैसे नेताओं ने उनके बयानों को 'राष्ट्रविरोधी' और 'संस्थाओं का अपमान' बताया। दूसरी ओर, कांग्रेस नेता जैसे सचिन पायलट, बीके हरिप्रसाद और प्रमोद तिवारी उनके बचाव में उतरे।
सोशल मीडिया पर राहुल के बयान वायरल होते हैं, और X पर लोग उन्हें 'पप्पू' से लेकर 'भारत विरोधी' तक कहते हैं। @Samar_01988 जैसे यूजर्स ने उनके ताजा बयान को 'जॉर्ज सोरोस की साजिश' से जोड़ा।
मुकदमों का सिलसिला: राहुल के खिलाफ कहां-कहां केस?
राहुल गांधी के बयानों पर कई मुकदमे दर्ज हुए हैं। यहाँ प्रमुख केस और उनकी स्थिति की जानकारी है...
मोदी सरनेम केस (2019)
कहां: सूरत, गुजरात
बयान: "सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों?"
स्थिति: मार्च 2023 में सूरत कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई, जिसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगाई, और उनकी सदस्यता बहाल हुई। केस अभी चल रहा है।
रांची मानहानि केस (2019)
कहां: रांची, झारखंड
बयान: मोदी सरनेम पर टिप्पणी
स्थिति: प्रदीप मोदी ने केस दायर किया। अगस्त 2022 तक रोक हटी, और कोर्ट ने राहुल को समन जारी किया। सुनवाई जारी है।
जेबकतरा-पनौती केस (2023)
कहां: दिल्ली
बयान: पीएम मोदी को 'जेबकतरा' और 'पनौती' कहना
स्थिति: दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को कार्रवाई का निर्देश दिया। आयोग ने राहुल को चेतावनी दी, लेकिन कोई औपचारिक केस दर्ज नहीं हुआ।
राहुल गांधी का विवादों से नाता आखिर क्यों?
राहुल गांधी के बयान अक्सर इसलिए विवादित हो जाते हैं क्योंकि वो संवैधानिक संस्थानों, पीएम मोदी, आरएसएस या बीजेपी पर सीधा हमला करते हैं। उनके विदेशी बयान भारत की छवि पर सवाल उठाते हैं, जिसे बीजेपी 'राष्ट्रविरोधी' करार देती है। दूसरी ओर, कांग्रेस का कहना है कि राहुल सच्चाई बयान करते हैं, और बीजेपी इसे तोड़-मरोड़कर पेश करती है।
राहुल गांधी का ताजा बयान एक बार फिर साबित करता है कि उनकी जुबान और विवादों का चोली-दामन का साथ है। बोस्टन से शुरू हुआ ये बवाल शायद जल्द थम जाए, लेकिन राहुल का अगला बयान कब और कहां से आएगा, ये कोई नहीं जानता।