Advertisment

"छत्तीसगढ़-झारखंड में ताबड़तोड़ एनकाउंटर, नक्सलियों ने घुटने टेके, अब क्या होगा सरकार का रुख"

भारत सरकार के एक्शन से घबराए माओवादी समूहों ने शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा है, ऑपरेशन कागर को रोकने की शर्त रखी और कहा कि ताकि हम हिंसा से दूर रह सकें। आइए देखते हैं पूरी रिपोर्ट...

author-image
Ajit Kumar Pandey
NAXALI NEWS CHHATISGARH
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । भारत में माओवादी समूहों ने सरकार के साथ शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन कागर को तत्काल रोकने की मांग की है और कहा है कि अगर सरकार गंभीरता से बातचीत करने को तैयार है, तो वे भी हिंसा से दूर रहेंगे। यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड जैसे राज्यों में नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें लगातार बढ़ रही हैं। 

Advertisment

माओवादियों का प्रस्ताव और मांगें

माओवादी नेताओं ने एक बयान जारी कर कहा कि वे "शांतिपूर्ण समाधान" के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए सरकार को भी ऑपरेशन कागर जैसे सैन्य अभियानों को रोकना होगा।" उनका दावा है कि यह अभियान आदिवासी क्षेत्रों में निर्दोष लोगों को निशाना बना रहा है, जबकि सरकार का कहना है कि यह नक्सल हिंसा को खत्म करने के लिए जरूरी है।

माओवादियों ने अपने बयान में यह भी कहा कि अगर सरकार वार्ता के लिए सहमत होती है, तो वे भी हिंसक गतिविधियों से परहेज करेंगे। हालांकि, अतीत में ऐसे प्रस्तावों पर सरकार और माओवादियों के बीच विश्वास की कमी के कारण कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।

Advertisment

NAXAL AREA IN ARMY

सरकार की प्रतिक्रिया और चुनौतियां

सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि माओवादियों के इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। हालांकि, अधिकारियों को इस बात की चिंता है कि कहीं यह माओवादियों की रणनीति न हो, जिससे वे अपनी ताकत बढ़ाने का प्रयास कर रहे हों।

Advertisment

पिछले कुछ वर्षों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की कार्रवाई से माओवादियों की ताकत कमजोर हुई है। ऐसे में, विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रस्ताव उनकी मजबूरी भी हो सकता है।

स्थानीय लोगों और मानवाधिकार संगठनों की भूमिका

आदिवासी और स्थानीय समुदायों के लोगों ने लंबे समय से हिंसा की इस लड़ाई में फंसने की शिकायत की है। कई मानवाधिकार संगठनों ने भी ऑपरेशन कागर को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि इससे निर्दोष लोग प्रभावित हो रहे हैं।

Advertisment

अगर सरकार और माओवादी वास्तव में शांति वार्ता के लिए तैयार होते हैं, तो इससे न केवल हिंसा कम होगी, बल्कि विकास के रास्ते भी खुल सकते हैं। हालांकि, इसके लिए दोनों पक्षों को विश्वास बनाने और ठोस कदम उठाने की जरूरत होगी।

माओवादियों का यह प्रस्ताव एक नई उम्मीद जगाता है, लेकिन इसकी सफलता दोनों पक्षों की ईमानदारी पर निर्भर करेगी। अगर सरकार और माओवादी वार्ता की तालिका पर बैठते हैं, तो यह नक्सल समस्या का स्थायी समाधान ढूंढने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। Jharkhand | Amit Shah on Naxalism | Chhattisgarh Naxals |

Jharkhand Amit Shah on Naxalism Chhattisgarh Naxals
Advertisment
Advertisment