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तुर्की भूल गया अहसान, पाकिस्तान में उतारे सैन्य विमान, चीन का ऐलान? जानें अब क्या होगा ?

भारी मात्रा में सैन्य साजो सामान ड्रोन आदि पाकिस्तान पहुंच चुका है, दूसरी ओर चीन की मध्यस्थता वाली बात यह बताने के लिए काफी है कि चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा है। आइए देखते हैं एक रिपोर्ट...

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Ajit Kumar Pandey
TURKIYE PAKISTAN CHINA NEWS
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । तुर्की भारत के अहसान को भूलकर पाकिस्तान की मदद कर रहा है। सबको मालूम है कि जब तुर्की में भूकंप आया था तब भारत ने खुलकर मदद की थी, अब वहीं तुर्की पाकिस्तान को खुलकर मदद करते देखा जा सकता है।

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तुर्की अब पाकिस्तान को सैन्य सहायता पहुंचा रहा है। दूसरी ओर चीन ने भी फाइनल कर दिया है कि वह अपने वह अपने सहयोगी देश पाकिस्तान के साथ खड़ा है। चीनी विदेश मंत्रालय ने दो टूक शब्दों में कहा है कि भारत पाकिस्तान अपने तनाव को कम करें। यह किसी के हित में नहीं है। उधर, पाकिस्तान चीन की मध्यस्थता में पहलगाम घटना की जांच कराने की बात करने लगा है। 

फिलहाल भारी मात्रा में सैन्य साजो सामान ड्रोन आदि पाकिस्तान पहुंच चुका है, दूसरी ओर चीन की मध्यस्थता वाली बात यह बताने के लिए काफी है कि चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा है। आइए देखते हैं एक रिपोर्ट...

बता दें कि हाल ही में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, तुर्की के कई सी-130 हरक्यूलिस सैन्य परिवहन विमानों ने पाकिस्तान के विभिन्न हवाई अड्डों पर सैन्य कार्गो के साथ लैंडिंग की। यह घटना क्षेत्रीय भू-राजनीतिक गतिशीलता और तुर्की-पाकिस्तान के बीच मजबूत सैन्य सहयोग को उजागर करती है। 

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घटना का अवलोकन

27 अप्रैल 2025 को, तुर्की वायु सेना के सी-130 हरक्यूलिस विमानों ने पाकिस्तान में प्रवेश किया, जिसमें सैन्य उपकरण, हथियार, और संभवतः ड्रोन जैसे उन्नत सैन्य सामान शामिल थे। इन विमानों ने अंकारा और अन्य तुर्की हवाई अड्डों से उड़ान भरी और कराची, रावलपिंडी जैसे पाकिस्तानी शहरों में उतरे। यह कदम दोनों देशों के बीच गहरे रक्षा संबंधों का हिस्सा माना जा रहा है, जो हाल के वर्षों में और मजबूत हुए हैं।

सी-130 हरक्यूलिस, लॉकहीड मार्टिन द्वारा निर्मित एक चार इंजन वाला टर्बोप्रॉप विमान, अपनी बहुमुखी प्रतिभा और कठिन परिस्थितियों में संचालन की क्षमता के लिए जाना जाता है।

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यह विमान सैनिकों, उपकरणों, और आपातकालीन सहायता सामग्री को ले जाने में सक्षम है, जिससे यह सैन्य और मानवीय मिशनों के लिए आदर्श है। तुर्की द्वारा इस विमान का उपयोग पाकिस्तान को सैन्य सहायता प्रदान करने के लिए इसकी रणनीतिक महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।

जानिए तुर्की-पाकिस्तान सैन्य सहयोग का इतिहास

तुर्की और पाकिस्तान के बीच सैन्य और रणनीतिक साझेदारी का इतिहास लंबा और मजबूत रहा है। दोनों देश इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) और अन्य क्षेत्रीय मंचों के माध्यम से एक-दूसरे का समर्थन करते रहे हैं। हाल के वर्षों में, तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन, नौसैनिक जहाज, और अन्य रक्षा प्रौद्योगिकियों की आपूर्ति बढ़ाई है। उदाहरण के लिए, तुर्की के बायकर ड्रोन, जैसे कि बाय्रक्तर टीबी2, ने अपनी प्रभावशीलता के कारण वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है, और ऐसी खबरें हैं कि पाकिस्तान इन ड्रोनों को अपने बेड़े में शामिल करने की योजना बना रहा है।

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इस नवीनतम घटना को तुर्की द्वारा पाकिस्तान को सैन्य सहायता बढ़ाने के व्यापक प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा सकता है। यह सहायता न केवल सैन्य उपकरणों तक सीमित है, बल्कि संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, और रक्षा उत्पादन में सहयोग तक भी फैली हुई है। दोनों देशों के बीच यह गठजोड़ क्षेत्रीय सुरक्षा गतिशीलता को प्रभावित कर सकता है, विशेष रूप से दक्षिण एशिया में, जहां भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंध हैं।

आखिर चीन चाहता क्या है...

चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत पाकिस्तान को अपने तनाव कम करने चाहिए। चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, वांग ने कहा कि चीन इस घटना के बाद के घटनाक्रम पर करीबी नजर रख रहा है और “निष्पक्ष जांच” का समर्थन करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव किसी भी पक्ष के हित में नहीं है और यह क्षेत्रीय शांति व स्थिरता को नुकसान पहुंचा सकता है।

वांग ने कहा, “संघर्ष न तो भारत और पाकिस्तान के मूल हितों में है, और न ही यह दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए लाभकारी है। दोनों देशों को संयम बरतना चाहिए और एक-दूसरे से मिलकर स्थिति को शांत करने की दिशा में प्रयास करने चाहिए।”

क्षेत्रीय और वैश्विक निहितार्थ

तुर्की के सी-130 विमानों का पाकिस्तान में सैन्य कार्गो के साथ उतरना कई कारणों से महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, यह तुर्की की क्षेत्रीय शक्ति के रूप में बढ़ती महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। हाल के वर्षों में, तुर्की ने मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया, और अफ्रीका में अपनी सैन्य और राजनयिक उपस्थिति बढ़ाई है। पाकिस्तान को सैन्य सहायता प्रदान करके, तुर्की दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है।

दूसरे, यह घटना भारत के लिए चिंता का विषय हो सकती है। भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से तनावपूर्ण संबंध हैं, और तुर्की द्वारा पाकिस्तान को सैन्य सहायता प्रदान करना क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है।

भारत, जो अपनी सैन्य ताकत को तेजी से बढ़ा रहा है, इस घटनाक्रम पर करीब से नजर रखेगा। तुर्की की इस कार्रवाई को भारत के लिए एक रणनीतिक चुनौती के रूप में देखा जा सकता है, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि भारत अपनी रक्षा क्षमताओं में तेजी से प्रगति कर रहा है।

तीसरे, यह घटना वैश्विक भू-राजनीतिक गतिशीलता को भी दर्शाती है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि तुर्की की यह कार्रवाई संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग के जवाब में हो सकती है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाल के वर्षों में भारत के साथ रक्षा सौदों और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा दिया है, जिसे पाकिस्तान और उसके सहयोगी खतरे के रूप में देख सकते हैं। तुर्की का यह कदम इस संदर्भ में एक जवाबी रणनीति हो सकता है।

सी-130 हरक्यूलिस की तकनीकी विशेषताएं

सी-130 हरक्यूलिस विमान अपनी मजबूती और बहुमुखी प्रतिभा के लिए प्रसिद्ध है। यह 19 टन से अधिक वजन ले जा सकता है और छोटे, उबड़-खाबड़ हवाई पट्टियों पर भी उतर सकता है। इसकी प्रमुख विशेषताएं शामिल हैं:

वजन क्षमता: 19,958 किलोग्राम तक कार्गो ले जाने की क्षमता।

रेंज: 2,100 समुद्री मील तक की उड़ान रेंज।

गति: 410 मील प्रति घंटे की अधिकतम गति।

लचीलापन: यह विमान सैन्य कार्गो, सैनिकों, टैंकों, और यहां तक कि आपातकालीन राहत सामग्री को भी ले जा सकता है।

इन विशेषताओं के कारण सी-130 हरक्यूलिस दुनिया भर के सैन्य बलों के लिए एक विश्वसनीय परिवहन विमान है। तुर्की द्वारा इस विमान का उपयोग पाकिस्तान को सैन्य सहायता प्रदान करने के लिए इसकी रणनीतिक उपयोगिता को रेखांकित करता है।

यह घटना कई सवाल उठाती है। क्या यह तुर्की-पाकिस्तान सैन्य सहयोग का एक नया चरण है? क्या इससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ेगा, विशेष रूप से भारत के साथ? और क्या यह वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव का संकेत है, जहां तुर्की एक उभरती हुई शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है?

आने वाले महीनों में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पाकिस्तान इस सैन्य सहायता का उपयोग कैसे करता है और इसका क्षेत्रीय सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, भारत और उसके सहयोगियों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, की प्रतिक्रिया भी इस घटनाक्रम के दीर्घकालिक प्रभावों को निर्धारित करेगी।

तुर्की के सी-130 हरक्यूलिस विमानों का पाकिस्तान में सैन्य कार्गो के साथ उतरना एक महत्वपूर्ण घटना है, जो दोनों देशों के बीच मजबूत सैन्य संबंधों और क्षेत्रीय भू-राजनीतिक गतिशीलता को दर्शाता है।

यह कदम तुर्की की बढ़ती क्षेत्रीय महत्वाकांक्षा, पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने की इच्छा, और दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को प्रभावित करने की संभावना को उजागर करता है। जैसे-जैसे यह स्थिति विकसित होगी, यह क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। china news today | India Pakistan conflict | pakistan |

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