नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत लौटते ही NIA ने दो वांछित आतंकियों को दबोचा। दोनों पिछले दो साल से थे फरार, झूठी पहचान के साथ छिपे थे विदेश में। पुणे IED केस में पहले ही जारी था गैर-जमानती वारंट। जकार्ता से लौटते समय मुंबई एयरपोर्ट पर हुई गिरफ्तारी। ISIS के नेटवर्क पर लगातार शिकंजा कस रही है NIA। आइए पढ़ें पूरी स्टोरी...
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने Mumbai अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से ISIS के दो फरार आतंकियों को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी – अब्दुल्ला फैयाज शेख और तल्हा खान – जकार्ता से भारत लौटते समय पकड़े गए। ये दोनों पुणे IED केस में वांछित थे, जिनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट और 3-3 लाख का इनाम जारी था।
एनआईए (NIA) ने एक बार फिर देश की सुरक्षा के मोर्चे पर बड़ा एक्शन लिया है। पुणे में 2023 में हुए IED धमाके की साजिश से जुड़े ISIS के दो फरार आतंकियों – अब्दुल्ला फैयाज शेख उर्फ डायपरवाला और तल्हा खान – को मुंबई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया है। दोनों जकार्ता से भारत लौट रहे थे, जब इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनकी पहचान कर ली और NIA को सूचित किया।
इन दोनों पर पहले से ही एनआईए की विशेष अदालत, मुंबई द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी थे। इनके सिर पर 3-3 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था। अब्दुल्ला और तल्हा पुणे के कोंढवा में IED निर्माण और परीक्षण की गतिविधियों में शामिल थे।
विदेश में छिपे थे सालों से
2022-2023 के दौरान, दोनों आरोपी देश छोड़कर इंडोनेशिया चले गए थे, जहां वे जाली पहचान और फर्जी दस्तावेजों के जरिए छिपे हुए थे। एनआईए की सक्रिय निगरानी और इंटरपोल से मिली सूचनाओं के आधार पर इनकी वापसी की जानकारी पहले ही एजेंसी को थी।
प्लान था भारत में इस्लामी शासन की स्थापना का
जांच में सामने आया कि ये दोनों आरोपी ISIS के एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे, जिसका मकसद भारत में इस्लामी शासन की स्थापना और सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना था। पुणे में किराए के मकान में बनाए गए IED की टेस्टिंग भी की गई थी।
10 आतंकियों की हो चुकी है गिरफ्तारी
इस केस में अब तक कुल 10 ISIS स्लीपर मॉड्यूल के सदस्य गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इनमें मोहम्मद इमरान खान, यूनुस साकी, अब्दुल कादिर पठान, सिमाब काज़ी, शमील और आकिफ नाचन जैसे नाम शामिल हैं। सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं और मामले की जांच अब भी जारी है।
NIA की पैनी नजर, ISIS के मंसूबे नाकाम
NIA ने इस केस में यूएपीए, आईपीसी, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। एजेंसी की सक्रियता से साफ है कि वो भारत में ISIS के किसी भी नेटवर्क को पनपने नहीं दे रही।
क्या आप इससे सहमत हैं? कमेंट करें और देश की सुरक्षा में अपनी राय जरूर रखें।