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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । ट्रम्प का क्रिप्टो कारोबार अब पाकिस्तान में पैर पसारने को तैयार है। शहबाज़ शरीफ का बेटा बन सकता है इस नेटवर्क का अगला चेहरा। दुबई की ब्लॉकचेन कंपनी बना रही पूरा इकोसिस्टम। क्रिप्टो माइनिंग के लिए पाक की बिजली और ज़मीन होगी इस्तेमाल। क्या यह सब सिर्फ व्यापार है या इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक एजेंडा छुपा है?
पाकिस्तान में ट्रम्प की क्रिप्टो एंट्री: राजनीति, कारोबार या साज़िश?
डोनाल्ड ट्रम्प का क्रिप्टो बिजनेस अब पाकिस्तान में विस्तार कर रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस नेटवर्क की अगुवाई प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के बेटे सलमान करेंगे। दुबई की कंपनी "हाईलैंड सिस्टम्स" इस पूरी योजना का केंद्र है। अमेरिका में रेगुलेशन की सख्ती के चलते ट्रम्प लॉबी अब पाकिस्तान जैसे देशों में निवेश बढ़ा रही है।
ट्रम्प की क्रिप्टो रणनीति और पाकिस्तान का रोल
डोनाल्ड ट्रम्प और उनके करीबी निवेशक अब क्रिप्टोकरेंसी के लिए अमेरिका से बाहर ऐसे देशों की तलाश में हैं, जहां नियम ढीले हों और सत्ता में सीधा संपर्क संभव हो। पाकिस्तान अब इस क्रिप्टो साम्राज्य का अगला केंद्र बन सकता है। दुबई स्थित Highland Systems नाम की ब्लॉकचेन कंपनी इस पूरे ऑपरेशन का संचालन कर रही है, जो पाकिस्तान में क्रिप्टो टेक्नोलॉजी और माइनिंग सेटअप खड़ा कर रही है।
सलमान शहबाज़ की एंट्री क्यों महत्वपूर्ण है?
पाक प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के बेटे सलमान शहबाज़ की कंपनी SSE Technologies पाकिस्तान की प्रमुख सोलर पैनल इंपोर्टर है। अब यही कंपनी ब्लॉकचेन नेटवर्क को बिजली मुहैया करवाने वाली है। सोलर एनर्जी की मदद से सिंध और बलूचिस्तान में माइनिंग ऑपरेशंस चलेंगे।
ब्लॉकचेन के लिए सस्ती और स्थिर बिजली सबसे अहम जरूरत होती है और यही भूमिका सलमान की कंपनी निभाएगी।
WLF डील और ट्रम्प का बड़ा दांव
डील World Liberty Financial (WLF) के ज़रिए हुई है, जिसमें ट्रम्प परिवार की 60% हिस्सेदारी है। इस कंपनी ने मार्च में USD1 स्टेबलकॉइन लॉन्च किया, जिसकी वैल्यू 18,000 करोड़ पहुंच चुकी है। ट्रम्प खुद WLF में Chief Crypto Advocate हैं, जबकि उनके बेटे एरिक ट्रम्प और दामाद जेरेड कुश्नर भी इसमें शामिल हैं।
WLF के अलावा, ट्रम्प मीमकॉइन में भी ट्रम्प परिवार की 80% हिस्सेदारी है, जिसकी वर्थ 1 लाख करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है।
क्रिप्टो में पाकिस्तान की बढ़ती दिलचस्पी
पाकिस्तान दुनिया में क्रिप्टो अपनाने वाले टॉप 10 देशों में शामिल हो चुका है। ऐसे में वहां की सरकार अब इस फील्ड में और भी गहराई से उतरने की तैयारी में है। पाकिस्तान क्रिप्टो को वैध करेंसी का दर्जा देने पर विचार कर रहा है।
अगर ऐसा होता है, तो पाकिस्तान दक्षिण एशिया का पहला देश बन जाएगा, जहां ट्रम्प समर्थित क्रिप्टो वैध रूप से चलेगा।
सोलर एनर्जी और माइनिंग का जुगलबंदी मॉडल
क्रिप्टो माइनिंग में सबसे बड़ी लागत बिजली की होती है। इसे ध्यान में रखते हुए सलमान शहबाज़ की कंपनी SSE टेक्नोलॉजीज, Highland Systems के साथ मिलकर पाकिस्तान में बड़े स्तर पर सोलर फार्म स्थापित करने की योजना बना रही है।
यह मॉडल क्रिप्टो को "हरित ऊर्जा" से जोड़ता है, जो आने वाले समय में दुनियाभर में क्रिप्टो को वैधता दिलाने में अहम साबित हो सकता है।
ब्लॉकचेन या ब्लॉकबस्टर चाल?
यह डील सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि राजनीतिक और भू-राजनीतिक पहलुओं से भी जुड़ी हुई है। ट्रम्प के निवेशक अमेरिकी रेगुलेशन से परेशान हैं और अब ऐसे देशों में कारोबार फैला रहे हैं, जहां वे सत्ता के करीब रह सकें।
पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली, IMF पर निर्भरता और अमेरिका से संबंधों में सुधार की कोशिश इस डील को और संदिग्ध बना देती है।
बिटकॉइन की कीमत और ट्रम्प की जीत का संबंध
2025 के अमेरिकी चुनावों में ट्रम्प की जीत के बाद क्रिप्टो मार्केट में 30% का उछाल आया था। एक बिटकॉइन की कीमत अब 80 लाख रुपए से ऊपर जा चुकी है। इससे साफ है कि ट्रम्प और क्रिप्टो का सीधा संबंध अब बाजार भी मानता है।
क्रिप्टो का इतिहास: कहां से कहां पहुंचा
1983: David Chaum ने ई-कैश की शुरुआत की
1995: DigiCash ने इसका प्रैक्टिकल इस्तेमाल किया
2009: Satoshi Nakamoto ने बिटकॉइन लॉन्च किया
अब: ट्रम्प कुनबे का 1 लाख करोड़ का क्रिप्टो पोर्टफोलियो
क्रिप्टो, सत्ता और कॉन्ट्रोवर्सी का घातक मेल?
ट्रम्प की अगुवाई वाला यह क्रिप्टो नेटवर्क अब सिर्फ एक टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट नहीं रहा। यह अब राजनीति, सत्ता, विदेशी संबंधों और ग्लोबल इनवेस्टमेंट का नया चेहरा बन चुका है। पाकिस्तान के लिए यह आर्थिक राहत है या नई गुलामी की शुरुआत – इसका जवाब भविष्य देगा।
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