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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः सुनने में ये अजीब लगता है पर है सच। सुप्रीम कोर्ट में एक मामले पर चल रही बहस के दौरान पहले 'सुप्रीम कोर्ट आफ कर्नाटक' का जिक्र हुआ। उसके बाद देश के दो टाप वकील आपस में उलझ गए। एक वकील इस बात को लेकर भड़का हुआ था कि बेवजह का मुद्दा देश की सबसे बड़ी अदालत में क्यों उठाया गया। उठाया तो ठीक है पर इसमें 'एक्स' (पहले ट्विटर) का नाम कैसे खींचा गया।
सालिसिटर जनरल ने उठाया था जज के सामने ये मुद्दा
दरअसल ये विवाद तब शुरू हुआ जब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना की अदालत में एक्स की एक याचिका को लेकर सुनवाई चल रही थी। एक्स ने केंद्र सरकार के सहयोग पोर्टल को लेकर याचिका दायर की थी। सहयोग पोर्टल केंद्र सरकार की तरफ से स्थापित एक मंच है, जो ऑनलाइन मध्यस्थों को गैरकानूनी सामग्री के बारे में सूचित करता है, ताकि उसे हटाया जा सके।
केंद्र की तरफ से पैरवी कर रहे सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक्स की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह पोर्टल लोगों की सुविधा के लिए बनाया गया है। इससे ईज आफ डूइंग बिजनेस में भी सहायता मिलती है। उनका सवाल था कि एक्स इसका विरोध क्यों कर रहा है। इसका मकसद ऐसे कंटेंट को हटाना है जो गैरकानूनी है। उन्होंने उसके बाद एक उदाहरण दिया, जिसमें एक्स का अदालत को दिखाया गया। ये पेज 'सुप्रीम कोर्ट आफ कर्नाटक' के नाम पर था। उन्होंने स्क्रीन शाट जस्टिस प्रसन्ना को दिखाकर कहा कि ये ट्विटर की तरफ से वेरीफाइड अकाउंट है। मैं इसमें कुछ भी पोस्ट कर सकता हूं और इसे फालो करने वाले लाखों लोग जब इसे देखेंगे तो कहेंगे कि 'सुप्रीम कोर्ट आफ कर्नाटक' ने ये बात कही है।
मेहता दिखा रहे थे जज को स्क्रीनशाट तो भड़क गए राघवन
सीनियर एडवोकेट केजी राघवन एक्स की तरफ से पैरवी के लिए जस्टिस प्रसन्ना की अदालत में मौजूद थे। जैसे ही तुषार मेहता ने जस्टिस को स्क्रीन शाट दिखाया वो उठकर खडे हो गए और तीखा विरोध जताते हुए कहा कि मुझे इस पर एतराज है। इसे बिना रिकॉर्ड में दर्ज किए मेरे खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने मेहता की इस दलील को तीखे लहजे में खारिज करते हुए कहा जिसमें उन्होंने कहा था कि ये अकाउंट एक्स ने वेरीफाई किया है। उनका कहना था कि एक्स ने इस अकाउंट को सस्पेंड कर दिया है।
उन्होंने कहा कि अंत में अच्छी बात यह है कि 'सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक' अकाउंट को निलंबित कर दिया गया है। हम एक जिम्मेदार व्यापारिक घराने हैं। अगर मेहता की ओर से कुछ आता है तो मुझे कोई परेशानी नहीं है। मेरा निर्देश है कि यह सत्यापित अकाउंट भी नहीं है। बयान दिया गया था कि यह हमारी फिल्टरेशन प्रक्रिया से गुजरा है, जो सच नहीं था।
राघवन के तल्ख लहजे को देखते हुए तुषार मेहता ने 'सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक' को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन उन्होंने कोर्ट में एक्स की जमकर फजीहत की। उन्होंने कहा कि फ्री स्पीच पर खतरा सरकार की तरफ से नहीं है बल्कि एक्स कार्प जैसी निजी कंपनियों की तरफ से है। मामले की सुनवाई 25 जून तक के लिए टाल दी गई।
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