नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत के दो वीर सपूतों ने दुनिया में शांति के लिए प्राण न्यौछावर किए। अब संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें अपने सबसे बड़े सम्मान से नवाज़ा है। ब्रिगेडियर अमिताभ झा और हवलदार संजय सिंह को मिला "डैग हैमरशॉल्ड पदक"। इन दोनों ने अलग-अलग मोर्चों पर दुनिया को युद्ध से बचाने में योगदान दिया। यह सम्मान 29 मई को न्यूयॉर्क में एक भावुक समारोह में दिया गया।
29 मई को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में आयोजित एक सम्मान समारोह में भारत के दो शहीद शांति सैनिकों—ब्रिगेडियर अमिताभ झा और हवलदार संजय सिंह—को मरणोपरांत डैग हैमरशॉल्ड मेडल से नवाज़ा गया। यह पदक उन सैनिकों को दिया जाता है जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के दौरान जान की बाज़ी लगाकर मानवता और स्थिरता के लिए लड़ाई लड़ी। दोनों भारतीय सैनिकों की बहादुरी और बलिदान अब वैश्विक स्तर पर एक प्रेरणा बन गई है।
भारत के दो सपूत, दो मिशन, एक शांति का सपना
ब्रिगेडियर अमिताभ झा संयुक्त राष्ट्र के UNDOF (United Nations Disengagement Observer Force) मिशन से जुड़े थे, जो सीरिया और इज़राइल के बीच विवादित गोलान हाइट्स क्षेत्र में तैनात था। वहां उन्होंने संघर्ष टालने और युद्धविराम बनाए रखने की ज़िम्मेदारी निभाई।
वहीं, हवलदार संजय सिंह MONUSCO (UN Organization Stabilization Mission in the Democratic Republic of the Congo) के साथ डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में शांति बहाल करने के काम में लगे थे। वह एक बेहद खतरनाक और हिंसाग्रस्त ज़ोन में सेवा दे रहे थे, जहां उन्होंने शांति की लौ जलाए रखने की कोशिश में अपनी जान गंवा दी।
UN ने कहा – "ये बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा"
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “भारत के ये दोनों जवान न सिर्फ अपने देश, बल्कि पूरी दुनिया की शांति के लिए लड़े। ऐसे बलिदानों को शब्दों में नहीं मापा जा सकता। दुनिया हमेशा उनके कर्ज़दार रहेगी।”
भारत - UN शांति अभियानों का एक मजबूत स्तंभ
भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में अग्रणी रहा है। अब तक 200,000 से ज्यादा भारतीय सैनिकों ने UN मिशनों में भाग लिया है, जिनमें से लगभग 180 सैनिकों ने अपना जीवन गंवाया है। यह बलिदान भारत की वैश्विक ज़िम्मेदारी और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सच्चा सम्मान, सच्चे नायक
"डैग हैमरशॉल्ड पदक" भारत के वीर सैनिकों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर सच्ची श्रद्धांजलि है। यह सम्मान न सिर्फ उनके परिवारों बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है।
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