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घाटमपुर में किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म। Photograph: (फोटो- प्रतीकात्मक)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कःमध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान (LNIPE) के पूर्व कुलपति (वीसी) को एक योगा टीचर को 35 लाख का भुगतान करने का निर्देश दिया। हालांकि टीचर का यौन उत्पीड़न कुलपति ने किया था। लेकिन हाईकोर्ट ने LNIPE के साथ पुलिस को भी दोषी ठहरा दिया। सभी को हर्जाना भरने का आदेश दिया गया है।
LNIPE पर 1 लाख तो राज्य सरकार पर लगा 5 लाख का जुर्माना
जस्टिस मिलिंद रमेश फड़के ने इंटरनल कंप्लेंट कमेटी पर भरोसा करते हुए कहा कि दिलीप कुमार डुरेहा ने योगा टीचर का यौन उत्पीड़न किया था। कोर्ट ने यह भी माना कि केंद्र सरकार के संस्थान, LNIPE ने शिकायतकर्ता को न्याय दिलाने के लिए समय पर कदम नहीं उठाए। संस्थान को ऐसे व्यक्ति के नियंत्रण में रहने दिया जो किसी भी प्रकार की सेवा में रखे जाने के योग्य भी नहीं था। डुरेहा अब बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में प्रोफेसर हैं। अदालत ने संस्थान को उसे 1 लाख का भुगतान करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, कोर्ट ने पुलिस को योगा टीचर की शिकायत पर कोई कार्रवाई न करने का दोषी माना। अदालत ने पुलिस को मामला दर्ज करने में तीन साल तक देरी करने के लिए भी जिम्मेदार ठहराया। पुलिस की कोताही के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए 5 लाख जुर्माना भरने का आदेश दिया।
योगा टीचर के साथ 2019 में तत्कालीन वीसी ने की थी छेड़छाड़
योगा टीचर ने आरोप लगाया था कि 2019 में डुरेहा ने उसकी सहमति के बिना उसे छुआ था। एक शिकायत को दबाने के लिए यौन संबंध बनाने की भी मांग की थी। यह भी आरोप लगाया गया था कि वह अक्सर देर शाम महिला अधिकारियों को अपने कमरे में बुलाता था। डुरेहा ने आरोपों से इनकार किया था, लेकिन इंटरनल कंप्लेंट कमेटी ने 2020 में फैसला दिया कि उसके खिलाफ आरोप सच पाए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि डुरेहा ने आईसीसी के फैसले को चुनौती नहीं दी थी। जस्टिस का कहना था कि अदालत को समिति के निष्कर्षों में जाने की आवश्यकता नहीं है। उसे लगता है कि समिति ने जो फैसला दिया वो सभी पक्षों को सुनने के बाद दिया था।
योगा टीचर ने कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के निर्देश के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उसके वकील ने डुरेहा, संस्थान और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की थी। संस्थान ने कहा कि डुरेहा अब उनका कर्मचारी नहीं है, इसलिए वो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते। कोर्ट को बताया गया कि केंद्र सरकार ने इस मामले के बारे में बीएचयू वाराणसी को सूचित कर दिया है। योग प्रशिक्षक की ओर से अधिवक्ता योगेश चतुर्वेदी ने पैरवी की। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता एमएस जादौन ने पैरवी की।भारत के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल प्रवीण कुमार नेवास्कर ने केंद्र सरकार की पैरवी की। trendingnews | trending | trendig news
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