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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । पाकिस्तान के मुरिदके शहर में एक ऐसा शख्स रहता था, जिसका नाम हाफिज अब्दुल रऊफ था। यह नाम हाल ही में तब सुर्खियों में आया, जब भारतीय सेना ने कश्मीर में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 100 आतंकवादियों को मार गिराया। इन आतंकवादियों में से एक था लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर रियाज अहमद, जिसे रियाज बशीर के नाम से भी जाना जाता था।
लेकिन कहानी में असली मोड़ तब आया, जब मुरिदके में इन आतंकवादियों के लिए एक बड़ा जनाजा आयोजित किया गया, जिसका नेतृत्व हाफिज अब्दुल रऊफ ने किया। यह घटना न केवल आतंकवाद के प्रति पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में मौजूद सहानुभूति को दर्शाती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि क्या आतंकवाद का महिमामंडन अब खुलेआम हो रहा है?
आतंकवाद यहां माना जाता है "पवित्र मिशन"
हाफिज अब्दुल रऊफ, जो मुरिदके में एक प्रभावशाली व्यक्ति माना जाता है, ने इस जनाजे में हजारों लोगों को इकट्ठा किया। सूत्रों के अनुसार, इस आयोजन में आतंकवादियों को "शहीद" बताकर उनकी प्रशंसा की गई। यह पहली बार नहीं है जब रऊफ ने इस तरह की गतिविधियों में हिस्सा लिया हो।
वह पहले भी कई बार आतंकवादी संगठनों से जुड़े लोगों के जनाजे में शामिल हो चुका है। उसका यह कदम न केवल कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिश को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कुछ लोग आतंकवाद को एक "पवित्र मिशन" के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।
🔴 #EXCLUSIVE Hafiz Abdul Rauf (who led funerals in Muridke) glorifying jihadi terror in Srinagar/#Kashmir.
— Taha Siddiqui (@TahaSSiddiqui) May 12, 2025
Video shared widely on Pakistan Markazi Muslim League social media pages.
Will @OfficialDGISPR still call him a local cleric with no linkages to terrorism?#ISPRExposed pic.twitter.com/tfzatS3yPS
पहलगाम अटैक: सफल हुआ ऑपरेशन सिंदूर
ऑपरेशन सिंदूर, जिसे भारतीय सेना ने कश्मीर में अंजाम दिया, एक बड़ी सफलता थी। इस ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा के दो खूंखार आतंकवादी मारे गए। रियाज अहमद, जो इस संगठन का एक प्रमुख कमांडर था, कई आतंकी हमलों में शामिल रहा था। उसका साथी बशीर अहमद भी कश्मीर में आतंक फैलाने की साजिश रच रहा था।
भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन को बहुत ही सटीकता और रणनीति के साथ अंजाम दिया, जिससे आतंकवादियों के मंसूबों पर पानी फिर गया। लेकिन मुरिदके में हुए इस जनाजे ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई केवल सीमा पर नहीं, बल्कि विचारधारा के स्तर पर भी लड़नी होगी।
हाफिज अब्दुल रऊफ जैसे लोग आतंकवाद को न केवल समर्थन देते हैं, बल्कि इसे एक सामाजिक स्वीकृति देने की कोशिश भी करते हैं। मुरिदके में आयोजित जनाजे में शामिल होने वाले लोगों की संख्या यह दर्शाती है कि कुछ समुदायों में आतंकवादियों को हीरो के रूप में देखा जाता है। यह स्थिति भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह न केवल सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता है, बल्कि युवाओं को गुमराह करने का भी काम करता है।
इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भी खींचा है। कई देशों ने पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने की मांग की है। लेकिन सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान इस दिशा में कोई गंभीर प्रयास करेगा? हाफिज अब्दुल रऊफ जैसे लोगों की खुली गतिविधियां इस बात का संकेत देती हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अभी लंबी है।
कश्मीर में शांति और स्थिरता के लिए भारत लगातार प्रयास कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियान इस दिशा में एक बड़ा कदम हैं। लेकिन जब तक आतंकवाद का महिमामंडन करने वाले लोग खुलेआम अपनी गतिविधियां चलाते रहेंगे, तब तक यह लड़ाई अधूरी रहेगी। हाफिज अब्दुल रऊफ और उसके जैसे लोगों पर नजर रखना और उनके खिलाफ कार्रवाई करना अब समय की मांग है।
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