नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । जब देश की अखंडता पर सवाल उठेगा, तो कौन चुप रहेगा? एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने देशभक्ति की हुंकार भरी। भारतीय सेना के समर्थन में दिया बड़ा बयान। राजनीतिक मतभेद एक तरफ, देश की सुरक्षा पहले। ओवैसी ने साफ कहा- "हम भारत के साथ थे, हैं और रहेंगे।"
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एक सशक्त बयान देते हुए कहा कि जब भी भारत की अखंडता और सुरक्षा पर संकट आएगा, उनकी पार्टी पूरी ताक़त से भारतीय सेना के साथ खड़ी होगी। उन्होंने साफ़ किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर न कोई राजनीति है, न मतभेद। यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में राष्ट्रवाद और सुरक्षा पर बहस जोरों पर है।
ओवैसी की हुंकार – "हम भारत के साथ हैं, हमेशा रहेंगे"
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने 21 मई को एक जनसभा में देश की सुरक्षा को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जब भी भारत की अखंडता या सुरक्षा को कोई खतरा होगा, उनकी पार्टी सबसे पहले देश और भारतीय सेना के समर्थन में खड़ी होगी।
यह बयान ऐसे समय आया है जब देश के कई हिस्सों में आंतरिक तनाव और सीमा पर चुनौतियां बनी हुई हैं। ओवैसी का यह संदेश न सिर्फ़ उनकी पार्टी के रुख़ को दर्शाता है, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संकेत भी देता है कि राष्ट्रहित से ऊपर कुछ नहीं।
"राजनीति अपनी जगह है, देश पहले है" – ओवैसी
ओवैसी ने कहा कि सेना किसी एक धर्म, जाति या विचारधारा की नहीं होती – वो पूरे भारत की है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय मुसलमानों को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम बेबुनियाद हैं। "हम इस देश के बराबर के नागरिक हैं और अगर देश पर संकट आया, तो हम सबसे आगे होंगे," – ओवैसी का यह बयान तालियों से गूंज उठा।
क्यों ज़रूरी है ओवैसी का यह बयान?
राजनीतिक माहौल में बदले सुर: विपक्षी दलों पर हमेशा राष्ट्रवाद को लेकर सवाल उठते रहे हैं, ऐसे में ओवैसी का यह बयान अहम है।
सेना के लिए स्पष्ट समर्थन: भारत की सीमाओं पर लगातार चुनौतियाँ हैं। ऐसे में एक मुस्लिम नेता का भारतीय सेना के साथ खड़े होने का संदेश एकजुटता की मिसाल है।
धार्मिक सद्भाव और राष्ट्रवाद: ओवैसी ने यह दिखाया कि धर्म के परे जाकर राष्ट्र सबसे पहले है।
सोशल मीडिया पर क्यों हो रहा है वायरल?
ओवैसी के बयान की क्लिप्स ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर तेज़ी से वायरल हो रही हैं। कई यूज़र्स इसे "एक सच्चे भारतीय मुसलमान की आवाज़" बता रहे हैं। वहीं कुछ आलोचकों ने इसे "राजनीतिक स्टंट" भी करार दिया है।
लेकिन सच्चाई यही है कि इस बयान ने एक बड़ा संदेश दिया है - भारत की सुरक्षा सबकी ज़िम्मेदारी है।
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