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भारत, एक ऐसा देश जो अपनी विविध जलवायु और मौसमों के लिए जाना जाता है, वर्तमान में एक अभूतपूर्व चुनौती का सामना कर रहा है। यहां तापमान में असामान्य वृद्धि देखी जा रही है, जो न केवल सामान्य जनजीवन को प्रभावित कर रही है, बल्कि पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर प्रभाव डाल रही है। इस वर्ष, गर्मी ने समय से पहले ही दस्तक दे दी है, जिससे देश के कई हिस्सों में तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, फरवरी माह में भी गर्मी ने पिछले 125 वर्षों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है, जो चिंता का विषय है।
तापमान में अचानक हो रही अभूतपूर्व वृद्धि
देश के विभिन्न भागों में तापमान में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिससे लू का प्रभाव भी जल्दी दिखाई देने लगा है। कुछ स्थानों पर तापमान सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक दर्ज किया गया है। 16 मार्च 2025 को, ओडिशा के बौध में भारत का सबसे अधिक तापमान 43.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया। झारसुगुड़ा और बोलंगीर में भी तापमान क्रमशः 42 और 41.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। फरवरी 2025 के दौरान, भारत के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रात का तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। 11 से 23 फरवरी के बीच, देश के 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कम से कम एक दिन रात का तापमान सामान्य से अधिक दर्ज किया गया।
अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव
शहरी क्षेत्रों में कंक्रीट के निर्माणों और सड़कों के कारण 'अर्बन हीट आइलैंड' प्रभाव बढ़ रहा है। यह प्रभाव रात के समय अधिक स्पष्ट होता है, जब शहरी क्षेत्र अतिरिक्त गर्मी को बाहर नहीं निकलने देते, जिससे तापमान में कमी नहीं होती। शहरों में इमारतें, सड़कें और अन्य बुनियादी ढांचे गर्मी को अवशोषित करते हैं और फिर उस गर्मी को उत्सर्जित करते हैं। दिन के वक्त सूर्य की किरणें लघु तरंग विकिरण के रूप में पहुंचती हैं और पृथ्वी की सतह को गर्म करती हैं। रात में यह गर्मी लॉन्गवेव विकिरण के रूप में मुक्त होती है। हालांकि, यह लघु तरंगें आसानी से सतह तक पहुंच जाती हैं, वहीं लॉन्गवेव विकिरण कंक्रीट और बादलों में फंस जाता है। शहरों में ऊंची इमारतें और कंक्रीट रात के समय अतिरिक्त गर्मी को बाहर नहीं निकलने देते। ऐसे में तापमान ठंडा नहीं हो पाता और रात में भी गर्मी और लू जारी रहती है।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण दिन और रात दोनों के तापमान में वृद्धि हो रही है। गर्म रातों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है, जिसका मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले दशक में देशभर में रात के समय तापमान में बढ़ोतरी के साथ-साथ गर्म रातों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, गर्म दिन और असामान्य रूप से गर्म रातें नींद को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। फरवरी 2025 की शुरुआत से ही लू और गर्म रातों की घटनाएं बढ़ने से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत में गर्मी अब नए स्तर पर पहुंच रही है, जिससे मौसम की चरम परिस्थितियां अधिक खतरनाक होती जा रही हैं। फरवरी का औसत तापमान 22.04 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 1.34 डिग्री अधिक था। इससे पहले 2016 में फरवरी में सामान्य से 1.29 डिग्री अधिक रिकॉर्ड किया गया था।
स्वास्थ्य पर प्रभाव और बचाव के उपाय
अत्यधिक गर्मी के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं, जैसे कि नींद में कमी, थकान, हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन। इससे बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, हल्के कपड़े पहनना और दिन के समय धूप में निकलने से बचना चाहिए। बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
बचाव के उपाय
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं: दिन में कम से कम 3-4 लीटर पानी पिएं।
- हल्के कपड़े पहनें: सूती और हल्के रंग के कपड़े पहनें।
- धूप से बचें: दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच धूप में निकलने से बचें।
- ठंडे पेय पदार्थों का सेवन करें: नींबू पानी, नारियल पानी और छाछ जैसे ठंडे पेय पदार्थों का सेवन करें।
- शहरी क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाएं: पेड़ लगाने और पार्कों को विकसित करने से शहरी गर्मी द्वीप प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- ऊर्जा की बचत करें: एयर कंडीशनर और अन्य बिजली उपकरणों का उपयोग कम करें।
- जागरूकता फैलाएं: लोगों को गर्मी के खतरों के बारे में जागरूक करें और उन्हें बचाव के उपाय बताएं।
सरकार और संगठनों की भूमिका
सरकार और संगठनों को गर्मी से निपटने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए। इसमें जागरूकता अभियान चलाना, गर्मी से बचाव के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नीतियों को लागू करना शामिल है।
भारत में समय से पहले गर्मी का आना एक गंभीर समस्या है, जिसके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं। हमें इस समस्या से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। व्यक्तिगत स्तर पर बचाव के उपायों को अपनाने के साथ-साथ सरकार और संगठनों को भी सक्रिय रूप से काम करना होगा। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर भी सहयोग की आवश्यकता है।
ये भी जरूर करें
- गर्मी के दौरान पशुओं और पक्षियों का भी ध्यान रखें। उन्हें पर्याप्त पानी और छाया प्रदान करें।
- गर्मी के दौरान आग लगने की घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, सावधानी बरतें और आग से बचाव के उपाय करें।
- गर्मी के दौरान यात्रा करते समय विशेष सावधानी बरतें। पर्याप्त पानी और भोजन साथ रखें।
- यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी मिलकर इस चुनौती का सामना करें और अपने भविष्य को सुरक्षित रखें।