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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । 3 दिसंबर 1971 की वो रहस्यमयी रात, जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध अपने चरम पर था, एक ऐसी घटना घटी जिसने भारतीय नौसेना की चतुराई और शौर्य को दुनिया के सामने ला दिया। पाकिस्तान की सबसे ताकतवर पनडुब्बी PNS गाजी, जिसे भारत के गौरव INS विक्रांत को डुबोने का जिम्मा सौंपा गया था, अरब सागर की गहराइयों में हमेशा के लिए खो गई।
लेकिन क्या वाकई में गाजी को भारतीय नौसेना ने डुबोया? या फिर यह पाकिस्तान की अपनी गलती थी? यह कहानी आज भी रहस्यों से भरी है। आइए, उस रहस्मयी रात की गाथा को करीब से जानते हैं और समझते हैं कि कैसे INS विक्रांत ने न सिर्फ खुद को बचाया, बल्कि कराची पोर्ट को भी तबाह कर पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया।
PNS गाजी: पाकिस्तान का खतरनाक हथियार
PNS गाजी कोई साधारण पनडुब्बी नहीं थी। यह अमेरिका की बनाई ट्रेंच क्लास पनडुब्बी थी, जिसे पाकिस्तान ने 1963 में लीज पर लिया था। पहले इसका नाम USS डियाब्लो था और यह 18 साल तक अमेरिकी नौसेना का हिस्सा रही। पाकिस्तान ने इसे अपने नौसैनिक बेड़े में शामिल कर भारत के खिलाफ एक बड़ा हथियार बनाया।
इसकी रेंज 20,000 किलोमीटर थी और यह टॉरपीडो ट्यूब्स से लैस थी, जो घातक मिसाइलें दाग सकती थीं। गाजी इतनी ताकतवर थी कि यह भारत के पूर्वी तट तक आसानी से पहुंच सकती थी। पाकिस्तान ने इसे INS विक्रांत को निशाना बनाने के लिए तैयार किया, जो उस समय भारत का एकमात्र विमानवाहक पोत और एशिया का गौरव था।
INS विक्रांत: भारत का समुद्री शेर
INS विक्रांत भारतीय नौसेना का ध्वजपोत था। यह न सिर्फ भारत की ताकत का प्रतीक था, बल्कि उस समय एशिया का एकमात्र विमानवाहक पोत भी था। पाकिस्तान के लिए विक्रांत को डुबोना युद्ध में निर्णायक जीत का रास्ता था। लेकिन भारतीय नौसेना की रणनीति और सूझबूझ ने पाकिस्तान के इस सपने को चकनाचूर कर दिया।
1971 का युद्ध और गाजी का मिशन
1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने गाजी को 14 नवंबर को एक खतरनाक मिशन पर भेजा। इसका लक्ष्य था विशाखापत्तनम बंदरगाह में खड़े INS विक्रांत को डुबोना। पाकिस्तान को लगता था कि विक्रांत को नष्ट कर वह भारतीय नौसेना की कमर तोड़ देगा। लेकिन पाकिस्तान ने भारत की खुफिया ताकत को कम आंका। भारतीय जासूसों ने पहले ही गाजी की योजना का पता लगा लिया था।
भारतीय नौसेना की चतुराई
भारतीय नौसेना ने एक शानदार रणनीति बनाई। 2 दिसंबर की रात को INS विक्रांत को चुपके से विशाखापत्तनम से हटाकर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की ओर भेज दिया गया। इसकी जगह INS राजपूत नामक युद्धपोत को विशाखापत्तनम में तैनात किया गया।
पाकिस्तान को इसकी भनक तक नहीं लगी। 3 दिसंबर की रात को गाजी चुपके से विशाखापत्तनम बंदरगाह में दाखिल हुई, यह सोचकर कि वह विक्रांत पर हमला करेगी। लेकिन उसे क्या पता था कि वह भारत के जाल में फंस चुकी है।
गाजी का अंत: रहस्यों से भरी कहानी
3 दिसंबर की रात को INS राजपूत ने पानी में कुछ बुलबुले देखे, जो किसी पनडुब्बी की मौजूदगी का संकेत थे। इसके बाद राजपूत ने तुरंत गहराई में बम (डेप्थ चार्ज) दागे। कुछ ही घंटों बाद, 4 दिसंबर की सुबह समुद्र में PNS गाजी का मलबा मिला। लेकिन इसके डूबने का कारण आज भी एक पहेली है।
तीन संभावित कारण
भारतीय नौसेना की कार्रवाई: भारतीय नौसेना का दावा है कि INS राजपूत के डेप्थ चार्ज ने गाजी को नष्ट कर दिया। यह सबसे स्वीकार्य थ्योरी है।
पाकिस्तान की गलती: कुछ लोग मानते हैं कि गाजी अपने ही माइंस (बम) लगाते वक्त उनसे टकरा गई, जिससे विस्फोट हुआ। पाकिस्तानी नौसेना इस थ्योरी को मानती है।
हाइड्रोजन गैस का विस्फोट: गाजी में हाइड्रोजन गैस बन रही थी, जो बेहद ज्वलनशील होती है। एक छोटी सी चिंगारी ने इसके गोला-बारूद को आग लगा दी, जिससे पनडुब्बी नष्ट हो गई।
यह रहस्य आज भी अनसुलझा है, लेकिन एक बात तय है कि गाजी का अंत भारत की जीत थी।
कराची पोर्ट पर विक्रांत का हमला
गाजी के डूबने के बाद भारतीय नौसेना ने पलटवार किया। INS विक्रांत ने अपने विमानों के साथ कराची पोर्ट पर हमला बोला। इस हमले में पाकिस्तान का सबसे बड़ा बंदरगाह तबाह हो गया। तेल डिपो, गोदाम और कई जहाज नष्ट हो गए। यह हमला पाकिस्तान के लिए एक ऐसा झटका था, जिससे वह आज तक नहीं उबर पाया।
2025 में फिर से उभरा तनाव
हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव फिर से बढ़ा है। खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की, जिसे भारत के S-400 और आकाश डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिया। जवाबी कार्रवाई में INS विक्रांत ने कथित तौर पर कराची पोर्ट को फिर से निशाना बनाया, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की बौखलाहट और संभावित जवाबी कार्रवाई की आशंका ने 1971 की यादें ताजा कर दी हैं। क्या मुनीर वही गलती दोहराएंगे, जो 1971 में गाजी के साथ हुई थी?
भारतीय नौसेना की ताकत
1971 में भारतीय नौसेना ने न सिर्फ अपनी रणनीति से दुश्मन को हराया, बल्कि दुनिया को दिखाया कि भारत समुद्र में भी अजेय है। INS विक्रांत आज भी भारत की शान है और पश्चिमी समुद्र में सीमाओं की रक्षा कर रहा है। S-400 जैसे आधुनिक डिफेंस सिस्टम और स्वदेशी तकनीकों ने भारत को और मजबूत किया है।
PNS गाजी का डूबना और INS विक्रांत की जीत भारतीय नौसेना की गौरव गाथा का एक सुनहरा पन्ना है। यह कहानी न सिर्फ भारत की ताकत को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सही रणनीति और हिम्मत से कोई भी चुनौती पार की जा सकती है। गाजी का रहस्य भले ही अनसुलझा हो, लेकिन इसने पाकिस्तान को एक ऐसा सबक सिखाया, जो वह कभी नहीं भूल सकता।
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