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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने एक अनूठा कदम उठाते हुए एक मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। हालांकि इस मामले का जनहित से कोई लेनादेना नहीं है। हाईकोर्ट इस बात से खफा था कि चंडीगढ़ प्रशासन हाईकोर्ट के जजों को सिक्योरिटी मुहैया कराने में आनाकानी कर रहा है।
चीफ जस्टिस ने डीजीपी से कहा- हलफनामा दीजिए
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजी बेरी की बेंच ने मामले पर सुनवाई की और चंडीगढ़ के प्रशासन से कहा कि जजों की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी उनकी ही है। कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से दो हफ्तों में इस बात का जवाब मांगा है कि जजों को सुरक्षा देने से मना क्यों किया गया। हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक डीजीपी की तरफ से इस मामले में हलफनामा दाखिल होना है।
बिल्डिंग कमेटी के प्रस्ताव पर भड़के शील नागू
दरअसल, चीफ जस्टिस नागू का पारा तब चढ़ा जब उनको बताया गया कि हाईकोर्ट की बिल्डिंग कमेटी ने एक प्रस्ताव 4 अगस्त को पारित किया है। प्रस्ताव में इस बात को प्रमुखता से उठाया गया कि चंडीगढ़ प्रशासन जजों को सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने में हाथ खड़े कर रहा है। एक रिपोर्ट कहती है कि कमेटी ने ये प्रस्ताव इस वजह से पारित किया क्योंकि चंडीगढ़ के एसएसपी ने ये कहा कि उनके पास जवानों की कमी है। लिहाजा वो जजों को सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने में असमर्थ हैं। चीफ जस्टिस के पास कमेटी की रिपोर्ट पहुंची तो उन्होंने फैसला किया कि इस मामले का स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की जाएगी।
चीफ जस्टिस इस मामले को लेकर किसी भी तरह की कोताही बरतने के मूड में नहीं हैं। डीजीपी और चंडीगढ़ प्रसासन से इस बात को लेकर जवाब तलब किया गया है कि उनके पास कितने पुलिस कर्मी हैं। वो किन किन जगहों पर तैनात हैं इसका ब्योरा हाईकोर्ट को सौंपा जाए। मामले को देखकर ये लगता है कि जजों को सिक्योरिटी न देने का खामियाजा अब पुलिस के शीर्ष अफसरों को भुगतना पड़ेगा।
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