नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट का एक फैसला केंद्र सरकार के गले की फांस बन गया है। सरकार की समझ में नहीं आ रहा कि वो क्या करे। अदालत ने जो कहा वो पूरा करना हाल फिलहाल के दौर में तकरीबन नामुमकिन है। दूसरी तरफ अगर आदेश को पूरा नहीं किया जा सका तो नाफरमानी की तोहमत लग सकती है। अदालत गुस्सा होगी सो अलग।
38 साल से रह रही महिला को सरकार ने भेजा था पाकिस्तान
दरअसल, मामला पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ा है। पहलगाम में आतंकियों ने 26 लोगों की हत्या की तो सरकार आग बबूला हो गई। आनन फानन में पाकिस्तान के उन तमाम लोगों को देश से बाहर जाने को कहा गया जो वीजा लेकर भारत में आए थे। सरकार ने 27 अप्रैल की डेड लाइन मुकर्रर की थी। इसके बाद पाकिस्तानी नागरिकों को जबरन देश से बाहर कर दिया गया। इनमें से ही एक ऐसी महिला थी जो लांग टर्म वीजा पर पिछले 38 साल से भारत में रह रही थी।
हाईकोर्ट में दरखास्त लगाकर रक्षंदा ने की थी रहम की गुहार
रक्षंदा राशिद नाम की महिला को जैसे ही भारत सरकार के इरादों को पता चला उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके रहम की गुहार लगई। उसका कहना था कि वो अपने पति के साथ पिछले 38 सालों से कश्मीर में रह रही है। उसके दो बच्चे भी हैं। अगर उसे वापस पाकिस्तान भेज दिया गया तो परिवार का क्या होगा। उसका खुद का क्या होगा। वो किसके पास जाकर आसरा मांगेगी। उसकी रिट पर पहली बार 30 अप्रैल को सुनवाई हुई। अदालत ने उसकी बात को सुना तो जरूर पर सरकार को तुरंत कोई आदेश देने से इन्कार कर दिया।
पति ने अदालत बताया कि लाहौर के होटल में रह रही है रक्षंदा
नतीजतन रक्षंदा को सीमा पार कराकर पाकिस्तान की तरफ रवाना कर दिया गया। बीवी के जाने के बाद पति खुद हाईकोर्ट पहुंचा और अपनी दुखभरी दास्तां जज को बताई। उसका कहना था कि रक्षंदा लाहौर के एक होटल में रहने को विवश है, क्योंकि पाकिस्तान में वो किसी को नहीं जानती है। पति ने कोर्ट को बताया कि वो पिछले 38 साल से भारत में रह रही थी। वो लांग टर्म वीजा लेकर यहं आई थी और उसके बाद उसने कभी भी पाकिस्तान का रुख नहीं किया।
जज का दिल पसीजा तो केंद्र सरकार को दे दिया फरमान
जस्टिस राहुल भारती ने ये दास्तां सुनी तो उनका दिल पसीज गया। उनका कहना था कि संवैधानिक कोर्ट को मानवीय पहलू पर विचार करना ही होगा। उन्होंने फैसला दिया कि भारत सरकार रक्षंदा का पता लगाकर उसे वापस लेकर आए। उसके यहां रहना परिवार के लिए बेहद जरूरी है। अदालत ने कहा कि उसे नहीं लगता कि उसके आने से किसी तरह का खतरा होगा।
6 जून का था आदेश, 10 दिनों के भीतर रक्षंदा को लाना था वापस
रोचक बात ये है कि हाईकोर्ट ने ये आदेश 6 जून को पारित किया था। अदालत ने सरकार को10 दिनों के भीतर रक्षंदा को वापस भारत लाने के लिए कहा था। मामले की अगली सुनवाई 1 जुलाई को तय की गई है। तब भारत सरकार को एक रिपोर्ट दाखिल करनी होगी जिसमें अदालत को बताना होगा कि उसके फैसले पर अमल हुआ भी है या नहीं। दूसरी तरफ सरकार की मुश्किल है कि पाकिस्तान के साथ संबंध फिलहाल बदतर दौर से गुजर रहे हैं। भारत सरकार डिप्लोमेटिक लेवल पर ही समस्या का समाधान तलाश सकती है लेकिन वो भी इतना आसान नहीं है। अगर एक को वापस लाना पड़ा तो ऐसे कई दूसरे भी सिर उठा सकते हैं। कुल मिलाकर सरकार की हालत सांप के मुंह में छछूंदर जैसी हो गई है। आदेश पर अमल करना उतना सहज नहीं है और अगर किया तो ऐसा कितनी बार करना पड़ेगा, कोई पता नहीं। jammu kashmir attack | jammu kashmir
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