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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कःभारत के चीफ जस्टिस रहे डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जो कुछ भी हाल के दिनों में हुआ वो सभी को हैरत में डालने वाला था। सुप्रीम कोर्ट ने खुद सरकार को चिट्ठी लिखकर कहा कि वो चंद्रचूड़ का वो सरकारी बंगला खाली कराए जिसमें वो रिटायर होने के बाद भी जमे हुए हैं। कहने को तो ये एक रूटीन की चिट्ठी थी लेकिन इसके पीछे बड़ी रंजिश भी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आज तक कभी ऐसा कदम नहीं उठाया जिसमें उसने अपने ही बिगबास रह चुके जस्टिस के खिलाफ सख्त फैसला किया हो। ये चीज सभी के लिए भौचक करने वाली है।
सीजेआई बीआर गवई के कहने पर लिखी गई थी चिट्ठी
हालांकि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये चिट्ठी किसके इशारे पर लिखी गई। लेकिन जानकार मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट सीजेआई की बपौती होता है। वो ही उसका मास्टर आफ रोस्टर होता है। सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री हो या जजेस, कोई भी सीजेआई की मर्जी के बगैर कोई बड़ा फैसला नहीं ले सकता है। ऐसे में ये बात साफ है कि चंद्रचूड़ के मामले में सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक तंत्र ने जो चिट्ठी सरकार को लिखी वो गवई के कहने पर ही लिखी गई थी।
चंद्रचूड़ से रहा है सीजेआई गवई का 36 का आंकड़ा
जस्टिस बीआर गवई जब चीफ जस्टिस आफ इंडिया बने तो शपथ ग्रहण के बाद उन्होंने एक बात कही जो सभी को सालने वाली थी। उनका कहना था कि पहले के सीजेआई बातें तो बड़ी बड़ी करते थे पर काम 50 फीसदी भी नहीं कर पाए। लेकिन वो ऐसा नहीं करने जा रहे। वो बड़ी ऐलान नहीं कर रहे पर पूरी कोशिश करेंगे कि न्यायपालिका की हालत पहले से बेहतर हो।
सीजेआई बनते ही गवई के निशाने पर आ गए थे चंद्रचूड़
हालांकि उनके बयान से साफ था कि किसी खास शख्स को वो निशाना बना रहे हैं। उस दौरान लोगों को समझ नहीं आया कि वो शख्स कौन है लेकिन समय आगे बढ़ा तो जस्टिस गवई ने उस शख्स की पहचान भी बता दी जिसे वो नापसंद करते हैं। एक बयान में उन्होंने कहा कि जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस संजीव खन्ना और उन्होंने खुद सुप्रीम कोर्ट के लिए बहुत सारे बेहतरीन काम किए। खास बात है कि ललित के बाद चंद्रचूड़ सीजेआई बने थे गवई ने उनका नाम नहीं लिया।
सिसोदिया का जिक्र करके चंद्रचूड़ को दिखाया था नीचा
कुछ दिनों पहले सीजेआई ने फिर से एक बार चंद्रचूड़ को लेकर अपनी नापसंदगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि आप नेता मनीष सिसोदिया को उन्होंने बेल दी थी। सुप्रीम कोर्ट तो अपने ही उस नियम को भूल गया था जिसमें कहा गया है कि बेल नियम है और जेल अपवाद। खास बात है कि सिसोदिया उस जमाने में जेल में गए थे जब चंद्रचूड़ सीजेआई होते थे। चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान बेल के मामले ही ज्यादा सुने। हालांकि ये भी तथ्य है कि किसी को बेल दी नहीं। वो कहते तो थे कि बेल नियम है और जेल अपवाद पर इस पर अमल नहीं किया।
इसके बाद आई वो चिट्ठी जिसे सरकार को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लिखा गया। इसके बाद साफ हो गया कि सीजेआई गवई चंद्रचूड़ को कितना ज्यादा नापसंद करते हैं। जानकार कहते हैं कि दोनों के बीच संबंध सामान्य कभी भी नहीं रहे। दोनों की शुरुआत एक ही हाईकोर्ट से हुई। चंद्रचूड़ साल 2000 में हाईकोर्ट के जज बने तो गवई 2003 में जूडिशिरी में आए। चंद्रचूड़ के पिता वाईवी चंद्रचूड़ सबसे लंबे समय तक सीजेआई रहे थे। उनके बाद चंद्रचूड़ का नंबर है। : Indian Judiciary | judiciary of india | Judiciary not
दोनों की शुरुआत बाम्बे हाईकोर्ट से हुई, तभी पैदा हो गई थी तल्खी
जानकार कहते हैं कि चंद्रचूड़ और गवई के बीच तनातनी तभी शुरू हो गई थी जब वो बाम्बे हाईकोर्ट में थे। उसके बाद दोनों ही सुप्रीम कोर्ट आ गए। जब तक चंद्रचूड़ सीजेआई रहे गवई शांत रहे। लेकिन जैसे ही संजीव खन्ना के हाथ में कमान आई गवई मुखर होने लग पड़े। अब तो सुप्रीम कोर्ट पर उनकी हुकूमत चलती है। ऐसे में उन्होंने चंद्रचूड़ को नीचा दिखाने के लिए उनका मकान खाली करवाने का फरमान सुप्रीम कोर्ट से जारी करा दिया। चंद्रचूड़ ये मानकर चल रहे थे कि गवई कभी भी इस हद तक नहीं जाएंगे कि उनके घर को निशाना बना दें। लेकिन एक कहावत है कि जंग और मोहब्बत में सब जायज है। शायद यही चीज यहां भी दिख रही है।
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