नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः घरेलू हिंसा के एक मामले में फैमिली कोर्ट ने आरोपी पति को आदेश दिया था कि वो पत्नी को हर्जाने के तौर पर 5 लाख रुपये देगा। पति को फैसला पसंद नहीं आया और उसने इतनी रकम दे पाने में असमर्थता जताई। मामला स्पेशल कोर्ट पहुंचा तो जज को सुनवाई के दौरान कुछ ऐसा पता लगा कि उन्होंने हर्जाने की रकम बढ़ाकर 1 करोड़ कर दी। Judiciary | न्यायपालिका भारत
डिंडोशी सेशन कोर्ट के स्पेशल जज ने बदला पहले का फैसला
मुंबई की एक अदालत ने घरेलू हिंसा के एक मामले में एक महिला को दिए जाने वाले हर्जाने की रकम में इस वजह से बढ़ोतरी की क्योंकि उसे पता लगा कि महिला का पति और उसका परिवार करोड़पति है। यह आदेश 5 मई को डिंडोशी सेशन कोर्ट के स्पेशल जज एसजे अंसारी ने दिया। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के 18 फरवरी 2020 के फैसले के खिलाफ पति और पत्नी दोनों ने अपीलें दायर की थीं। पत्नी का कहना था कि हर्जाने की रकम कम है तो पति का कहना था कि उसकी माली हालत ऐसी नहीं है जो वो 5 लाख रुपये एकमुश्त चुका सके।
पत्नी ने अपने पति पर आरोप लगाया था कि 1997 में हुई शादी के बाद उसे कई सालों तक शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना दी गईं। नवंबर 2016 में पति की हिंसक प्रताड़ना की वजह से उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। उस घटना के बाद उसके पति को गिरफ्तार कर लिया गया, हालांकि उसने आरोपों से इनकार किया और दावा किया कि पत्नी ने खुद को घायल किया था।
उसके बाद पत्नी ने केस दायर करके भरण-पोषण और हर्जाने के साथ सुरक्षा और निवास की मांग की। पति ने जवाब दिया कि वह आर्थिक रूप से तनावग्रस्त था क्योंकि वह अपने बेटों की शिक्षा और किराए का भुगतान कर रहा था। उसका कहना था कि घरेलू कलह का शिकार वह खुद था। उसने यह भी तर्क दिया कि उसके कारोबार को नुकसान हुआ था।
2012 में खरीदी जमीन बनी पति के गले की फांस
हालांकि, अदालत ने दावों को गलत पाया, क्योंकि पति अपने दावों को लेकर कोई वित्तीय दस्तावेज नहीं पेश कर सका। कोर्ट को इसी दौरान पता चला कि पति और उसके पिता ने 2012 में 1 करोड़ से अधिक की संपत्ति की खरीद की थी। स्पेशल कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक पैसले का जिक्र करके पति को आदेश दिया कि वो अपनी पत्नी को 1 करोड़ का हर्जाना दे।
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