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Uniform Civil Code : अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर संपूर्ण उत्तराखंड में लागू

सब रजिस्ट्रार के कामों में सामान्य तौर पर 15 दिन और तत्काल में तीन दिन के भीतर सभी दस्तावेजों और सूचना की जांच, आवेदक से स्पष्टीकरण मांगते हुए निर्णय लेना। समय पर आवेदन न देने या नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के साथ ही पुलिस को सूचना देना

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Jyoti Yadav
PUSHKAR SINGH DHAMI UCC
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देहरादून, वाईबीएन नेटवर्क 

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उत्तराखंड ने इतिहास रच दिया है। आजादी के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है। बता दें यह कानून राज्य के अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर, संपूर्ण उत्तराखंड राज्य, साथ ही राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर लागू होगा। 

 कानून लागू करने के लिए हर स्तर पर अधिकारी तैनात

यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। जबकि नगर पंचायत - नगर पालिकाओं में संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इसी तरह नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे। छावनी क्षेत्र में संबंधित CEO रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इन सबके ऊपर रजिस्ट्रार जनरल होंगे, जो सचिव स्तर के अधिकारी एवं इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे। 

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रजिस्ट्रार जनरल के काम

बता दें यदि रजिस्ट्रार तय समय में कार्रवाई नहीं कर पाते हैं, तो मामला ऑटो फारवर्ड से रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएगा। इसी तरह रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकेगी, जो 60 दिन के भीतर अपील का निपटारा कर आदेश जारी करेंगे। 

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रजिस्ट्रार के काम क्या होंगे

यूसीसी को जमीनी स्तर लागू करने के लिए अधिकारियों की तैनाती की गई है, साथ ही उनके काम भी बताए गए है। रजिस्टर के जो काम है, उसमें सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपील पर 60 दिन में फैसला करना। लिव इन नियमों का उल्लंघन या विवाह कानूनों का उल्लंघन करने वालों की सूचना पुलिस को देना शामिल है।  

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सब रजिस्ट्रार के कर्तव्य

सब रजिस्ट्रार के कामों में सामान्य तौर पर 15 दिन और तत्काल में तीन दिन के भीतर सभी दस्तावेजों और सूचना की जांच, आवेदक से स्पष्टीकरण मांगते हुए निर्णय लेना। समय पर आवेदन न देने या नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के साथ ही पुलिस को सूचना देना, साथ ही विवाह जानकारी सत्यापित नहीं होने पर इसकी सूचना माता- पिता या अभिभावकों को देना शामिल है। 

विवाह पंजीकरण 

लागू कानून का पालन करने के लिए लोगों को कई दस्तावेजों का सत्यापन कराना होगा। पंजीकरण का काम समय पर कराना होगा। बता दें 26 मार्च 2010, से संहिता लागू होने की तिथि बीच हुए विवाह का पंजीकरण अगले छह महीने में करवाना होगा। संहिता लागू होने के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर कराना होगा

आवेदकों के अधिकार 

यदि सब रजिस्ट्रार- रजिस्ट्रार समय पर कार्रवाई नहीं करता है तो ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है। सब रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है।जिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकती है।अपीलें ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के माध्यम से दायर हो सकेंगी।

 लिव -इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य 

लिव -इन में रहने वाले कपल को रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रूप से कराना होगा। संहिता लागू होने से पहले से स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का, संहिता लागू होने की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा। जबकि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण, लिव इन रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा। 

लिव इन की समाप्ति भी करानी होगी दर्ज 

अगर भविष्य में कभी लिव इन रिलेशन समाप्त होता है, तो उसकी जानकारी भी देनी होगी। एक या दोनों साथी ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से लिव इन समाप्त होने की जानकारी अपडेट कर सकते है। यदि एक ही साथी आवेदनकर्ता है तो रजिस्ट्री दूसरे की पुष्टि के आधार पर अपडेट जानकारी को स्वीकार करेगा। यदि लिव इन के दौरान महिला गर्भवती हो जाती है तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य तौर पर सूचना देनी होगी। बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा। 

विवाह विच्छेद के क्या है नियम 

तलाक या विवाह शून्यता के लिए आवेदन करते समय, विवाह पंजीकरण, तलाक या विवाह शून्यता  का विवरण अदालत केस नंबर, अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी जमा करानी होगी। 

वसीयत आधारित उत्तराधिकार 

वसीयत तीन तरह से हो सकेगी। पोर्टल पर फॉर्म भर के, हस्तलिखित या टाइप वसीयत अपलोड करके या तीन मिनट की विडियो में वसीयत बनाकर अपलोड करने के जरिए। 

यूसीसी की यात्रा

यूसीसी लागू करना राज्य की धामी सरकार के लिए आसान नहीं था। इसकी यात्रा लंबी नहीं लेकिन कठिन जरूर रही। बता दें साल 2022 के विधानसभा में जनता से यूसीसी लाने का वादा करने के बाद सरकार ने इसपर प्राथमिकता से काम किया। 27 मई 2022 को यूसीसी पर विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। 02 फरवरी 2024 को यूसीसी पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इसके बाद 8 फरवरी 2024 को राज्य विधानसभा द्वारा अधिनियम अनुमोदित किया गया। 8 मार्च 2024 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा अधिनियम अनुमोदित किया गया। इसके बाद 12 मार्च 2024 को यूसीसी उत्तराखंड अधिनियम 2024 जारी हुआ।18 अक्टूबर 2024 को यूसीसी नियमावली प्रस्तुत की गई, और फिर 27 जनवरी 2025 को यूसीसी पूरे राज्य में लागू हुआ। 

यूसीसी के क्रियान्वयन की कार्ययोजना 

ऑनलाइन आवेदन के लिए पोर्टल (ucc.uk.gov.in) विकसित की गई है। कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) Training Partner के रूप में नामित किया गया है। क्रियान्वयन व प्रशिक्षण के लिए जिलों में नोडल अधिकारी नामित है। सहायता और तकनीकी परामर्श के लिए हेल्पडेस्क (1800-180-2525) स्थापित की गई है। विधिक प्रश्नों के समाधान के लिए जिला स्तरीय अधिकारी नियुक्त किए गए है। वहीं  नागरिक जागरूकता और अधिकारियों की सुविधा के लिए Short Video और Booklets बनाए गए हैं। 

पोर्टल और नियमावली का किया लोकार्पण

उत्तराखंड यूसीसी लागू करने के लिए सरकार ने करीब साल तक इसपर होमवर्क किया। यूसीसी के कार्यक्रम में पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण किया गया। ITDA द्वारा पंजीकरण को आसान बनाने के लिए पोर्टल विकसित किया गया है। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, सुबोध उनियाल, गणेश जोशी, रेखा आर्य, सौरभ बहुगुणा मौजूद रहे। UCC नियमावली समिति अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह सहित सभी सदस्य मौजूद रहे। 

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