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Uttarakhand: गोविंदघाट क्षेत्र में आपदा ही आपदा, हर बार बढ़ रही परेशानी

पिछले 17 साल में लगातार तीसरी बार गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब को जोड़ने वाला पुल टूटता है। परेशानी का यह सिलसिला लगातार थमने का नाम नहीं ले रहा। इससे पर्यटकों पर बिन बुलाए आफत आ ही जाती है।

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Ajit Kumar Pandey
HEMKUND

HEMKUND Photograph: (x)

देहरादून, वाईबीएन नेटवर्क ।

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गोविंदघाट क्षेत्र का नाम आते ही आपदा याद आ ही जाता है। अलकनंदा नदी पर बना पुल पिछले 17-18 सालों में 3 बार टूट चुका है। इससे हेमकुंड साहिब जाने वाले पर्यटकों और यात्रियों को काफी परेशानी होती है। 

आपदा ने इस क्षेत्र को दिए काफी जख्म 

बीते दिवस जब अचानक गोविंदघाट में बना पुल भूस्खलन की जद में आने से धराशायी हो गया तो यहां पर पिछले सालों में आई आपदाओं का मंजर भी आंखों के सामने आ गया। पिछले 17-18 सालों में आपदा से यहां बड़ी तबाही हुई है। बार-बार पुल टूटने से हेमकुंड साहिब जाने वाले यात्री खासे परेशान रहे हैं। 2013 की आपदा हो या उससे पहले 2007 में आई आपदा, सभी ने इस क्षेत्र को काफी जख्म दिए हैं। जिनसे उबरने में काफी समय लग जाता है। हर बार जब भी पुल टूटते हैं तो पुलना के ग्रामीणों का जीवन गांव तक ही सीमित रह जाता है।

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गोविंदघाट में कब-कब टूटे पुल

  1. 2007 में हेमकुंड साहिब जाने वाला झूला पुल टूटा था। 
  2. 2008 में यहां पर वाहन पुल बना और वह 2013 की आपदा में टूट गया। 
  3. 2013 की आपदा के बाद यहां पर घोड़ा पड़ाव पर अस्थायी छोटा पुल बनाया गया। जबकि गुरुद्वारा के पास भी अस्थायी झूला पुल बना था।
  4. 2015 में यहां पर 105 मीटर लंबा सस्पेंशन ब्रिज बनाया गया, जो बुधवार को ध्वस्त हो गया।

पुलना के अपने दर्द, देख रहे तबाही का मंजर

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पुलना गांव में वर्तमान में 101 परिवार निवास करते हैं। ग्रामीण इसी पुल से आवाजाही करते थे। पुल टूटने से ग्रामीणों के सामने आवाजाही का संकट गहरा गया है। पुलना वर्ष 2013 की आपदा से प्रभावित गांव है। उस समय लक्ष्मण गंगा में बाढ़ आने से गांव तबाह हो गया था।

ग्रामीण आपदा से उबरे ही थे कि अब पुल टूटने से आवाजाही का संकट खड़ा हो गया है। दैनिक जरूरतों को पूरा करना के साथ ही गांव में शादी विवाह को संपन्न कराना भी उनके बड़ी चुनौती रहेगा। अप्रैल में पुलना गांव में दो शादियां होनी हैं, जबकि एक महिला की डिलीवरी भी होनी है। ऐसे में अब लोग इसको लेकर चिंतित हो गए हैं।

ग्रामीणों के वाहन भी फंसे

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पुल टूटने से पुलना गांव के ग्रामीणों के वाहन भी फंस गए हैं। जिनके वाहन गोविंदघाट की तरफ थे वे यहीं फंस गए हैं जबकि कई ग्रामीणों के दोपहिया और चार पहिया वाहन पुलना की तरफ थे। पुल ध्वस्त होने से सभी तरह के वाहन फंस गए हैं।

मवेशियों के लिए बनी पुलिया से आवाजाही

पुलना के ग्रामीणों ने गोविंदघाट के पास नदी पर मवेशियों की आवाजाही के लिए कच्ची पुलिया बना रखी है। इससे वे अक्सर मवेशियों को इधर-उधर लाने ले जाने का काम करते हैं। अब मुख्य पुल के टूटने से लोग इसी पुलिया से आवाजाही कर रहे हैं।

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