कानपुर वाईबीएन संवाददाता।
अस्थमा नियंत्रित करने योग्य बीमारी है। इसकी जानकारी होने पर अगर आप सतर्क होकर डाक्टर की सलाह से छोटे छोटे प्रयास कर लेते हैं तो इस बीमारी की गंभीरता से बचा जा सकता है। इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिये सिगरेट व तंबाकू का इस्तेमाल करने से बचना होगा। यह बात आईएमए द्वारा विश्व अस्थमा दिवस पर आयोजित पत्रकार वार्ता में शहर के प्रमुख चिकित्सकों ने कही।
सभी के लिए इनहेलर उपचार सुलभ बनाएं
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज और आईएमए के संयुक्त प्रयास से आयोजित प्रेस वार्ता में डॉ नंदिनी रस्तोगी ने बताया की अस्थमा के बारे में जनसामान्य को जागरूक करना और उसके प्रभावी नियंत्रण के लिए शिक्षा और सहयोग को बढ़ावा देना है। इस वर्ष अस्थमा दिवस 2025 थीम "सभी के लिए इनहेलर उपचार सुलभ बनाएं" रखी गई है।
बच्चे बूढ़े सभी को परेशान करती अस्थमा की बीमारी
प्रेसवार्ता के दौरान वाइस प्रेसिडेंट डॉक्टर कुणाल सहाय ने जानकारी दी की अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो बच्चे से लेकर बड़े तक को परेशान करती है और विगत दिनों में टेक्नोलॉजी और साइंस के मिश्रण से इसके इलाज में काफी नवीनतम दवाइयां उपलब्धि हैं जो की इस्तेमाल करने में बेहद आसान है बच्चों और बड़े सभी के लिए।
प्रदूषण व सिगरेट तंबाकू से बढ़ रहे अस्थमा के मरीज
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के चेस्ट डिपार्टमेंट के पूर्व विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर सुधीर चौधरी ने बताया कि विगत वर्षों के मुकाबले सांस की बीमारियां प्रदूषण एवं सिगरेट तंबाकू के इस्तेमाल की वजह से बढ़ती जा रही है और इसकी रोकथाम और उपचार में दवाइयां के साथ सिगरेट तंबाकू का कंट्रोल भी बहुत आवश्यक है ।
अस्थमा गंभीर लेकिन नियंत्रित करने योग्य बीमारी
इस अवसर पर जीएसवीएम कॉलेज के मुरारीलाल अस्पताल के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉ. अवधेश कुमार ने बताया कि अस्थमा एक गंभीर लेकिन नियंत्रित करने योग्य बीमारी है। सही समय पर पहचान, नियमित इनहेलर उपयोग, और ट्रिगर से बचाव से रोगी सामान्य जीवन जी सकते हैं। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा इस दिशा में लगातार जन जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैंl
कानपुर में अस्थमा के मरीज बढ़ने का प्रमुख कारण वायु प्रदूषण
डॉ. मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कानपुर जैसे औद्योगिक शहरों में वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे में अस्थमा के लक्षणों की शीघ्र पहचान और नियमित इलाज अत्यंत आवश्यक है।
प्राथमिक उपचार का सबसे प्रभावी माध्यम है इनहेलर
रीजेंसी हॉस्पिटल के सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डाक्टर एके सिंह ने कहा कि आज भी कई मरीज इनहेलर को अंतिम विकल्प मानते हैं, जबकि यह प्राथमिक उपचार का सबसे प्रभावी माध्यम है। हमारा प्रयास है कि हम समाज में इनहेलर उपयोग का सही तरीका लोगो को बताएं ताकि कम खुराक से ज्यादा फायदा मरीजों को मिल सके वाइस प्रेसिडेंट डॉ अनुराग मेहरोत्रा के अनुसार अगर गंभीर स्थिति में आते हैं अथवा ऑक्सीजन लेवल कम हो तो आईसीयू में लेकर उपचार करना चाहिए। रेस्पिरेटरी फेल्योर या बेहोश मरीजों को वेंटिलेटर की भी आवश्यकता पड़ सकती है। आईएमए सचिव डॉ विकास मिश्रा ने बताया की बहुत कम या अधिक उम्र के लोग व जिनको हृदय, गुर्दा तथा मधुमेह के मरीजों को बचाव के लिए फ्लू व निमोनिया का टीका उपलब्ध है।अस्थमा कोई असाध्य रोग नहीं है।