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बिहार चुनाव 2025 से पहले एनडीए में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय हो गया है।
बीजेपी और जेडीयू को 101-101 सीटें, चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) को 29 सीटें और जीतन राम मांझी की ‘हम पार्टी’ को 6 सीटें मिली हैं। सतह पर यह संतुलित समझौता दिखता है, लेकिन इसके पीछे बीजेपी की गहरी रणनीति छिपी है।
बीजेपी ने नीतीश कुमार के साथ गठबंधन की एकता बनाए रखने के लिए समान सीटें दीं, ताकि चुनाव पूर्व कोई मतभेद न हो। लेकिन पार्टी की असली चाल है – बिहार की राजनीति में नया पावर सेंटर बनाना। चिराग पासवान को 29 सीटें देकर बीजेपी ने जेडीयू के विकल्प के रूप में एक युवा और महत्वाकांक्षी नेता को आगे बढ़ाने का संकेत दिया है। इससे भविष्य में अगर नीतीश कुमार की पकड़ कमजोर होती है, तो बीजेपी को एक नया सहयोगी चेहरा तैयार मिलेगा।
वहीं, मांझी की पार्टी को 6 सीटें देकर दलित-महादलित वोटबैंक साधने की कोशिश की गई है। कुल मिलाकर, यह सीट बंटवारा केवल गठबंधन की मजबूती नहीं बल्कि बीजेपी के “मास्टर प्लान” का हिस्सा है — जो बिहार की राजनीति में शक्ति संतुलन बदलने और एनडीए के भीतर बीजेपी की केंद्रीय भूमिका को और मजबूत करने की दिशा में उठाया गया कदम है।
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