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इस्कंदर मिर्जा से इमरान खान, अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सका कोई पाकिस्तानी PM

आपरेशन सिंदूर के दौरान एक खबर पाकिस्तानी मीडिया में ट्रेंड कर गई और वो थी पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की जेल में हत्या। कुछ दिनों पहले भी एक न्यूज वायरल हुई थी और वो थी सेना के एक मेजर का इमरान खान से रेप।

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Shailendra Gautam
Imran Khan

आपरेशन सिंदूर के दौरान एक खबर पाकिस्तानी मीडिया में ट्रेंड कर गई और वो थी पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की जेल में हत्या। कुछ दिनों पहले भी एक न्यूज वायरल हुई थी और वो थी सेना के एक मेजर का इमरान खान से रेप। ये खबरें कितनी सच्ची हैं इनका पता नहीं। लेकिन एक बात सोलह आने सच है और वो ये कि पाकिस्तान में सेना की माईबाप होती है। इतिहास को देखें तो ये बात शाश्वत सत्य है कि आज तक पाकिस्तान में कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका।

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पाकिस्तान ने एक उथल-पुथल भरा राजनीतिक इतिहास देखा है। 1947 में अपनी आजादी के बाद से पाकिस्तानी सेना ने तीन दशकों से ज्यादा समय तक देश पर सीधे शासन किया है। जो सरकारें बनीं वो सेना के हाथों की कठपुतली ही रहीं। सेना ने हमेशा से देश की विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और दूसरे मसलों को प्रभावित किया है। न्यायिक फैसलों की निगरानी से लेकर कुछ राजनीतिक दलों का समर्थन करने तक, पाकिस्तान के शासन में सेना की भूमिका बेहद गहरे से जुड़ी हुई है।

1958 में पहली दफा सेना ने किया था तख्तापलट

पाकिस्तान में 1958 में पहली दफा सेना ने तख्तापलट किया था। उस दौरान राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा थे। अक्टूबर 1958 में राष्ट्रपति इस्कंदर ने संविधान को निरस्त कर मार्शल लॉ घोषित कर दिया। जनरल अयूब खान को मुख्य मार्शल लॉ प्रशासक नियुक्त किया। कुछ ही दिनों बाद अयूब खान ने मिर्जा को हटाकर नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। यह पहली बार था जब पाकिस्तानी सेना ने सीधे सत्ता पर कब्जा किया। अयूब खान 11 साल तक पाकिस्तान के आका बने रहे। 

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जनरल जिया ने जुल्फिकार अली भुट्टो को दी थी फांसी

सेना की तरफ से दूसरा तख्तापलट 1977 में सामने आया। भारत में इमरजेंसी खत्म हुई थी और पाकिस्तान में शुरू। 5 जुलाई 1977 को जनरल जिया उल हक ने तत्कालीन प्रधान मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के खिलाफ तख्तापलट किया। भुट्टो को अरेस्ट करके उन्हें फांसी दे दी गई। जिया ने मार्शल लॉ लागू किया। 1988 में विमान दुर्घटना में अपनी मौत होने से पहले वो पाकिस्तान के सरपरस्त बनकर रहे।

मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को दिखाया था बाहर का रास्ता

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12 अक्टूबर 1999 को जनरल परवेज मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का तख्तापलट किया। जब शरीफ ने उन्हें बर्खास्त करने के बाद उनके विमान को लैंडिंग करने से रोका तो सेना आगबबूला हो गई। सेना ने प्रधानमंत्री को अरेस्ट कर लिया और संविधान को निलंबित कर दिया। मुशर्रफ ने 2008 तक पाकिस्तान पर शासन किया। पहले जनरल के तौर पर और फिर वो फुल फ्लैज प्रेजीडेंट बन बैठे।

इमरान कभी थे सेना के फेवरेट, अब हैं किरकिरी

इमरान खान को कभी सेना का पसंदीदा माना जाता था। उनको अप्रैल 2022 में पाकिस्तान की संसद में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से बेदखल कर दिया गया। इसका सारा तानाबाना तत्कालीन जनरल कमर जावेद बाजवा ने पर्दे के पीछे से तैयार किया था। इमरान पहले सेना की आंख का तारा थे। सेना ही उनको सत्ता में लेकर आई। लेकिन इमरान एग्रेसिव क्रिकेटर रहे थे। सेना का ज्यादा नियंत्रण वो बर्दाश्त नहीं कर सके। कुछ एक मौकों पर सार्वजनिक मंच से वो सेना की आलोचना करते देखे गए। 

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सेना गुस्से में आई तो पहले उनसे सत्ता ली गई। फिर उनको अदालत से समन भिजवाया। इमरान पेश नहीं हुए तो उनके घर पर हमला करके अरेस्ट किया गया। माना जा रहा था कि सेना उनकी हत्या कर देगी। लेकिन तत्कालीन चीफ जस्टिस आफ पाकिस्तान उमर अता बंदियाल ने सीधे तौर पर दखल देकर सेना को आदेश दिया कि वो इमरान को उनके सामने पेश करे। इमरान की जान तो बच गई पर उसके बाद से उनके खिलाफ इतने केस लाद दिए गए कि वो आदियाला जेल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। कभी उनके रेप की खबर आती है तो कभी हत्या की।  

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