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जिन्ना के धोखे से सुलगी थी चिंगारी, बलोच रिबेल्स को अब दिख रहा 1971 जैसा मौका

भारत पाकिस्तान के बीच चल रही जंग में शहबाज शरीफ सरकार को सबसे ज्यादा डर बलोचिस्तान को लेकर है। वो इस बात को लेकर सहमे हुए हैं कि कहीं तनाव के इस माहौल में बलोचिस्तान 1971 से पहले के पूर्वी पाकिस्तान की राह न पकड़ ले।

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Shailendra Gautam
IND Pak war

हथियारबंद रिबेल्स ने हाईजैक कर ली थी जाफर एक्सप्रेस

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दशकों से चल रहे सशस्त्र विद्रोह के चलते बलूचिस्तान का दक्षिण-पश्चिमी प्रांत फिलहाल पाकिस्तान का सबसे बड़ा सिरदर्द है। इसकी ताजा मिसाल तब मिली जब 11 मार्च की दोपहर को हथियारबंद हमलावरों ने जाफर एक्सप्रेस को रोकने के लिए रेलवे ट्रैक उड़ा दिए। इसमें 400 से ज़्यादा यात्री सवार थे। उस समय रमजान था और ईद से पहले आम लोग और सरकारी अधिकारी घर लौट रहे थे। ट्रेन एक सुरंग में जाकर रुकी। विद्रोहियों ने उन बलूच राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग की, जिन्हें रीक सेना ने अरेस्ट किया था। हालांकि रिबेल्स का यह आपरेशन 30 घंटे में ही खत्म हो गया लेकिन घेराबंदी के दौरान तकरीबन 21 यात्री और चार सुरक्षाकर्मी भी मारे गए।

बेहद अहम है कम आबादी वाला पाकिस्तान का सबसे बड़ा सूबा

 
बलूच आंदोलन की जड़ में पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना का विश्वासघात है। पाकिस्तान का सबसे बड़ा और सबसे कम आबादी वाला सूबा बलूचिस्तान हमेशा से ही स्वतंत्र होने का सपना संजोए हुए था। ब्रिटिशों ने रूसी चुनौती से निपटने के लिए इस क्षेत्र का इस्तेमाल एक बेस के तौर में किया था।

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भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान ने बलूचिस्तान का जबरन विलय करा लिया। यह वहां के लोगों को पसंद नहीं आया और उन्होंने स्वतंत्र बलूचिस्तान के लिए और भी आक्रामक रणनीति अपना ली। बीएलए और बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) जैसे कई सशस्त्र समूह इस संघर्ष में सबसे आगे हैं। पिछले कुछ वर्षों में मानवाधिकारों के हनन के कारण संघर्ष और भी बदतर हो गया है। बलूचों का आरोप है कि उनके आंदोलन को दबाने के लिए पाकिस्तानी सेना ज्यादती पर आमादा है।

ब्रिटिशों के कहने पर जिन्ना ने किया था कलात से धोखा

बलूचिस्तान को भारत और पाकिस्तान के साथ एक स्वतंत्र राज्य घोषित किया गया था। इस क्षेत्र में चार पूर्व रियासतें शामिल हैं खारन, मकरन, लास बेला और कलात। विभाजन से पहले रियासतों को तीन विकल्प दिए गए थे। या तो भारत या पाकिस्तान में शामिल हो जाएं या स्वतंत्र रहें। कलात ने अंतिम विकल्प चुना जबकि पहली तीन रियासतें पाकिस्तान के साथ चली गईं। 
जिन्ना ने भी शुरू में कलात की आजादी को स्वीकार कर लिया था। कलात के खान को जिन्ना पर भरोसा था कि वो उनके मित्र हैं और कलात की आजादी सुनिश्चित करेंगे। कलात ने 15 अगस्त, 1947 को आजादी की घोषणा की। लेकिन अंग्रेजों को डर था कि कलात को स्वतंत्र रहने देना जोखिम भरा होगा। उन्होंने पाकिस्तान पर कलात को अपने नियंत्रण में लाने का दबाव डाला और जिन्ना ने यू-टर्न ले लिया।
अक्टूबर 1947 में जिन्ना ने कलात के खान को पाकिस्तान के साथ विलय करने की सलाह दी। लेकिन उन्होंने इन्कार कर दिया। 18 मार्च, 1948 को, जिन्ना ने खारन, मकरन, लास बेला के विलय की घोषणा की, जिससे कलात अलग थलग पड़ गया उसके बाद पाकिस्तान ने जबरन कलात का विलय करा लिया।

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बांग्लादेश बनने के बाद से संघर्ष हो गए ज्यादा हिंसक 


बलूचों को पाकिस्तान का ये रवैया रास नहीं आया और वहां विद्रोह शुरू हो गए। 1970 के दशक में पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता से बलूचों का हौसला बढ़ा और उन्होंने अधिक स्वायत्तता की मांग उठाई। लेकिन जुल्फिकार अली भुट्टो ने इन्कार कर दिया। जिससे वहां बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए और फिर तनातनी इतनी बढ़ी कि 1973 में बलूचिस्तान की अकबर खान बुगती की सरकार बर्खास्त कर दी गई। पाकिस्तान ने बड़े पैमाने पर अभियान चलाया तो सशस्त्र विद्रोह भड़क उठा, जिसमें हजारों सशस्त्र आदिवासियों ने पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 

भारत का हमले के बाद विद्रोहियों को दिख रहा 1971 जैसा मौका

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यह चार साल तक चला। जनरल जिया-उल-हक ने भुट्टो को हटाया तो उसके बाद बलूचों को माफी दे दी गई और पाकिस्तानी सैनिकों को बलूचिस्तान से वापस बुला लिया गया। कुछ समय तक ये इलाका शांत रहा लेकिन फिर से सुलग उठा। उसके बाद से बलूचिस्तान के रिबेल्स ने सरकार की नाक में दम कर रखा है। भारत ने पहलगाम के विरोध में कार्रवाई की तो विद्रोहियों को इसमें सुनहरा मौका दिखा। उन्होंने अपने तेवर दिखाते हुए 12 पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी। उनकी रणनीति से साफ है कि अगर भारत पाकिस्तान को दबा देता है तो वो आरपार की लड़ाई लड़ेंगे। 

Pakistan, Balochistan, India

bharat vs pakistan 8 May attack India
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