Advertisment

life Sobbing in Sand: खाड़ी में भारतीय कामगारों की अनकही दास्तान, पढ़ें एक गहन विश्लेषण

खाड़ी देशों में लाखों भारतीय कामगार बेहतर भविष्य की उम्मीद में जाते हैं, पर उन्हें शोषण, अन्याय और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनका सपना धूमिल हो जाता है।

author-image
Ajit Kumar Pandey
GULF

GULF COUNTRIES

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।

Advertisment

रेत के टीलों से घिरे, चकाचौंध से भरपूर खाड़ी देशों में लाखों भारतीय कामगार अपनी तकदीर बदलने का सपना लेकर आते हैं। लेकिन अक्सर उनका यह सपना रेत के तूफानों में कहीं खो जाता है। वे बेहतर भविष्य की तलाश में आते हैं, लेकिन उन्हें मिलता है शोषण, अन्याय और दुखों का अंतहीन सिलसिला।

खाड़ी देश (GCC) जैसे सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कतर, कुवैत, ओमान और बहरीन में भारतीय कामगारों की संख्या करोड़ों में है। ये मजदूर विदेशों में रोजगार की तलाश में जाते हैं, लेकिन उनके सामने अक्सर मजदूरी में देरी, शोषण, खराब रहन-सहन और कानूनी समस्याएं आती हैं। यह स्टोरी उन चुनौतियों को उजागर करेगी जिनका सामना खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीय मजदूरों को करना पड़ता है।

भारतीय प्रवासी मजदूरों का खाड़ी देशों में महत्व

Advertisment

आंकड़े और तथ्य: खाड़ी देशों में लगभग 89 लाख भारतीय कामगार रहते हैं (MEA, 2023)।

  • सबसे ज्यादा भारतीय UAE (3.5 मिलियन) और सऊदी अरब (2.6 मिलियन) में हैं।
  • ये मजदूर प्रतिवर्ष 40-50 बिलियन डॉलर रेमिटेंस भारत भेजते हैं।

नौकरियों के प्रकार

Advertisment
  • निर्माण क्षेत्र (Construction) : सबसे ज्यादा मजदूर।
  • घरेलू कामगार (Domestic Workers) : महिलाएं अक्सर हाउसमेड के तौर पर काम करती हैं।
  • ड्राइवर, सेल्समैन, हेल्थकेयर वर्कर।

शोषण की कहानी

 saudi arabia | saudi : खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीय कामगारों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। एजेंटों द्वारा धोखे से लेकर, कम वेतन, असुरक्षित कार्यस्थल, और अमानवीय व्यवहार तक, उनकी जिंदगी एक संघर्ष बन जाती है। कई बार उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते हैं, जिससे वे बंधुआ मजदूर बन जाते हैं। उन्हें लंबे समय तक काम करना पड़ता है, और उनकी शिकायतों को अक्सर अनसुना कर दिया जाता है।

Advertisment

भारतीय मजदूरों के सामने प्रमुख समस्याएं...

मजदूरी में देरी या गबन

  • कई कंपनियां महीनों तक वेतन नहीं देतीं।
  • कफाला सिस्टम (Kafala System) के तहत मजदूरों का पासपोर्ट जब्त कर लिया जाता है।

न्यूनतम वेतन का अभाव

  • कई देशों में न्यूनतम वेतन कानून नहीं है।
  • भारतीय मजदूरों को स्थानीय लोगों से कम वेतन मिलता है।

रहन-सहन की खराब स्थिति

ओवरक्राउडेड लेबर कैंप: 8-10 मजदूर एक कमरे में रहने को मजबूर और गर्मी में 50°C तापमान में बिना AC के रहना।

स्वच्छता और भोजन की समस्या: गंदे पानी और खराब खाने से बीमारियां फैलती हैं।

कानूनी और मानवाधिकार उल्लंघन

खाड़ी देशों के कठोर श्रम कानून अक्सर कामगारों के खिलाफ होते हैं। "कफाला प्रणाली" जैसी प्रथाएं नियोक्ताओं को असीमित शक्ति देती हैं, जिससे कामगारों का शोषण आसान हो जाता है। कानूनी मदद की कमी और भाषा की बाधाएं उनकी समस्याओं को और बढ़ा देती हैं।

कानूनी दांवपेंच व मानवाधिकार उल्लंघन

पासपोर्ट जब्ती और फंसे हुए मजदूर: कई मजदूरों को बिना वेतन या वीजा के फंसा दिया जाता है।

शारीरिक और मानसिक शोषण: कुछ मामलों में मजदूरों को मारपीट और यौन शोषण का सामना करना पड़ता है।

महिला कामगारों की दुर्दशा

हाउसमेड के रूप में शोषण: कई महिलाओं को 16-18 घंटे काम करना पड़ता है। यौन उत्पीड़न के मामले अक्सर दबा दिए जाते हैं।

मानवीय त्रासदी

कई कामगारों को गंभीर चोटें लगती हैं, और कुछ तो अपनी जान भी गंवा देते हैं। उनके परिवारों को अक्सर न्याय नहीं मिलता, और वे गहरे दुख में डूब जाते हैं। मानसिक और भावनात्मक तनाव भी एक बड़ी समस्या है, जो कई कामगारों को तोड़ देती है।

सरकार की भूमिका

भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं, जैसे कि दूतावासों में सहायता केंद्र और ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली। लेकिन जमीनी स्तर पर अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। कामगारों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करना, कानूनी सहायता प्रदान करना, और खाड़ी देशों के साथ मिलकर काम करना आवश्यक है।

भारत सरकार के कदम

ई-मिग्रेट सिस्टम (eMigrate Portal): लीगल रिक्रूटमेंट के लिए पोर्टल बनाया गया।

मजदूर हेल्पलाइन और दूतावास सहायता: UAE और सऊदी अरब में 24x7 हेल्पलाइन चलाई जाती है।

खाड़ी देशों में सुधार

कफाला सिस्टम में ढील: कतर ने 2020 में कफाला सिस्टम खत्म किया। सऊदी अरब ने "मुक्त वीजा" (Free Visa) की शुरुआत की।

क्या समाधान संभव है ?

अंतरराष्ट्रीय श्रम कानूनों का पालन: ILO (International Labour Organization) के नियमों को सख्ती से लागू करना।

भारत सरकार को और सक्रिय होना चाहिए: अधिक दूतावास स्टाफ और तेज शिकायत निवारण।

जागरूकता बढ़ाना: मजदूरों को कॉन्ट्रैक्ट की जानकारी देना जरूरी है।

खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीय मजदूरों की समस्याएं गंभीर हैं, लेकिन सरकारी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयासों से स्थिति सुधारी जा सकती है। जरूरत है कानूनी सुरक्षा, बेहतर रहन-सहन और शोषण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की।

एक उम्मीद की किरण

कुछ गैर-सरकारी संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता कामगारों की मदद के लिए आगे आए हैं। वे उन्हें कानूनी सहायता, आश्रय और भोजन प्रदान करते हैं। उनकी कहानियां दुनिया तक पहुंचाते हैं, और न्याय की मांग करते हैं।

खाड़ी देशों में भारतीय कामगारों की समस्याएं एक गंभीर मानवीय मुद्दा है। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम उनकी आवाज बनें, उनकी मदद करें, और उनके लिए न्याय की मांग करें। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी मेहनत और बलिदान व्यर्थ न जाए।

saudi arabia saudi
Advertisment
Advertisment