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इमरान खान को ठिकाने लगाने का ईनाम, मुनीर बने पाकिस्तान के दूसरे फील्डमार्शल

दिलचस्प बात ये है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद आपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के बुरी तरह से मुंह की खाने के बाद ये फैसला लिया गया। मुनीर को ये ईनाम पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर इमरान खान को नेस्तनाबूद करने के लिए दिया गया।

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Shailendra Gautam
ASIM MUNIR PAKISTAN NEWS

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः पाकिस्तान सरकार ने घोषणा की है कि पाकिस्तानी सेना के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया जा रहा है। इससे वे फील्ड मार्शल अयूब खान के बाद पाकिस्तानी सेना के इतिहास में दूसरे फील्ड मार्शल बन गए हैं। दिलचस्प बात ये है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद आपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के बुरी तरह से मुंह की खाने के बाद ये फैसला लिया गया। मुनीर को ये ईनाम पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर इमरान खान को नेस्तनाबूद करने के लिए दिया गया। शहबाज शरीफ को पता है कि इमरान आज भी उनसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। अकेले मुनीर ही वो शख्स हैं जो इमरान को हमेशा के लिए खत्म करने की ताकत रखते हैं।

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जानिए पाकिस्तानी सेना के पहले फील्ड मार्शल कौन थे?

मोहम्मद अयूब खान पाकिस्तानी सेना के पहले फील्ड मार्शल थे। वो 1958 से 1969 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे। अयूब खान ने 1958 में तख्तापलट करने और खुद को देश का राष्ट्रपति बनाने के बाद सेना में सर्वोच्च सैन्य पद पर खुद को पदोन्नत किया था। अगले ही साल 1959 में सेना से सेवानिवृत्ति की उम्र के करीब आने पर अयूब खान ने खुद को फील्ड मार्शल का पद दे दिया। अयूब खान ने राष्ट्रपति बनने के बाद जनरल मूसा खान को पाकिस्तानी सेना का कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया था। उसके बाद वे सेना की सक्रिय कमान में नहीं रहे और देश चलाने पर ध्यान केंद्रित किया।

मुनीर ने शहबाज शरीफ को धमकाकर कराया फैसला

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पाकिस्तान ने जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत करके एक बार फिर पुष्टि कर दी है कि देश में वर्दी सर्वोच्च है। इस कदम पर संसद में बहस नहीं हुई। जनता ने इसकी मांग नहीं की। इसे समझाया भी नहीं गया। शहबाज शरीफ की सरकार को धमकाकर यह फैसला कराया गया। असीम मुनीर की पदोन्नति इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इस्लाम (पीटीआई) पर कार्रवाई और भारत के साथ हाल ही में हुए संघर्ष के तुरंत बाद हुई है। पाकिस्तानी सेना का संदेश जोरदार और स्पष्ट है। यह वफादारी, बल को पुरस्कृत करती है और अपनी विरासत खुद लिखती है।

फैसले से मुनीर को मिली बेजोड़ ताकत

प्रमोशन का मतलब है कि मुनीर को भविष्य के सेना प्रमुखों से परे अधिकार प्राप्त होंगे। उन्हें जांच, जवाबदेही या सेवानिवृत्ति के बाद मुकदमेबाजी से सरकारी इम्युनिटी मिलती रहेगी। असीम मुनीर अपनी सेवानिवृत्ति तक पाकिस्तानी सेना के सेनाध्यक्ष बने रहेंगे। वो 2025 में सेना से सेवानिवृत्त हो जाते लेकिन नवंबर 2024 में पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने सेना, नौसेना और वायु सेना प्रमुखों के कार्यकाल को तीन साल से बढ़ाकर पांच साल कर दिया। अब वो 2027 में सेवानिवृत्त होंगे।

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फील्ड मार्शल अयूब खान के उलट मुनीर को मार्शल लॉ घोषित करने की जरूरत नहीं है। उन्हें वर्दीधारी तख्तापलट की जरूरत नहीं है। उनका वर्चस्व पहले से ही स्थापित है। खुफिया जानकारी से लेकर आंतरिक सुरक्षा तक, मीडिया की कहानियों से लेकर राजनीतिक नतीजों तक फील्ड मार्शल मुनीर अब पाकिस्तान के शासन के सबसे महत्वपूर्ण लीवर की कमान संभालते हैं। उनकी औपचारिक पदोन्नति के साथ उनकी पकड़ बेजोड़ हो गई है। इतनी कि उन पर हाथ डालने की जुर्रत कोई नहीं कर सकता।

इमरान खान ने की थी नकेल कसने की कोशिश

असीम मुनीर इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस (ISI) के सबसे कम समय तक सेवा देने वाले प्रमुख रहे हैं। उन्हें अक्टूबर 2018 में सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने ISI प्रमुख नियुक्त किया था। लेकिन आठ महीने बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के आग्रह पर उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद से बदल दिया गया। इमरान खान के पाकिस्तानी सेना के साथ विवाद होने और 2022 में सत्ता से बेदखल होने के तुरंत बाद लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को सेना प्रमुख नियुक्त किया गया। इमरान खान  मुनीर की नियुक्ति का विरोध कर रहे थे।

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मुनीर ने 1986 में सेकेंड लेफ्टिनेंट के रूप में अपना सैन्य करियर शुरू किया था। उस दौरान जनरल जिया-उल-हक पाकिस्तान पर शासन कर रहे थे। नवंबर 2016 में जनरल बाजवा के सेना प्रमुख बनने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर तेजी से रैंक में ऊपर उठे। फिर इमरान खा की तीसरी पत्नी बुशरा बेगम की जासूसी के मसले पर विवाद हुआ और दोनों कट्टर दुश्मन बन गए। इमरान खान फिलहाल जेल में लापता हैं और बुशरा बाहर। कहा तो ये भी जा रहा है कि मुनीर इमरान के साथ अमानवीय जुल्म (रेप) तक करवा रहे हैं लेकिन वो किस हाल में हैं अदालतें भी जानने की कोशिश नहीं कर रहीं। बुशरा नवंबर 2024 को इस्लामाबाद के डी चौक पर हुए नरसंहार के बाद से लापता हैं। कहा जा रहा है कि वो मुनीर की गिरफ्त में हैं लेकिन यहां भी कोई अदालत उनके हाल को लेकर फिक्रमंद नहीं दिख रही। 

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