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बदहाल पाकिस्तान में बदल रही बयार, कहीं ये तख्तापलट के तो नहीं आसार ?

इमरान खान ने एक ट्वीट में कहा कि वो सेना से बात करने के इच्छुक हैं। सबसे अहम बात जो इमरान ने कही वो ये थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जो कह रहे हैं कि डील की वजह से सीज फायर हुआ, ऐसा कुछ भी नहीं है।

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Shailendra Gautam
Pak Army Chief

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः  पिछले कुछ दिनों के दौरान पाकिस्तान की राजनीति ने तेजी से करवट ली है। आसिम मुनीर देश के सबसे ताकतवर शख्स बनकर उभरे हैं। लेकिन इन सबके बीच एक बात जो चौंकाने वाली है वो ये कि पाकिस्तानी सेना के जनरल आसिम मुनीर का इमरान खान के प्रति रवैया तेजी से बदलता जा रहा है। विश्लेषक मानते हैं कि ऐसा लगता है कि पाकिस्तान में बयार तेजी से बदल रही है। मुनीर तख्तापलट कर सकते हैं। शहबाज शरीफ उनको रोकने का माद्दा रखते नहीं हैं और इमरान पुराने रंग में रहे नहीं। 

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शरीफ को घुड़की मारकर फील्ड मार्शल बने हैं मुनीर

पाकिस्तान की बदलती बयार का एहसास तब हुआ जब आपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद शहबाज शरीफ सरकार ने आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल का ओहदा दे डाला। पड़ोसी मुल्क के इतिहास में ये दूसरी बार हुआ जब कोई जनरल फील्ड मार्शल की कुर्सी पर काबिज हुआ है। मुनीर से पहले अयूब खान फील्ड मार्शल बने थे। हालांकि दोनों मामलों में बुनियादी अंतर ये है कि अयूब खान ने तख्तापलट करने के बाद खुद को फील्डमार्शल घोषित कर दिया था। मुनीर के मामले में हालात अलग हैं। मुनीर ने ये फैसला शहबाज शरीफ की सरकार से कराया। हालांकि शरीफ इसे अपना फैसला करार दे रहे हैं। लेकिन जानकार कहते हैं कि शरीफ की हिम्मत भी नहीं है जो वो आसिम मुनीर के खिलाफ जाकर कोई काम कर सकें। 

2027 तक मुनीर की कुर्सी पर कोई आंच नहीं

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मुनीर इससे पहले 2024 में सरकार से एक और अहम फैसला पहले ही करा चुके हैं। वो था जनरल के तौर पर उनका सेवा विस्तार। उम्र के हिसाब से मुनीर को 2025 में जनरल की कुर्सी छोड़ देनी थी। अलबत्ता शहबाज शरीफ पर दबाव डालकर उन्होंने सरकार से प्रस्ताव पास करा लिया था कि वो 2027 तक जनरल बने रहेंगे। यानि अगले दो साल तक वो सर्वेसर्वा बने रहेंगे। 

इमरान से बहन की मुलाकात का मतलब साफ है

अब आते हैं कि सिक्के के दूसरे पहलू की तरफ। मुनीर ने शहबाज शरीफ पर दबाव डालकर अपने मनमाफिक फैसले तो कराए लेकिन वो उनको ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं। इसकी बानगी तब दिखी जब बीते दिनों जेल में बंद इमरान खान से उनकी बहन की मुलाकात हुई। सेना की मर्जी के बगैर ये नहीं हो सकता था। बहन की इमरान से मुलाकात का मतलब था कि वो जेल में दुरुस्त हैं। मिंट की एक रिपोर्ट कहती है कि सेना इमरान खान को घर में नजरबंद करने का फैसला भी लेने के मूड़ में है। मतलब साफ है कि मुनीर से इमरान के रिश्ते तेजी से सुधरे हैं। army 

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इमरान खान के ट्वीट में दिखा मुनीर का समर्थन

इमरान खान ने हाल ही में एक ट्वीट भी किया था। इसमें पाकिस्तान को जंगलराज बताकर उन्होंने मुनीर को कुछ राहत भी दी। उनका कहना था कि भारत के साथ जंग के माहौल में अगर वो बाहर आते हैं तो देश के लिए काफी कुछ कर सकते हैं। इमरान का कहना था कि वो सेना से बात करने के इच्छुक हैं। सबसे अहम बात जो इमरान ने कही वो ये थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जो कह रहे हैं कि डील की वजह से सीज फायर हुआ, ऐसा कुछ भी नहीं है। कहीं कोई डील नहीं हुई। इमरान की ये बात मुनीर के लिए राहत की बात है। पाकिस्तान में इस समय मुनीर ज्यादा पापुलर नहीं हैं। ट्रंप के बयान के बाद माना जा रहा था कि डील शहबाज तो करने से रहे। अगर अमेरिका से कोई डील हुई है तो वो आसिम मुनीर ने अपने फायदे के लिए की होगी। 

मुनीर और इमरान फिलहाल एक दूसरे की जरूरत

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जानकार कहते हैं कि मुनीर के लिए इमरान खान एक जरूरत के तौर पर उभरे हैं तो इमरान के पास कोई दूसरा रास्ता फिलहाल नहीं दिखता। मुनीर को पता है कि लोकप्रियता के मामले में इमरान खान शरीफ परिवार से मीलों आगे हैं। उनका इस्तेमाल मुनीर अपने फायदे के लिए कर सकते हैं। दूसरी तरफ इमरान को पता है कि जेल से बाहर आना है तो मुनीर की सरपरस्ती मंजूर करनी ही पड़ेगी। नहीं तो जो हालात हैं उनमें जेल उनकी आखिरी पनाहगाह साबित हो सकती है। कुछ रिपोर्ट्स इशारा कर रही हैं कि जिस तरह के हालात बनते जा रहे हैं उनमें तख्तापलट की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। मुनीर खुद को इस्लाम परस्त घोषित कर चुके हैं। राजनीतिक दल चाहे इमरान हों या शरीफ परिवार उनका विरोध करने की हालत में नहीं है। सेना के कुछ अफसरों और पब्लिक विरोध में है तो उसे इमरान खान बखूबी संभाल सकते हैं। 

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