नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने मंत्रियों और विधायकों को सार्वजनिक मामलों पर राज्य की राजधानी में अधिकारियों के साथ समन्वय करने के लिए हर हफ्ते दो दिन-मंगलवार और बुधवार-चंडीगढ़ में रहने का निर्देश दिया है।
माना जा रहा है कि बीजेपी ने ये फैसला चुनाव में हारे बीजेपी नेताओं से मिले फीडबैक के आधार पर लिया है। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी ने पिछले दिनों हरियाणा विधानसभा चुनाव में औसत प्रदर्शन के मद्देनजर जो बैठक बुलाई थी उसमें कई नेताओं का कहना था कि उनकी हार की वजह नौकरशाही थी। अफसर उनकी सुनते नहीं जिसकी वजह से लोगों के काम नहीं हो पाते। चुनाव आने पर लोग उनके खिलाफ हो जाते हैं। इस फीडबैक के बाद राजनीतिक विवाद सुलझाने के लिए ये फैसला लिया गया कि जो मंत्री और विधायक हैं वो दो दिनों तक अफसरों के साथ बेहतर तालमेल बनाएं, जिससे जनता के काम हो सकें।
बीजेपी अध्यक्ष बोले- इससे लोगों को सहूलियत मिलेगी
हरियाणा भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बडोली ने एक अखबार से कहा कि अधिकारियों के साथ समन्वय बनाने के लिए मंत्रियों और विधायकों को पांच दिन फील्ड में और बाकी दो दिन चंडीगढ़ में बिताने चाहिए। इससे लोगों की परेशानी का समाधान वो बेहतर तरीके से करा सकेंगे। अधिकारी ज्यादा चौकचौबंद भी हो जाएंगे।
बडोली ने सीधे जनता से जुड़ने पर जोर देते हुए कहा कि हर 15 दिन में एक बार मंत्रियों और विधायकों को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी के जिला मुख्यालयों में उपस्थित होना चाहिए, ताकि लोग उनसे मिल सकें और अपनी शिकायतें बता सकें। उन्होंने मंत्रियों को निर्देश दिया कि वो जनता की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए जिला मुख्यालयों के लिए अपने कार्यक्रम पहले ही घोषित कर दें।
बनेगा मंत्रियों का मूल्यांकन करने वाला वार्षिक रिपोर्ट कार्ड
हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष ने बताया कि राज्य भाजपा नेतृत्व शासन के प्रदर्शन और जनता तक पहुंच के आधार पर मंत्रियों का मूल्यांकन करने वाले वार्षिक रिपोर्ट कार्ड पेश करने की योजना बना रहा है, जिसे मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। इसके अलावा, प्रत्येक मंत्री को अपने विभाग के भीतर कम से कम एक पायलट प्रोजेक्ट की देखरेख करनी होगी।
बडोली ने कहा की कि भाजपा का संगठनात्मक उत्सव जारी है। राष्ट्रीय और राज्य अध्यक्षों के चुनाव अभी होने बाकी हैं। हालांकि, नए सदस्यों के शामिल होने पर अस्थायी रोक लगी हुई है, लेकिन कुछ लोग काम के नजरिए से भाजपा में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि नए सदस्यों को लाभ के पद की आकांक्षा किए बिना दो साल की सेवा समर्पित करनी होगी। तभी वो बीजेपी में शामिल हो सकेंगे।
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