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DGP झारखंड सरीखे अंदाज में कभी ममता बनर्जी से भिड़ गई थी मोदी सरकार

नौकरशाह को लेकर किसी सूबे से delhiकी ये पहली लड़ाई नहीं है। 2021 में modi सरकार पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रट्री को लेकर mamata banerjee से खूब लड़ी थी।

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Shailendra Gautam
MODI

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः झारखंड के डीजीपी को लेकर फिलहाल हेमंत सोरेन और दिल्ली के बीच जमकर बवाल मचा हुआ है। अमित शाह की मिनिस्ट्री से झारखंड सरकार को एक के बाद एक करके तीन खत भेजे जा चुके हैं। दिल्ली कह रही है कि डीजीपी को हेमंत अपनी मर्जी से सेवा विस्तार नहीं दे सकते। लेकिन हेमंत हैं कि डीजीपी को हटाने का नाम तक नहीं ले रहे। अनुराग गुप्ता अपनी कुर्सी पर जमे बैठे हैं। भले ही उन्हें तनख्वाह न मिल पा रही हो लेकिन रुतबा तो बदस्तूर कायम है।

ममता को नहीं झुका पाया था केंद्र

नौकरशाह को लेकर किसी सूबे से दिल्ली की ये पहली लड़ाई नहीं है। 2021 में नरेंद्र मोदी सरकार पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रट्री को लेकर ममता बनर्जी से खूब लड़ी थी। पहले लड़ाई केंद्र और पश्चिम बंगाल की सरकार के बीच हुई फिर ये कलकत्ता हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंची। झारखंड के डीजीपी और पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेट्री दोनों के मामले में एक चीज कामन है, वो ये ही मुख्यमंत्री मानने को तैयार नहीं हैं। अलपन बंधोपाध्याय के मामले ममता नहीं मानीं तो अनुराग गुप्ता के मसले पर हेमंत सोरेन झुकने को तैयार नहीं हैं। कुल मिलाकर ये लड़ाई भी दिलचस्प हो चली है।  

जानिए क्या था पश्चिम बंगाल का मामला

इसकी शुरुआत 28 मई 2021 को पश्चिम मेदिनीपुर जिले के कलाईकुंडा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक मीटिंग से हुई। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उस समीक्षा बैठक में शामिल नहीं हुईं। मुख्यमंत्री अपने मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय के साथ आईं और प्रधानमंत्री के साथ चंद मिनटों की मुलाकात करके चली गईं। उनका कहना था कि वो व्यस्त हैं। हालांकि बाद में ममता ने कहा था कि शुभेंदु अधिकारी को लेकर उनका पारा चढ़ा था। वो तब पीएम के साथ ही थे। ममता और अलपन ने छोटी सी मुलाकात के दौरान पीएम को चक्रवात यास से हुए नुकसान पर एक रिपोर्ट सौंपी थी। ममता पहले भी मोदी से टकरा चुकी थीं लेकिन पीएम को ये नागवार गुजरा कि अलपन ने भी उनकी परवाह नहीं की। केंद्र-राज्य का टकराव तब और बढ़ गया जब कुछ घंटों बाद केंद्र ने बंगाल सरकार को एक पत्र भेजकर बंद्योपाध्याय को कार्यमुक्त करने को कहा ताकि वो 31 मई को सुबह 10 बजे तक केंद्र सरकार में शामिल हो सकें। यह तब हुआ जब मोदी सरकार ने अभी-अभी अलपन को तीन माह का सेवा विस्तार दिया था।

ममता के कहने पर पीएम ने खुद दिया था अलपन को एक्सटेंशन

पश्चिम बंगाल कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बंद्योपाध्याय का विस्तार 31 मई, 2021 को खत्म होना था। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने इस विस्तार को मंजूरी दी। हालांकि 28 मई को ही जारी एक आदेश में कहा गया कि एसीसी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) नियम, 1954 के नियम 6(1) के प्रावधानों के अनुसार भारत सरकार के साथ बंद्योपाध्याय की सेवाओं को तत्काल प्रभाव से मंजूरी दे दी है। राज्य सरकार से अधिकारी को कार्यमुक्त करने को कहा। उन्हें 31 मई को सुबह 10 बजे तक डीओपीटी नॉर्थ ब्लॉक, नई दिल्ली में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया। 

दिल्ली ने शिकंजा कसा तो ममता ने बना लिया था सलाहकार

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अधिकारी को कार्यमुक्त करने से इन्कार कर दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 28 मई के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया। मोदी नहीं माने तो ममता ने घोषणा की कि बंद्योपाध्याय सेवानिवृत्त हो गए हैं और उन्हें तीन साल के लिए वो अपना सलाहकार बना चुकी हैं।

मोदी सरकार ने नहीं मानी थी हार, चलती रही लड़ाई

अलपन को लेकर ये लड़ाई उनके रिटायर होने के बाद भी चलती रही। सरकार ने उन्हें चार्जशीट किया तो कैट ने उन्हें कई नोटिस जारी किए। हद तो तब हो गई जब कैट ने उनकी सुनवाई को दिल्ली की बेंच में तब्दील कर दिया। अलपन कलकत्ता हाईकोर्ट गए और रिट दायर की। हाईकोर्ट ने कैट के फैसले को खारिज कर दिया गया। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में शामिल नहीं होने के लिए केंद्र ने बंद्योपाध्याय के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। उन्होंने आरोप पत्र के खिलाफ कैट की कोलकाता बेंच का दरवाजा खटखटाया था और मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया था। इसके बाद केंद्र ने नई दिल्ली में कैट के अध्यक्ष को मामले को कोलकाता से बाहर स्थानांतरित करने के लिए याचिका दायर की, जिसे तुरंत अनुमति दे दी गई। इस आदेश से व्यथित होकर बंद्योपाध्याय ने कोलकाता हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की। अदालत की एक डबल बेंच ने पूर्व मुख्य सचिव के पक्ष में फैसला सुनाया। cm mamata banerjee

हाईकोर्ट से हारा केंद्र तो चला गया सुप्रीम कोर्ट

हालांकि केंद्र हार मानने के मूड़ में कभी नहीं दिखा। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया। 

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DGP Jharkhand, West bengal, CM Mamata, PM Modi, Chief Secretary Bandyopadhyay

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