नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः छत्तीसगढ़ कोयला लेवी घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अंतरिम जमानत दिए जाने के दो दिन बाद दो निलंबित आईएएस और मुख्यमंत्री कार्यालय की एक पूर्व उप सचिव शनिवार को जेल से बाहर आ गए। आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई, रानू साहू के साथ पिछली भूपेश बघेल सरकार के दौरान सीएमओ में उप सचिव रहीं सौम्या चौरसिया को जेल से रिहा कर दिया गया। इनके साथ तीन अन्य को भी रायपुर सेंट्रल जेल से रिहा किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने आठ लोगों को अंतरिम जमानत दी थी, जिनमें से दो व्यक्ति - सूर्यकांत तिवारी और निखिल चंद्राकर को अन्य लंबित मामलों के कारण रिहा नहीं किया गया है।
कोयला-लेवी घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का शक
ईडी 2022 से कथित कोयला-लेवी घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग एंगल की जांच कर रहा है। एजेंसी ने अक्टूबर 2022 में विश्नोई और उसी साल दिसंबर में चौरसिया को गिरफ्तार किया था। केंद्रीय एजेंसी ने जुलाई 2023 में साहू को हिरासत में लिया था। नौकरशाहों को कथित कोयला-लेवी घोटाले से जुड़े दो मामलों में अंतरिम जमानत दी गई है, जिनमें से एक ईडी की तरफ से जबकि दूसरा राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने दर्ज किया था।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दो दिन पहले मिली थी जमानत
जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने गुरुवार को आरोपियों को अंतरिम जमानत देते हुए उन पर कई शर्तें लगाईं। राज्य सरकार से गवाहों के बीच विश्वास पैदा करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने साहू, विश्नोई और चौरसिया को अगले आदेश तक छत्तीसगढ़ में न रहने का निर्देश दिया है। हां वो केवल तब सूबे में आ सकते हैं जब उन्हें जांच एजेंसी या ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने की आवश्यकता हो। बेंच ने आदेश दिया है कि उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य के बाहर अपने रहने के पते को रिहा होने के एक सप्ताह के भीतर अधिकार क्षेत्र वाले पुलिस स्टेशन को देने का भी निर्देश दिया जाता है। trendig news | chattisgarh CM | Judiciary
कोयला कार्टेल पर 540 करोड़ की वसूली का आरोप
जांच एजेंसियों के अनुसार वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों (पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान) से जुड़े एक कार्टेल द्वारा राज्य में परिवहन किए गए प्रत्येक टन कोयले के लिए 25 रुपये प्रति टन का अवैध शुल्क वसूला जा रहा था। सूर्यकांत तिवारी जैसे निजी व्यक्तियों और चौरसिया, विश्नोई और खनन अधिकारियों सहित राज्य सरकार के अधिकारियों से मिलकर बने एक सिंडिकेट ने खनिज परिवहन से संबंधित नीति में बदलाव किए थे। आरोप है कि हाथ से लिखी डायरी के अनुसार जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच कोयला कार्टेल द्वारा 540 करोड़ रुपये की नकदी वसूली गई।
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