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सामने था रिटायर्ड जज का एक फैसला और Supreme Court में लगते रहे ठहाके

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत भी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से हैं। जब फैसला उनकी समझ में नहीं आया तो उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि शुक्र है कि सुरेश्वर ठाकुर अब NRIs की जिम्मेदारी हैं।

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Shailendra Gautam
Supreme Court

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर का एक फैसला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया तो तीन जजों की बेंच ने अपना माथा पकड़ लिया। टाप कोर्ट के जजों ने लाख माथा मारा लेकिन वो फैसले को नहीं समझ पाए। उसके बाद सारे पक्षों ने एक स्वर में राय रखी कि इस आदेश पर रोक लगा दी जाए तो ही बेहतर रहेगा। सुप्रीम कोर्ट की ट्रिपल बेंच का कहना था कि कमाल है आज सारे वकील एक सुर में बोल रहे हैं। न्यायपालिका भारत | Judiciary | Indian Judiciary 

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जस्टिस सुरेश्वर की भाषा को समझ पाना बेहद मुश्किल

सुरेश्वर सिंह फिलहाल रिटायर्ड हैं और वो फिलहाल पंजाब स्टेट कमीशन फार एनआरआई के चेयरमैन हैं। जब वो हाईकोर्ट में थे तो खासे बदनाम थे। वकील और दूसरे जज उनकी भाषा पर अक्सर सवाल उठाते थे। उनके फैसले अमूमन इस तरह के अंदाज में लिखे जाते थे कि वो वकीलों के साथ उनके सीनियर जजों को भी समझ में नहीं आते थे। उनके एक फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और विजय विश्नोई की बेंच फैसले को देख रही था पर उनके समझ में ही नहीं आया कि जस्टिस सुरेश्वर क्या कहना चाहते थे।

जस्टिस सूर्यकांत बोले- शुक्र है अब वो NRIs की जिम्मेदारी हैं

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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत भी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से हैं। जब फैसला उनकी समझ में नहीं आया तो उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि शुक्र है कि सुरेश्वर ठाकुर अब NRIs की जिम्मेदारी हैं। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनके तंज पर चुटकी लेते हुए कहा कि अब भारत के लोगों को नहीं बल्कि दूसरे देशों में रहने वाले लोगों को जस्टिस सुरेश्वर की अंग्रेजी से जूझना होगा। उनका इतना कहना कि कोर्ट रूम में जोर के ठहाके लगने लगे। 

सुप्रीम कोर्ट सुरेश्वर ठाकुर और विकास सूरी की बेंच की तरफ से 20 मार्च को दिए गए फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था। इसमें नेशनल हाइवे एक्ट, 1956 के 3 जी एक्ट पर रोक लगा दी गई थी। तुषार मेहता ने फैसले के एक पैरे को कोर्टरूम में पढ़ा और उसे सरल करने का प्रयास किया। उन्होंने जब इसे कोर्ट को समझाया तो जस्टिस मुस्कुराने लगे। जस्टिस सूर्यकांत बोले- थोड़ा सा टाइम लगेगा इसको समझने में। कोर्ट में फिर से ठहाके लगने लगे।

नहीं समझ आया फैसला तो सारे वकील बोले- स्टे करिए

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तमाम माथा पच्ची के बाद भी फैसला नहीं समझ में आया तो सालिसिटर जनरल ने कहा कि इस पर स्टे लगा दिया जाए। बाकी के वकील उनकी बात से सहमत थे। सूर्यकांत बोले- कमाल है सारी वकील एक सुर में बात कर रहे हैं। ये तो पहले कभी नहीं देखा। फिर से कोर्ट में ठहाके लगे।

सुरेश्वर के फैसले को 2017 में भी नहीं समझ पाए थे जज

तुषार मेहता ने इस दौरान कोर्ट को बताया कि 2017 में भी जस्टिस सुरेश्वर का एक फैसला सुप्रीम कोर्ट में आया था। तब भी उसे समझने में खासी मुश्किल पेश आई थी। तब फैसला लिया गया था कि इसे वापस जस्टिस सुरेश्वर को भेज दिया जए। तब वो हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में थे। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने उस वाकये को याद करके बताया कि तब जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की बेंच के सामने वो केस लगा था। दोनों का कहना था कि फैसला समझ से बाहर है। 
  

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Retired Justice Sureshwar Thakur, Punjab and Haryana High Court, Supreme Court, Justices Surya Kant, Solicitor General Tushar Mehta

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