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गवई कभी ना बन पाते CJI, एक दोस्त की मेहरबानी ले आई सुप्रीम कोर्ट

CJIने बताया कि जस्टिस ओका ने बड़ा दिल दिखाते हुए उनके प्रमोशन का रास्ता तैयार किया। गवई 2019 में ही SUPREME COURT आ गए जबकि ओका 2021 में पहुंच सके।

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Shailendra Gautam
BR Gavai Takes Oath As CJI

बीआर गवई कभी भी चीफ जस्टिस आफ इंडिया नहीं बन पाते। 2019 तक वो बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस थे। सुप्रीम कोर्ट आना चाहते थे लेकिन सारे रास्ते तकरीबन बंद हो चुके थे। तभी एक जस्टिस ने मेहरबानी की और उनके टाप कोर्ट में आने का रास्ता तैयार कर दिया। वो सुप्रीम कोर्ट न आ पाते तो सीजेआई की कुर्सी तक कैसे पहुंचते।

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सीजेआई ने खुद बताया कि कैसे वो टाप सीट तक आए। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का कोटा फुल हो चुका है, लेकिन वो सुप्रीम कोर्ट जाने के खासे ख्वाहिशमंद थे। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपने सीनियर और दोस्त जस्टिस अभय एस ओका से मशविरा किया था। जस्टिस ओका ने बताया था कि रुटीन कोटा पूरा है लेकिन वो एससी/एसटी कोटे से टाप कोर्ट जा सकते हैं। गवई ने बताया कि जस्टिस ओका ने बड़ा दिल दिखाते हुए उनके प्रमोशन का रास्ता तैयार किया। यही वजह रही कि गवई 2019 में ही सुप्रीम कोर्ट आ गए जबकि ओका 2021 में पहुंच सके। ओका 2019 में सुप्रीम कोर्ट आ गए होते तो आज वो ही सीजेआई बनते।

 
राष्ट्रपति के 14 सवालों के बीच CJI ने दिखाया मोदी सरकार को आइना

गवर्नरों की मनमानी के मसले पर राष्ट्रपति को भी फरमान जारी करने वाला सुप्रीम कोर्ट मोदी सरकार के साथ सुलह करने के मूड़ में नहीं लग रहा। भारत के 52वें सीजेआई बीआर गवई ने दो टूक कह दिया है कि न्यायपालिका किसी के मातहत काम नहीं करती। वो संविधान के हिसाब से काम करेंगे। उनका कहना था कि न्यायपालिका, सरकार और संसद संविधान के तहत दी गई व्यवस्था के तहत बने हैं। ऐसे में उनके लिए संविधान सबसे बड़ा है। अभी के दौर में सीजेआई का ये कहना काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि हाल ही में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने सुप्रीम कोर्ट से 14 सवाल पूछे हैं। 

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वो रविवार को मुंबई के दादर में महाराष्ट्र व गोवा बार काउंसिल की तरफ से आयोजित सम्मान समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा- हाल ही में मुझसे पूछा गया कि न्यायपालिका या कार्यपालिका में सर्वोच्च कौन है तो मैंने कहा था कि न तो न्यायपालिका, न कार्यपालिका और न ही संसद सर्वोच्च है, बल्कि भारत का संविधान सर्वोच्च है और तीनों अंगों को संविधान के अनुसार काम करना है।


सीजेआई ने कहा कि केशवानंद भारती सिद्धांत के कारण हमारा देश मज़बूत है। संविधान के तीनों स्तंभ कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका अपने निर्धारित क्षेत्रों में काम करने की कोशिश कर रहे हैं। न्यायपालिका और विधायिका ने कई कानून बनाए हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक न्याय की अवधारणा पूरी होगी।

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