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बुजुर्ग दंपति का खौफनाक अंत!: जानें कैसे होते हैं Digital Arrest, पढ़ें साइबर अपराधियों से बचने के जरूरी उपाय

साइबर अपराधियों ने दंपति को फर्जी गिरफ्तारी वारंट और धमकियों से डराया, जिससे वे मानसिक तनाव में आ गए और आत्मघाती कदम उठाया। कैसे होते हैं Digital Arrest!, जानते हैं साइबर अपराधियों से बचने के जरूरी उपाय...

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Ajit Kumar Pandey
CYBER CRIME NEWS

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।

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Digital news | Crime in India |  crime latest story : कर्नाटक के शांत और सुरम्य शहर बेलागावी में, एक ऐसी घटना ने सनसनी फैला दी, जिसने न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यहां एक बुजुर्ग दंपती ने डिजिटल अरेस्ट की धमकी से परेशान होकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। यह घटना डिजिटल युग में पनप रहे अपराधों की एक भयावह तस्वीर पेश करती है, जहां साइबर अपराधी लोगों को डरा-धमका कर उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से तोड़ रहे हैं।

पढ़िए बुजुर्ग दंपति ने क्यों की आत्महत्या ?

यह दर्दनाक कहानी शुरू होती है 75 वर्षीय आनंद राव और उनकी 70 वर्षीय पत्नी विमला राव के साथ। आनंद राव महाराष्ट्र सरकार के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी थे, और दोनों एक शांतिपूर्ण जीवन जी रहे थे। लेकिन एक दिन, उनके जीवन में एक ऐसा तूफान आया, जिसने सब कुछ तहस-नहस कर दिया। उन्हें एक अज्ञात नंबर से एक कॉल आया, जिसमें उन्हें बताया गया कि वे एक साइबर अपराध में शामिल हैं और उन्हें "डिजिटल अरेस्ट" किया जा रहा है।

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ये है डिजिटल अरेस्ट का जाल

Digital India : साइबर अपराधियों ने आनंद राव को डराने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए। उन्होंने उन्हें फर्जी गिरफ्तारी वारंट भेजे, उनकी निजी जानकारी सार्वजनिक करने की धमकी दी, और उनसे मोटी रकम की मांग की। आनंद राव और विमला राव, जो डिजिटल दुनिया से अपरिचित थे, इस जाल में फंस गए। वे डर और तनाव में जीने लगे, और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें।

पढ़िए सुसाइट नोट में चौंकाने वाले खुलासे

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अंततः, डर और निराशा से घिरे आनंद राव और विमला राव ने एक दर्दनाक निर्णय लिया। उन्होंने एक सुसाइट नोट लिखा, जिसमें उन्होंने अपनी आपबीती बताई और अपने शवों को दान करने की इच्छा जताई। उनके नोट में डिजिटल अरेस्ट की धमकी और साइबर अपराधियों द्वारा उन्हें प्रताड़ित करने की जानकारी भी थी।

यहां से शुरू हुई पुलिस की जांच

इस घटना ने पुलिस को भी हिलाकर रख दिया। उन्होंने तुरंत मामले की जांच शुरू की और साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए एक विशेष टीम गठित की। पुलिस ने आनंद राव और विमला राव के फोन रिकॉर्ड्स, ईमेल और सोशल मीडिया खातों की जांच की, ताकि वे अपराधियों तक पहुंच सकें।

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डिजिटल अपराधों का बढ़ता खतरा

यह घटना डिजिटल अपराधों के बढ़ते खतरे को उजागर करती है। आज, साइबर अपराधी लोगों को डराने और उनसे पैसे ऐंठने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। वे लोगों को फर्जी कॉल और ईमेल भेजते हैं, उनकी निजी जानकारी चुराते हैं, और उन्हें सोशल मीडिया पर बदनाम करते हैं।

जन जागरूकता की आवश्यकता

इस तरह के अपराधों से बचने के लिए, लोगों को डिजिटल सुरक्षा के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है। उन्हें यह जानना चाहिए कि वे अपनी निजी जानकारी को कैसे सुरक्षित रखें, और उन्हें किसी भी अज्ञात कॉल या ईमेल पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

कानूनी कार्यवाही : सरकार को भी साइबर अपराधों से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। उन्हें साइबर सुरक्षा कानूनों को मजबूत करना चाहिए, और साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस और अन्य एजेंसियों को प्रशिक्षित करना चाहिए।

एक दर्दनाक सबक : आनंद राव और विमला राव की दर्दनाक कहानी हमें यह सिखाती है कि डिजिटल अपराध कितने खतरनाक हो सकते हैं। हमें सतर्क रहना चाहिए, और अपनी डिजिटल सुरक्षा को गंभीरता से लेना चाहिए।

समाज की भूमिका : समाज को भी इस मुद्दे पर जागरूक होना चाहिए। हमें अपने बुजुर्गों और उन लोगों की मदद करनी चाहिए जो डिजिटल दुनिया से अपरिचित हैं। हमें उन्हें डिजिटल सुरक्षा के बारे में शिक्षित करना चाहिए, और उन्हें साइबर अपराधों के खिलाफ लड़ने में मदद करनी चाहिए।

इसे भी पढ़ें हैरान रह जाएंगे...

जनवरी 2025 से फरवरी 2025 तक भारत में डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं की संख्या में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। यह एक उभरता हुआ साइबर अपराध है, जिसमें अपराधियों द्वारा पीड़ितों को सरकारी अधिकारियों के रूप में प्रस्तुत करके डराया जाता है और उनसे पैसे ऐंठे जाते हैं।

जानिए कहां कहां हुईं प्रमुख घटनाएं ...

उत्तर प्रदेश: लखनऊ में, एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने डिजिटल अरेस्ट के डर से 2.27 करोड़ रुपये खो दिए।

झांसी में, एक चीनी कंपनी के लिए काम करने वाले पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया, जो क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से ठगे गए पैसे को निकालने में मदद कर रहे थे। उत्तर प्रदेश में कई ऐसे गिरोह पकड़े गए हैं जो गेमिंग और ट्रेडिंग एप के माध्यम से भी लोगों को ठगते थे।

नई दिल्ली: दिल्ली में, एक डिजिटल अरेस्ट सिंडिकेट का भंडाफोड़ हुआ, जिसमें पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया। ये लोग चीनी ठगों के लिए काम कर रहे थे।

कर्नाटक: बेलागावी में, एक बुजुर्ग दंपती ने डिजिटल अरेस्ट की धमकी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली।

राजस्थान: जयपुर में, उत्तराखंड एसटीएफ ने डिजिटल अरेस्ट के एक मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया।

क्या कर रही है सरकार

  • सरकार ने साइबर अपराध के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें एसएमएस, सोशल मीडिया अभियान और रेडियो अभियान शामिल हैं।
  • गृह मंत्रालय ने डिजिटल गिरफ्तारी की घटनाओं के खिलाफ अलर्ट जारी किया है।
  • कानून प्रवर्तन एजेंसियों को साइबर अपराधियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डिजिटल अरेस्ट एक गंभीर अपराध है, और लोगों को इसके बारे में जागरूक होना चाहिए। यदि आप इस तरह के किसी भी खतरे का अनुभव करते हैं, तो तुरंत पुलिस को रिपोर्ट करें।
  • डिजिटल अरेस्ट एक नया अपराध है, इसलिए इसके बारे में जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है।
  • यदि आप डिजिटल अरेस्ट का शिकार होते हैं, तो आपको तुरंत पुलिस को रिपोर्ट करनी चाहिए।
  • सरकार डिजिटल अरेस्ट के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है, लेकिन लोगों को भी सतर्क रहना चाहिए।

डिजिटल अरेस्ट कैसे होते हैं समझिए पूरा खेल...

डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध का एक नया तरीका है, जिसमें अपराधी पीड़ितों को सरकारी अधिकारी बनकर डराते हैं और उनसे पैसे ऐंठते हैं। यह एक गंभीर अपराध है, जिससे लोगों को मानसिक और आर्थिक रूप से नुकसान हो सकता है।

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डिजिटल अरेस्ट कैसे होता है

पहचान की चोरी: अपराधी खुद को पुलिस, सीबीआई, या अन्य सरकारी एजेंसियों के अधिकारी के रूप में पेश करते हैं।

धमकी: वे पीड़ितों को बताते हैं कि वे किसी अपराध में शामिल हैं और उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है।

डराना: वे पीड़ितों को डराने के लिए फर्जी गिरफ्तारी वारंट, पुलिस स्टेशन जैसे दिखने वाले सेटअप बनाकर वीडियो कॉल करते हैं और उनकी निजी जानकारी सार्वजनिक करने की धमकी देते हैं।

पैसे की मांग: वे पीड़ितों से पैसे ऐंठने के लिए उन्हें डराते हैं और उन्हें अपने खातों में पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहते हैं।

डिजिटल अरेस्ट से बचने के उपाय

सतर्क रहें: किसी भी अज्ञात कॉल या ईमेल पर विश्वास न करें, खासकर यदि वे आपको डराते हैं या आपसे पैसे मांगते हैं।

अपनी जानकारी सुरक्षित रखें: अपनी निजी जानकारी, जैसे कि आपका बैंक खाता विवरण, आधार कार्ड नंबर, या पासवर्ड, किसी के साथ साझा न करें।

पुलिस से संपर्क करें: यदि आपको डिजिटल अरेस्ट का खतरा महसूस होता है, तो तुरंत पुलिस को रिपोर्ट करें।

जागरूकता फैलाएं: अपने परिवार और दोस्तों को डिजिटल अरेस्ट के बारे में बताएं और उन्हें इसके खतरे से अवगत कराएं।

सरकारी अधिकारियों की कार्यप्रणाली जानें: सरकारी अधिकारी कभी भी वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी की धमकी नहीं देते या पैसों की मांग नहीं करते।

अज्ञात एप डाउनलोड ना करें: किसी के कहने पर भी कोई भी अज्ञात एप डाउनलोड ना करें।

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