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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः सात करोड़ी रिश्वत के मामले में फंसे रूप बंसल को जब जान पर बनती दिखी तो वो सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी की शरण में पहुंच गए। दोस्ती का वास्ता दिया तो सिंघवी सारे काम छोड़कर दिल्ली से चंडीगढ़ आए। उन्होंने वकालत का पैंतरा चला और चीफ जस्टिस से दरखास्त की कि उनको अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए पर शील नागू टस से मस नहीं हुए। Indian Judiciary | Judiciary | trendig news
स्पेशल जज पर है सात करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप
हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो के इस मामले में स्पेशल सुधीर परमार पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एम3एम और आईआरईओ ग्रुप के मालिकों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। एम3एम ग्रुप के निदेशक रूप बंसल सह-आरोपी हैं। उन्होंने मामले को रद्द करने की मांग की है। जनवरी से अब तक चार जजों को यह मामला सौंपा गया है। कुछ शिकायतों के बाद चीफ जस्टिस शील नागू ने एक असामान्य कदम उठाते हुए मामले को एकल न्यायाधीश से अलग कर दिया, जिन्होंने मामले को निर्णय के लिए सुरक्षित रखा था। नागू अब खुद मामले की सुनवाई कर रहे हैं। एसीबी का आरोप है कि रूप बंसल ने स्पेशल जज को 7 करोड़ की रिश्वत दी थी। ईडी की भी इस मामले में एंट्री हो चुकी है। पहले तो रूप बंसल मामले को खारिज कराने हाईकोर्ट पहुंचे थे लेकिन जैसे ही चीफ जस्टिस ने मामले को ओवरटेक किया वो रिट वापस लेने लगे।
सिंघवी करते रहे अपील पर नहीं माने चीफ जस्टिस
आज, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पहली बार बंसल की ओर से पेश हुए और कहा कि यह गलत संदेश गया है कि मामले के निर्णय में देरी करने का प्रयास किया गया था। उन्होंने अनुरोध किया कि याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए। सिंघवी ने कहा कि वो अपने मुकदमे पर प्रतिकूल टिप्पणियों का जोखिम नहीं उठाना चाहते, इसलिए इसे वापस ले रहे हैं। हालांकि, चीफ जस्टिस ने कहा कि वो मामले की सुनवाई करना चाहेंगे और मामले को वापस लेने की अनुमति नहीं देंगे। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जिस तरह से इस मामले को चलाया गया है, मैं आपके मामले को वापस लेने के अनुरोध को स्वीकार नहीं कर रहा।
नहीं चली दलील तो दिया चीफ जस्टिस की व्यस्तता का हवाला
सिंघवी ने इसके जवाब में कहा कि मैं बचाव नहीं कर रहा हूं क्योंकि धारणाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। हो सकता है कि जो संदर्भ दिया गया है वह सही न हो। मैंने यह कहकर शुरुआत की कि मैं इस बात का बचाव नहीं कर रहा हूं कि आपको यह धारणा दी गई हो कि हम देरी करने या टालने की कोशिश कर रहे हैं। मैं केवल यह कह रहा हूं कि अभियुक्त को 482 सीआरपीसी के तहत दायर करने और इसे वापस लेने का अधिकार है। इसमें कोई पेंच नहीं है। चीफ जस्टिस नहीं माने तो सिंघवी ने तब कहा कि आप इतने व्यस्त हैं कि ऐसे मामले पर समय बर्बाद नहीं करना चाहिए जिस पर बहस करने की जरूरत नहीं है। शील नागू इस बात से सहमत नहीं थे और उन्होंने सिंघवी से गुण-दोष के आधार पर बहस जारी रखने को कहा। सिंघवी ने तब मामले में अभियोजन स्वीकृति के संबंध में कानून पर बहस की। वह 29 मई को अपनी बहस जारी रखेंगे।
Advocate Abhishek Manu Singhvi, Singhvi appeared for Bansal, Punjab & Haryana HC, Five judge changes, judge bribery case, Chief Justice Sheel Nagu, M3M Group, Director Roop Bansal