नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने एक मजेदार केस आया। एक शख्स ने हाईकोर्ट की जस्टिस के पति पर सवाल उठाते हुए अदालत से दरख्वास्त की कि वकील के तौर पर उनका लाइसेंस रदद् किया जाए। रिट लगाने वाले शख्स का कहना था कि एडवोकेट पति अपनी पत्नी के नाम का फायदा उठाकर अपनी वकालत चमका रहा है। उसका कहना था कि जज के सरकारी घर का इस्तेमाल उसका एडवोकेट पति अपने प्रोफेशन को आगे बढ़ाने के लिए कर रहा है। उसने जज के सरकारी घर पर अपनी नेम प्लेट भी लगा रखी है।
रिट में आरोप- जज के नाम का फायदा उठाते हैं उनके पति
हाईकोर्ट में याचिका अनुपम महरोत्रा नाम के वकील ने लगाई थी। उसका कहना है कि हाईकोर्ट की जस्टिस संगीता चंद्रा के पति संदीप चंद्रा यूपी सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल हैं। वो पत्नी के नाम का भरपूर फायदा उठा रहे हैं। अनुपम का कहना था कि हाईकोर्ट आदेश जारी करे कि जब तक संगीता जज के तौर पर तैनात हैं तब तक वो किसी भी मामले में वहां पेश नहीं होंगे। उनकी मांग थी कि हाईकोर्ट आदेश जारी करके संदीप चंद्रा के नाम को हाईकोर्ट के वकीलों की लिस्ट से हटवाए। अनुपम ने इस बात को लेकर बार काउंसिल आफ यूपी में भी शिकायत दे रखी है।
अनुपम का कहना था कि बार काउंसिल आफ इंडिया के नियम कहते हैं कि संदीप चंद्र लखनऊ बेंच के सामने पेश नहीं हो सकते, क्योंकि वहां उनकी पत्नी काम कर रही हैं। याचिकाकर्ता ने जस्टिस संगीता के घर पर लगी नेमप्लेट की फोटो भी अदालत में पेश कीं। उसका कहना था कि जज के सरकारी बंगले पर उसके पति के नाम की भी नेम प्लेट है। वो जज के साथ अपने रिश्ते का प्रचार कर रहा है। इससे उसको अपना वकालत का पेशा चमकाने में मदद मिलती है।
जज के पति को बचाने के लिए उतरी यूपी सरकार
इसके आगे की कहानी और भी ज्यादा दिलचस्प है। जज क पति को बचाने के लिए सरकार के साथ हाईकोर्ट खुद भी पैरवी करता दिखा। हाईकोर्ट की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट गौरव महरोत्रा ने तर्क दिया कि बार काउंसिल का नियम वकील को केवल उस कोर्ट में जाने से रोकता है जहां पर उसका कोई रिश्तेदार बतौर जज तैनात हो। यूपी सरकार के वकील शैलेंद्र कुमार सिंह ने जज के पति का बचाव करते हुए कहा कि वकील के तौर पर वो पूरी तरह से फिट हैं।
हाईकोर्ट ने लगाई जमकर फटकार
दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट के जस्टिस रंजन राय और ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने कहा कि संदीप चंद्रा पूरी तरह से बेकसूर हैं। वो जज के नाम का इस्तेमाल अपने पेशे को चमकाने के लिए नहीं कर रहे हैं। उसके बाद हाईकोर्ट नेम प्लेट पर आया। बेंच का कहना था कि जज के सरकारी घर पर जो नेम प्लेट उनके पति की लगी है वो जज के नाम से छोटी है। उसके बाद हाईकोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले वकील अनुपम को आड़े हाथों लिया। बेंच का कहना था कि आप 30 साल से प्रैक्टिस कर रहे हैं। आपको ये तक नहीं पता कि रिट कैसे लिखी जाती है। आपने रिट में जो भाषा इस्तेमाल की है वो बिलकुल गलत है। trendig news | Judiciary | Indian Judiciary
मामला बिगड़ता देख पतली गली से निकला कंपलेनेंट
हाईकोर्ट और सरकार का रुख देखकर एडवोकेट अनुपम महरोत्रा को लगा कि जान बच जाए ये ही बहुत है। मौके की नजाकत को देखते हुए उसने बेंच से माफी की गुहार लगाई। उसने अदालत को आश्वस्त किया कि वो आगे से इस तरह का कोई काम नहीं करेगा। हाईकोर्ट ने उसे फिर नहीं बख्शा। डबल बेंच ने कहा कि आपके दिमाग में क्या कुछ चल रहा है। आप आत्म अवलोकन करें। हाईकोर्ट ने ये तक कहा कि याचिकाकर्ता अपने दिमाग का सही इस्तेमाल करे। हमें उम्मीद है कि एडवोकेट अनुपम इस बारे में सोचेंगे और अपने फन का इस्तेमाल अच्छे के लिए करेंगे।
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