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प्रोटोकाल CJI का टूटा था, पर दर्द उप राष्ट्रपति को हुआ, याद आ गई अपनी फोटो

VP ने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति का जिक्र करते हुए कहा कि आप लोगों ने उनकी तस्वीरें देखी होंगी लेकिन उप राष्ट्रपति की नहीं। वो यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके उत्तराधिकारी के पास फोटो हो।

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Shailendra Gautam
vice president

Photograph: (file)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः महाराष्ट्र के दौरा पर सीजेआई बीआर गवई का प्रोटोकाल टूटने के मामले में सबसे ज्यादा दर्द भारत के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हुआ है। उनका कहना था कि जो हुआ वो गलत था लेकिन ये एक ढर्रा बन चुका है। नौकरशाह संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की परवाह नहीं करते।

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बोले- सुनिश्चित करेंगे कि मेरे उत्तराधिकारी के पास फोटो हो


उप राष्ट्रपति यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने अपना दर्द भी बयां कर दिया। उनका कहना था कि वो खुद भी संवैधानिक पद पर बैठे हैं और उनको लगता है कि उनको वो तवज्जो नहीं मिल पा रही जो मिलनी चाहिए थी। उन्होंने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति का जिक्र करते हुए कहा कि आप लोगों ने उनकी तस्वीरें देखी होंगी लेकिन उप राष्ट्रपति की नहीं। उनका कहना था कि जब वो अपना कार्यकाल पूरा करके उप राष्ट्रपति का दफ्तर छोड़ेंगे तो यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके उत्तराधिकारी के पास फोटो हो। उनका कहना था कि वो इस बात के लिए सीजेआई के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने प्रोटोकाल को लेकर नौकरशाही की तरफ लोगों का ध्यान खींचा। 

उप राष्ट्रपति विजय हंसारिया द्वारा संपादित किताब "The Constitution We Adopted" के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे। ये मोहन ला हाउस से प्रकाशित हुई है। 
 

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सीजेआई की अगुवानी को नहीं पहुंचे थे बड़े अफसर

सीजेआई बीआर गवई रविवार को मुंबई के दौरे पर थे। जब वो वहां लैंड किए तो उनका पारा हाई हो गया, क्योंकि अगुवानी के लिए कोई भी ऐसा अफसर मौजूद नहीं था जो राज्य स्तरीय हो। सीजेआई उस समय तो चुप रह गए लेकिन जब वो बार के प्रोग्राम में पहुंचे और अपना भाषण दे रहे थे तो उन्होंने प्रोटोकाल का जिक्र करके देवेंद्र फडणवीस की सरकार को तीखी फटकार लगा दी। उनका कहना था कि वो सीजेआई बनने के बाद महाराष्ट्र आए हैं। ये उनके घर जैसा है। लेकिन चीफ सेक्रेट्री और डीजीपी जैसे अफसरों को उनसे मिलने की फुरसत भी नहीं है। हालांकि उनका ये भी कहना था कि वो प्रोटोकाल का जिक्र नहीं कर रहे लेकिन उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि न्यायपालिका लोकतंत्र का स्तंभ है और सभी को इसका सम्मान करना चाहिए। 


सीजेआई ने प्रोटोकाल का जिक्र किया तो भागे सारे

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सीजेआई का इतना कहना था कि महाराष्ट्र की पूरी सरकार हिल गई। सीजेआई का अगला प्रोग्राम दूसरी जगह पर था। जब वो वहां पहुंचे तो सूबे की सारी नौकरशाही उनके स्वागत में पलक पांवड़े बिछाए दिखी। चीफ सेक्रेट्री और डीजीपी खुद उनके सामने आए और चमची मारते दिखे। जाहिर है कि सरकार को पता चल गया था कि सीजेआई का पारा ऊपर हो चुका है। कहीं कुछ ऐसा न हो जाए जो सरकार की सेहत पर भारी पड़ जाए। तभी अफसरों को दौड़ाया गया।

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