नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू ने भ्रष्टाचार के एक मामले की सुनवाई अपनी बेंच में स्थानांतरित कर ली है। इस मामले में दूसरे जज की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा लिया था। चीफ जस्टिस ने मौखिक और लिखित शिकायतों का हवाला दिया। शुक्रवार को जारी एक आदेश में शील नागू ने अदालती रोस्टरों पर चीफ जस्टिस के प्रशासनिक नियंत्रण के अधिकार का हवाला देकर ये फैसला किया। हालांकि इसे लेकर बखेड़ा खड़ा होता दिख रहा है।
रूप बंसल बनाम हरियाणा के मामले में मचा बवाल
रूप बंसल बनाम हरियाणा राज्य और अन्य के मामले में 17 अप्रैल को दर्ज भ्रष्टाचार की एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई है। जनवरी 2025 में दायर की गई इस एफआईआर में कई बदलाव किए गए हैं। जस्टिस एनएस शेखावत ने 14 जनवरी को इस मामले से खुद को अलग कर लिया था। उसके बाद फरवरी में याचिकाकर्ता के वकील ने जस्टिस मंजरी नेहरू कौल की बेंच से इसे वापस ले लिया। अप्रैल में फिर से दायर किए जाने के बाद ये मामला जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु को सौंप दिया गया था। जस्टिस सिंधु ने 2 मई को मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
दूसरे जज ने फैसला रखा था रिजर्व, चीफ जस्टिस फिर करेंगे सुनवाई
बहस समाप्त होने और आदेश सुरक्षित रखे जाने के बाद चीफ जस्टिस ने शिकायतों के कारण 10 मई को मामले को अपनी बेंच में ले लिया और इसे 12 मई को फिर से सुनवाई के लिए निर्धारित किया। इसे उनकी बेंच 26 मई को सुनेगी। मामला मनी लांड्रिंग से जुड़ा है इसलिए सुनवाई में ईडी भी शामिल है।
मुकुल रोहतगी समेत कई सीनियर एडवोकेट्स ने जताया एतराज
सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी, पुनीत बाली और राकेश नेहरा सहित याचिकाकर्ता की कानूनी टीम ने मामले को स्थानांतरित किए जाने पर आपत्ति जताते हुए तर्क दिया कि एक बेंच की तरफ से फैसला रिजर्व रखे जाने के बाद मामले को चीफ जस्टिस या किसी दूसरी बेंच को हस्तांतरित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने मास्टर ऑफ रोस्टर मुद्दे के संबंध में शांति भूषण बनाम भारत के सर्वोच्च न्यायालय में 2018 के एक फैसले का हवाला दिया।
चीफ जस्टिस बोले वो हैं मास्टर ऑफ रोस्टर, जज को बचाना था
चीफ जस्टिस नागू ने शुक्रवार को कहा कि उनकी तरफ से किसी भी मामले को वापस लेने पर कोई स्पष्ट या निहित प्रतिबंध नहीं है, जिसे किसी विशेष बेंच ने सुनने के बाद सुरक्षित रखा लिया हो। उन्होंने बताया कि शिकायतों के निदान और सुनवाई में तेजी लाने के लिए स्थानांतरण आवश्यक था, उन्होंने कहा कि शिकायतों ने चीफ जस्टिस को सिंगल बेंच से इस मामले के रिकॉर्ड को तलब करके 12 मई को दोपहर 3.30 बजे बेंच का गठन करने के लिए बाध्य किया। ताकि शिकायत को शांत करके संस्थान और संबंधित जज को किसी भी और शर्मिंदगी से बचाया जा सके।
चीफ जस्टिस ने अनिल राय बनाम बिहार राज्य (2001) का हवाला देते हुए कहा कि अगर छह महीने के भीतर निर्णय नहीं दिया जाता है तो कोई भी पक्ष नई सुनवाई के लिए स्थानांतरण का अनुरोध कर सकता है। हालांकि इस कदम से मास्टर ऑफ रोस्टर पर चर्चा फिर से शुरू हो गई है।
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