नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।
केंद्र सरकार द्वारा वक्फ कानून में संशोधन के लिए तैयार किया गया विधेयक 2 अप्रैल को संसद के बजट सत्र में पेश किया जा सकता है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि सरकार इस बिल को लेकर पूरी तरह तैयार है और इसे जल्द ही लोकसभा में रखा जाएगा।
सरकार का रुख: बिल पर व्यापक चर्चा हुई, अफवाहों से बचें
रिजिजू ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल पर संसद के बाहर भी गहन विचार-विमर्श किया गया है। उन्होंने कहा, "जेपीसी ने इस मामले में अब तक की सबसे व्यापक परामर्श प्रक्रिया पूरी की है। सभी राजनीतिक दलों से अपील है कि वे जनता को गुमराह न करें।"
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कुछ लोग भोले-भाले मुस्लिम समुदाय के लोगों को यह बताकर भ्रम फैला रहे हैं कि सरकार उनकी संपत्ति छीनने की कोशिश कर रही है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है।
अमित शाह ने कहा था – "किसी को डरने की जरूरत नहीं"
waqf bill | waqf : गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले हफ्ते एक इंटरव्यू में कहा था कि वक्फ संशोधन बिल इसी सत्र में पेश किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि "इस बिल से किसी को डरने की आवश्यकता नहीं है, यह सिर्फ व्यवस्था को और पारदर्शी बनाने के लिए है।"
वक्फ एक्ट क्या है और क्यों बना ?
वक्फ एक्ट 1954 में संसद द्वारा पारित किया गया था। यह कानून उन संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़ा है जो धार्मिक या सामाजिक कार्यों के लिए दान में दी गई थीं। विभाजन के बाद जब बड़ी संख्या में मुस्लिम परिवार पाकिस्तान चले गए थे, तब उनकी छोड़ी गई जमीनों और संपत्तियों के प्रबंधन के लिए वक्फ बोर्ड का गठन किया गया।
1955 में इस कानून में संशोधन करके हर राज्य में वक्फ बोर्ड बनाने का प्रावधान किया गया। वर्तमान में देशभर में 32 वक्फ बोर्ड हैं, जो इन संपत्तियों का रखरखाव और प्रबंधन करते हैं।
वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति ?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देशभर में वक्फ बोर्ड के अधीन 8.65 लाख से अधिक अचल संपत्तियां हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में हैं। अनुमान है कि वक्फ की जमीनों की कुल कीमत लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये है।
क्या होगा संशोधन में ?
हालांकि बिल का विवरण अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को और पारदर्शी बनाने, गैर-कानूनी कब्जे को रोकने और बोर्ड के कामकाज में सुधार से जुड़े प्रावधान शामिल होंगे।
इस बिल पर संसद में जोरदार बहस होने की उम्मीद है, क्योंकि यह एक संवेदनशील मुद्दा है। सरकार का दावा है कि यह संशोधन समुदाय के हित में है, जबकि कुछ विपक्षी दल इसे लेकर सवाल उठा सकते हैं।
अगर बिल 2 अप्रैल को पेश होता है, तो उसी दिन या अगले दिन इस पर चर्चा हो सकती है। बजट सत्र 4 अप्रैल तक चलेगा, इसलिए सरकार इसी सत्र में इसे पास कराना चाहेगी।