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Mahakumbh 2025 में युवा आदिवासियों ने दिखाई अपनी संस्कृति की झलक

प्रयागराज महाकुंभ में चल रहे आस्‍था के संगम में 25000 आदिवासी श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। इसका आयोजन अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा किया जा रहा है।

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Suraj Kumar
Tribal Youth
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन नेटवर्क।

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प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा अपने जनजाति द्वारा एक सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। 5 दिनों तक चलने वाले इस युवा कुंभ का आयोजन 6 फरवरी से महाकुंभ नगर के सेक्‍टर 6 में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद के पंडाल में शुरू हो चुका है। 

25000 आदिवासी श्रद्धालु लेंगे भाग 

संगठन के मीडिया प्रभारी अनुराग शुक्ला ने बताया कि  इस ऐतिहासिक सम्मेलन में देशभर से करीब 25000 आदिवासी श्रद्धालु भाग लेंगे और अपने धर्म, संस्कृति और परंपरा की रक्षा का संकल्प लेंगे। उन्होंने कहा कि युवा कुंभ का उद्देश्य आदिवासी युवाओं को महाकुंभ जैसे आयोजन से परिचित कराना, उनकी पारंपरिक संस्कृति को प्रदर्शित करना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करना है। इस आयोजन से उन्‍हें अपनी परंपरा को देखने और समझने का मौका मिलेगा। 

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समुदाय देश भर में कर आयोजन 

अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम देशभर में फैले 12 करोड़ आदिवासी समाज के धर्म, संस्कृति और परंपरा की रक्षा के साथ ही आदिवासी क्षेत्र में विभिन्न सेवा कार्य चला रहा है।

पिछले कुछ समय से कल्याण आश्रम देश भर में विभिन्न कुंभ महोत्सवों में आदिवासी समुदाय को एकजुट करने के लिए लगातार काम कर रहा है, तथा अपनी प्राचीन आदिवासी संस्कृति की भव्यता का प्रदर्शन कर रहा है।

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कई कार्यक्रमों की दी प्रस्‍तुति 

युवा कुंभ के पहले दिन आदिवासी युवाओं ने अपनी-अपनी जनजाति की परंपराओं को प्रदर्शित करते हुए सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। इसके जरिए उन्‍होंने अपनी समाज के बारे में झांकियों के माध्‍यम से बताया। इससे अन्‍य लोगों को भी इस समुदाय के बारे में जानने और समझने का मौका मिला। 

इस आयोजन में आदिवासी युवाओं को महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के अलावा महामंडलेश्वर रघुनाथदास (फर्शीवाले बाबा), पद्मश्री चैतराम पवार, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष हर्ष चौहान और कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह मौजूद रहे। उन्‍होंने इस कार्यक्रम की खूब सराहना की और कहा कि ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन होते रहना चाहिए, ताकि देश के युवा आदिवासी समुदाय को जान और समझ सकें। 

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