नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
तिब्बती पठार जिसे ' विश्व की छत और 'प्रथ्वी का तीसरा ध्रुव' भी कहा जाता है। इसमें ऐसे एक तिहाई से अधिक ऐसे खूबसूरत पौधे पाए जाते हैं, जो पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलते। हाल ही में चीन के वैज्ञानिकों ने इसकी जानकारी दी। प्रमुख शोधकर्ता वांग ताओ ने इसे वैश्विक जैव विविधता को केंद्र बताया। उन्होंने कहा कि कई दशकों से वैज्ञानिक ये बात जानने की कोशिश कर रहे हैं कि पहाड़ों पर इन पौधों का विकास कैसे हुआ।
आइस एज से के बाद से ये पौधे पनपे हैं
अध्ययन में पाया गया कि 22 हजार साल पहले आए आइस एज ने पठार पर इन खूबसूरत पौधों को विकसित किया। पहले के अध्ययनों में चेतावनी दी गई थी कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण पेड़ पहाड़ों की ऊंचाई पर चले जाते हैं, जिससे अल्पाइन पौधों का आवास कम हो जाता है। इस नए शोध से पता चलता है कि पिछले वृक्ष रेखा परिवर्तनों ने भी स्थायी निशान छोड़े हैं। इस अध्ययन ने नई बात पर प्रकाश डाला है।
ये पौधों की मजबूत प्रजातियां हैं
शोध टीम के एक सदस्य जू जिनफेंग ने कहा है "पर्यावरणीय परिवर्तनों को छलनी की तरह समझें - केवल सबसे मजबूत प्रजातियाँ ही बार-बार होने वाले बदलावों से बच पाती हैं, जिससे पौधों के समूह एक जैसे दिखते हैं। स्थिर क्षेत्र पौधों को विशेष गुण विकसित करने देते हैं, जिससे समृद्ध विविधता पैदा होती है।"
इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि जलवायु परिवर्तन से पौधों की इन प्रजातियों को नुकसान हो सकता है। धरती का बढता तापमान इन पौधों के लिए असहनीय हो सकता है। ये इसके दवाब को झेल नहीं सकते हैं। ये अध्ययन इन पौधों की सुरक्षा के प्रति सहज करता है।
इन पौधों की प्रजाति मिलती है
तिब्बती पठार पर कई तरह के पौधे पाए जाते हैं, जैसे कि चौड़ी पत्ती वाले और सुईनुमा वन, अल्पाइन घास के मैदान, पहाड़ी किनारे वाले घास के मैदान, और अल्पाइन झाड़ियां पौधे मिलते हैं। तिब्बती पठार के निम्न ऊंचाई वाले और मध्य क्षेत्रों में चौड़ी पत्ती वाले और सुईनुमा वन पाए जाते हैं।