नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। हर साल जून की पूर्णिमा को "स्ट्रॉबेरी मून" कहा जाता है। इस खास रात को चांद हल्की गुलाबी या लालिमा लिए दिखाई देता है, जो देखने में अत्यंत मनमोहक होता है। इस वर्ष यह खगोलीय घटना 11 जून 2025 की रात को दिखाई देगी। इस बार का स्ट्रॉबेरी मून एक माइक्रो मून भी होगा, यानी चंद्रमा पृथ्वी से सामान्य से थोड़ी अधिक दूरी पर होगा, जिससे उसका आकार कुछ छोटा नजर आएगा। आसमान में यह खास छटा अगली बार 18 साल बाद 2043 में देखने को मिलेगी।
स्ट्रॉबेरी मून नाम कैसे पड़ा?
यह नाम को इत्तेफाक मात्र नहीं है। इस नाम का संबंध किसान कलेंडर और पुरानी परंपराओं से जुड़ा है। दरअसल, "स्ट्रॉबेरी मून" नाम की उत्पत्ति अमेरिकी नेटिव जनजातियों और किसानों की पारंपरिक पंचांग प्रणाली से हुई है। यह समय स्ट्रॉबेरी यानी जंगली बेरी के पकने का होता था, इसलिए इसे यह नाम दिया गया। यह नाम मौसम, खेती, खगोल विज्ञान और संस्कृति का अनूठा संगम दर्शाता है।
वैज्ञानिक और सांस्कृतिक महत्व
- यह पूर्णिमा वसंत ऋतु की आखिरी पूर्णिमा होती है।
- स्ट्रॉबेरी मून साल के सबसे कम समय तक दिखने वाले पूर्ण चंद्रमाओं में से एक होता है।
- इसका गुलाबी रंग वायुमंडलीय प्रभाव के कारण होता है, न कि चंद्रमा के असली रंग के कारण।
प्रकृति प्रेमियों के लिए विशेष अवसर
स्ट्रॉबेरी मून न केवल खगोलीय दृष्टि से खास है, बल्कि यह प्रकृति, कृषि और जीवन चक्र का प्रतीक भी है। इसकी खूबसूरती और गहराई हर वर्ष नहीं देखने को मिलती। इसलिए आज रात आसमान की ओर जरूर नज़र डालें – हो सकता है यह चंद्र दर्शन आपको नई ऊर्जा और प्रेरणा से भर दे।