लीमा,वाईबीएन नेटवर्क।
टैटू की दिवानगी हजारों वर्ष पुरानी है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने पेरू की पुरानी ममियों पर इसका अध्ययन किया। अध्ययनों में ऐसा दावा किया है कि इंसान लगभग 5 हजार सालों से टैटू बनवाता आ रहा है। हॉंगकाँग के चीनी विश्वविद्यालय के पुरातत्वविद माइकल पिटमैन ने कहा कि हमने पेरू की ममियों पर बने टैटू की जांच की और ये टैटू लगभग 1250 ई्. के आस पास के हैं। टैटू ऐसी तकनीक से बने हैं जो आज के मशीन द्वारा टैटू बनाने की तकनीक से कहीं आगे हैं। इस टैटू की स्याही त्वचा के काफी अन्दर तक गई है।
लेजर तकनीक से की जांच
वैज्ञानिकों ने तटीय पेरू के चानके संस्कृति से लगभग 100 ममियों पर गहरी रिसर्च की, जिसमें उन्होंने पाया कि इन ममियों के शरीर पर किसी न किसी भाग पर टैटू बना हुआ था। इन टैटुओं की आकृति हीरे और ज्यामिती जैसी हैं। पहली बार नवपाषाण काल के समय के ममी पर टैटू पाया गया था जो लगभग 3 हजार वर्ष पुराना था। मिस्त्र में भी पाई गई कई ममियों पर वैज्ञानिकों को इस तरह के टैटू मिले हैं। टैटू बनाने के पीछे कई वजहों को बताया जाता है कि लोग अपनी व्यक्तिगत पहचान के लिए या फिर किसी याद को सहजने के लिए टैटू बनवाते थे जबकि कुछ लोगों का मानना था कि टैटू की स्याही से बीमारियां ठीक हो जाती हैं। पुरातत्वविदों ने लेजर तकनीक से ममियों पर बने टैटू का शोध किया क्योंकि लेजर से इन ममियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।
ममी
इजिप्ट में ममी के बारे में विशेष जानकारी मिलती है लेकिन इसके तार अमेरिका और एशिया से भी जुडे हुए हैं। प्राचीन समय में इन जगह पर ऐसी मान्यताएं थी कि भविष्य में किसी तकनीक से मरे हुए लोगों या जानवरों को जीवित किया जा सकेगा। इसके लिए इनके शव को किसी खास केमीकल से सुरक्षित रखा जाता था लेकिन किन्हीं वजहों से जब ये शव सूख गए तो उन्हें ममी कहा जाने लगा।