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रुहेलखंड विश्वविद्यालय में जातीय भेदभाव से दुखी हिंदू कॉलेज के प्रोफेसर ने राजभवन पत्र भेजकर बयां किया दर्द

मुरादाबाद के हिंदू कॉलेज में तैनात प्रोफेसर ने एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के अधिकारियों पर जातीय भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कुलाधिपति को पत्र भेजकर अपना दर्द बयां किया है। प्रोफेसर ने मामले में उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। 

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KP Singh
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बरेली,वाईबीएनसंवाददाता

मुरादाबाद के हिंदू कॉलेज में तैनात प्रोफेसर ने एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के अधिकारियों पर जातीय भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कुलाधिपति को पत्र भेजकर अपना दर्द बयां किया है। प्रोफेसर ने मामले में उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। 

पत्र में हिंदू कॉलेज मुरादाबाद में बीएड-एमएड विभाग के प्रोफेसर सुरेंद्र सिंह ने लिखा कि वह अनुसूचित जाति के हैं। विश्वविद्यालय शिक्षक वरिष्ठता क्रम के अनुसार वर्तमान में विश्वविद्यालय शिक्षा संकाय के बोर्ड ऑफ स्टडीज एवं शोध विकास समिति के संयोजक हैं। 

उनका आरोप है कि विश्वविद्यालय के आधकारियों ने जातीय विद्वेष के कारण उन्हें उनके उत्तरदायित्वों से वंचित करने का पूर्ण प्रयास किया। 6 मार्च 2024 को नियमविरुद्ध तरीके से बोर्ड ऑफ स्टडीज का गठन किया। शिक्षा संकाय की बोर्ड ऑफ स्टडीज में अन्य विषय के शिक्षकों को भी सदस्य बनाया गया। इस पर उन्होंने विश्वविद्यालय के अधिकारियों से आपत्ति जताई तो उन पर आपत्तिजनक जातीय टिप्पणियां की गई। 

तीन सालों से सजातीय शिक्षकों से करा रहे प्रयोगिक परीक्षाएं

पत्र में उन्होंने कहा कि एक वर्ष बीतने के बाद भी बोर्ड ऑफ स्टडीज में कोई संशोधन नहीं किया गया। पिछले तीन साल से कोई बैठक नहीं होने दी। अनुसूचित जाति से होने कारण उनसे जातीय भेदभावपूर्ण व्यवहार करके विश्वविद्यालय के अधिकारी अपमानित करते हैं। उन्हें धमकी दी जाती है। तीन वर्षों से बीएड एवं एमएड की प्रायोगिक परीक्षाएं एमएड मौखिकी, पी-एचडी मौखिक आदि सभी परीक्षा कार्य अपने करीबी सजातीय शिक्षकों से नियम विरुद्ध तरीके से करा रहे हैं। 

परीक्षा की सुचिता को विवि प्रशासन कर रहा ध्वस्त

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प्रोफेसर सुरेंद्र सिंह का आरोप है कि परीक्षाओं की शुचिता को विवि प्रशासन ध्वस्त कर रहा है। विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों के साथ विवि प्रशासन पक्षपातपूर्ण और अपमानजनक व्यवहार कर रहा है। तीन साल से उनके साथ भी यही हो रहा है। उन्होंने कुलाधिपति से इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

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