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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
कृषि विभाग के एक एडीशनल डायरेक्टर 21 अप्रैल को बरेली आए थे। लखनऊ से उनका बरेली भ्रमण इस बात के लिए था कि वह केंद्र और राजय सरकार की कृषि योजनाओं के लाभार्थियों से मिलकर उनकी समीक्षा करेंगे। रबी, खरीफ और जायद के होने वाले फसल प्रदर्शन, किसानों को मुफ्त में मिलने वाले मक्का, ढैंचा, धान, गेहूं आदि के बीजों समेत कृषि यंत्रों की सब्सिडी की समीक्षा करेंगे। फील्ड में जाकर इन योजनाओं की सच्चाई की रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे। मगर, एडीशनल डायरेक्टर लखनऊ से ट्रेन से बरेली पहुंचे। बरेली जंक्शन पर उतरते ही जिला कृषि अधिकारी के बीस साल से एक ही पटल पर जमें बाबू की इनोवा वहां तैयार खड़ी मिली। उस इनोवा पर सवार होकर वह रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज पहुंचकर पहले अपनी बेटी से मिले। अपने प्राइवेट काम निपटाने के बाद एडीशनल साहब होटल में रुके। अगले दिन जेडी दफ्तर में खरबूजा खाया। फिर जेडीए को साथ लेकर बिलवा स्थित डिप्टी डायरेक्टर दफ्तर में पहुंच गए।
एडीशनल डायरेक्टर का स्वागत करने के लिए यहां डिप्टी डायरेक्टर अभिनंदन सिंह तो मौजूद नहीं मिले क्योंकि वह डीएम की मीटिंग में थे। मगर, जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी, कार्यवाहक भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह, एडी स्वायल नरेंद्र कुमार मौर्य समेत कृषि विभाग के कर्मचारियों ने एडिशनल डायरेक्टर का खैरमकदम किया। एडीशनल साहब के साथ इनोवा में विकास भवन के घाघ बाबू, (जिनका 29 जून 2025 को कृषि रक्षा विभाग में तबादला हो चुका है। लेकिन उनको दस महीने बाद भी रिलीव नहीं किया गया। ) आए थे। इन बाबू ने खरबूजा, तरबूज, गन्ने के रस का इंतजाम किया। एडीशन साहब ने खूब खाया पिया और मस्ती की।
किसान गांव में इंतजार करते रहे, साहब इनोवा में घूमकर वापस लखनऊ चले गए
एडीशनल डायरेक्टर कृषि को केंद्र और राज्य सरकार की कृषि योजनाओं का सत्यापन करने भोजीपुरा के एक गांव में जाना था। इसके लिए कृषि विभाग के अफसरों ने किसानों को भी इकट्ठा करा रखा था। कृषि विभाग के कर्मचारी एक दूसरे को फोन करके एडीशनल साहब की लोकेशन लेते रहे। मगर, साहब की खातिरदारी इतनी जोरदार हुई कि वह गांव जाकर किसानों से मिलना ही भूल गए। वह कृषि योजनाओं पर चर्चा न करके डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय में जिला कृषि अधिकारी और जेडीए के साथ गप्प हांकते रहे। उसके बाद वह लखनऊ वापस चले गए। लखनऊ से आने वाले अफसरों को लग्जरी कार में नैनीताल, चूकाबीच समेत अन्य स्थानों पर घुमाने, खाने-पीने का इंतजाम करने और होटल में रुकवाने की जिम्मेदारी कृषि विभाग के विकास वाले बाबू ने ही संभाल रखी है। सूत्रों के अनुसार लखनऊ से आने वाले अफसरों को सेवा सत्कार के साथ ही मोटा लिफाफा भी मिलता है। इसलिए, इन बाबू की बरेली से लेकर लखनऊ तक प्रशंसा होती है। यही वजह है कि 22 साल में बमुश्कल एक बार ट्रांसफर हो पाया। वह भी दस महीने से रिलीव नहीं हुए।
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