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डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय नैनीताल रोड बिलवा बरेली
वाईबीएन संवाददाता बरेली। कृषि विभाग में पिछले महीने अतिरिक्त चार्ज पाकर मोटी ऊपरी कमाई पर फोकस करने वाले एक साहब के अब नए किस्से भी सामने आने लगे हैं। साहब, विभागीय काम धाम छोड़कर अपने नए ऑफिस की महिला कर्मचारियों को अपने रूम में बुलाकर उनको पूरे दिन बिना मतलब का ज्ञान देते हैं। बीच में महिला कर्मचारियों को यह भी समझाते हैं कि वे रूम अकेले ही रहते हैं। सर्दी आ चुकी है। वह संत आदमी है। ऑफिस टाइम के बाद महिला कर्मचारी विभागीय काम समझने के लिए रात में उनके रूम पर आ जाया करें। ऑफिस की महिला कर्मचारी साहब के इस व्यवहार से असहज हैं। मगर, बॉस होने की वजह से उनसे कुछ कह नहीं पा रही है। लेकिन, किसी भी दिन कृषि विभाग के दफ्तर में अचानक कोई बड़ी घटना हो सकती है।
साहब की रंगीन मिजाजी भी चर्चा में
कृषि विभाग में घपले, घोटाले, कर्मचारियों के बीच में मारपीट, गेहूं, सरसों राई, मटर, चना और किसानों के मिनी किट की खुले बाजार में ओवर रेट पर कालाबाजारी कोई नई बात नहीं है। इन सबके बीच साहब की रंगीन मिजाजी भी चर्चा में आने लगी है। सूत्रों के मुताबिक साहब ने जबसे कृषि विभाग का अतिरिक्त चार्ज संभाला है। तबसे वह जब भी ऑफिस आते हैं तो अपने स्टॉफ के साथ दो ही बातें करते हैं। पहली ये कि प्राकृतिक खेती में फर्जी तरीके से चयनित किसानों के खाते में सब्सिडी भेजने, टेंडर और अन्य कृषि योजनाओं में उनको ऊपरी कमाई कितनी होगी। दूसरी, ऑफिस की कौन सी महिला कर्मचारी रात में उनके रूम पर आ सकती है। इस सम्बन्ध में वह तमाम महिला कर्मचारियों से बात भी कर चुके हैं।
डरी हुई हैं महिला कर्मचारी
सूत्रों का कहना है कि साहब अभी ये टेस्ट करने में लगे हैं कि वह जिस महिला कर्मी को भी ऑफिस टाइम के बाद घर पर बुलाएं तो वह आराम से उनकी सब बात मानती रहे। यहां तक कि साहब का विचार यह है कि अगर वह विभागीय कार्य के अलावा भी उस महिला कर्मचारी से कोई फरमाइश करें तो वह बिना किसी दिक्कत के उसे भी पूरा कर दे ताकि वह सर्दियों में रूम पर अकेले रहकर भी परिवार का आनंद उठा सकें। साहब, की इस मंशा को ऑफिस की महिला कर्मचारी भांप चुकी हैं। इसलिए, वह उनसे कतराने लगी हैं। सूत्रों की मानें तो एक महिला कर्मचारी ने तो यहां तक कह दिया है कि अभी तो वह बॉस होने का लिहाज कर रही है, लेकिन, पानी सिर से ऊपर निकला तो वह सेंडिल निकालकर मुंह पर मारेगी।
मेरठ में मकान बनाने का चंदा इकट्ठा करने के लिए कर्मचारियों ने रखी थी गुल्लक
खास बात यह है कि अतिरिक्त चार्ज ग्रहण करने के बाद साहब अचानक ऊपरी कमाई की वजह से चर्चा में आ गए थे। मेरठ में दस करोड़ से ज्यादा कीमत के मकान के निर्माण के लिए साहब ने अपने कर्मचारियों पर किसानों की सब्सिडी उनके बैंक खातों में भेजने के बदले सब्सिडी की आधी रकम नगद वसूलने का दबाव बनाया था। यह विवाद अभी थमा नहीं था कि कृषि विभाग का टेंडर अपने खास ठेकेदार को देने के लिए एंडी से चोटी तक का जोर लगा दिया। फिर, पुराने डिप्टी डायरेक्टर के रिजेक्टेड पौने पांच लाख रुपए के फर्जी बिल का पेमेंट कराने की कोशिश करने लगे। कुल मिलाकर अतिरिक्त चार्ज मिलने के बाद साहब की कोशिश कृषि विभाग से अधिक से अधिक ऊपरी कमाई करके ऐश करना है। उनको विभागीय काम धाम से कोई मतलब नहीं है। इसका नतीजा यह है कि किसानों की मीटिंग में साहब की प्रशासनिक स्तर पर कड़ी फटकार लग चुकी है। विकास भवन में एक तेज तर्रार महिला अधिकारी ने साहब को आधे घंटे तक खड़ा करके तगड़ी डोज दी। फिर भी साहब के ऊपर कोई असर नहीं पड़ा।
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