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विश्‍वकप विजेता DSP दीप्ति : भाई के समर्पण और मेहनत से कैसे बनीं स्टार क्रिकेटर , जानिए पूरी कहानी

आगरा की दीप्ति शर्मा ने ICC महिला वर्ल्ड कप 2025 में भारत को विजेता बनाया। उनके भाई सुमित के समर्पण और परिवार के समर्थन ने उन्हें यह मुकाम दिलाया। उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें तीन करोड़ रुपये और DSP की पोस्ट से सम्मानित किया है।

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Shishir Patel
दीप्ति शर्मा

विश्वकप विजेता डीएसपी दीप्ति शर्मा

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। भारत की बेटियों ने आईसीसी महिला वर्ल्ड कप 2025 में इतिहास रचते हुए विजेता बनने का गौरव हासिल किया। इस ऐतिहासिक जीत में उत्तर प्रदेश की बेटी, आगरा की दीप्ति शर्मा की भूमिका बेहद अहम रही। ऑलराउंडर खिलाड़ी के रूप में दीप्ति ने अपनी टीम को जीत तक पहुँचाने में निर्णायक योगदान दिया। लेकिन इस सफलता के पीछे केवल मेहनत ही नहीं, बल्कि उनके भाई सुमित शर्मा का समर्पण और परिवार का अटूट विश्वास भी था।

बचपन से ही क्रिकेट खेलने की कर दी थी शुरूआत

दीप्ति की क्रिकेट यात्रा की शुरुआत बचपन से हुई थी। आठ साल की उम्र में वह अपने छोटे भाई सुमित के साथ क्रिकेट खेलने गई करती थीं। घर में उनके पिता श्रीभगवान शर्मा रेलवे में कर्मचारी और मां सुशीला शर्मा स्कूल में अध्यापिका थीं। चार बड़े भाई होने के बावजूद सबसे छोटे सुमित ने बचपन से ही क्रिकेट में रूचि दिखाई और दीप्ति को भी इस खेल से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भाई ने किराये की जमीन पर खोली क्रिकेट अकादमी

शुरुआत में दीप्ति की प्रैक्टिस के लिए स्थानीय मैदान पर्याप्त नहीं था। छोटे से मैदान पर खेलने में कई कठिनाइयाँ आती थीं। इसे देखते हुए सुमित ने वायु विहार रोड पर किराए की जमीन लेकर स्टार नेस्ट बैजंती क्रिकेट अकादमी खोली। सुबह 5 बजे से लेकर शाम तक सुमित दीप्ति और अन्य खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देते। खिलाड़ी शिवम गौतम और सत्यम गुप्ता बताते हैं कि दीप्ति मैदान पर आने पर सभी खिलाड़ियों को बॉल फेंकने और खेल के तकनीकी पहलुओं की जानकारी देती थीं।

दीप्ति शर्मा की बचपन की तस्वीर
दीप्ति शर्मा की बचपन की तस्वीर

अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बनाने के लिए भाई ने की दिन रात मेहनत

दीप्ति की तैयारी को अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरूप बनाने के लिए सुमित ने दिन-रात मेहनत की। दो बीघा जमीन पर बने प्रारंभिक मैदान से लेकर वर्तमान अकादमी तक, उन्होंने हर संभव प्रयास किया। रात में भी ट्रेनिंग की चिंता को देखते हुए सुमित ने अपने खर्च से फ्लडलाइटें लगवाईं, ताकि दीप्ति डे-नाइट मैच की आदत डाल सके। दीप्ति के परिवार और मोहल्ले के लोग उनके समर्पण और प्रतिभा की गवाही देते हैं। भगवान सिंह शर्मा, जो दीप्ति के घर के ठीक सामने रहते हैं, बताते हैं कि दीप्ति बचपन से ही क्रिकेट में अत्यधिक रुचि रखती थीं। प्लास्टिक बैट लेकर खेलना, खाली समय में क्रिकेट देखना और खेल पर चर्चा करना उनका शौक रहा।

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परिवार व भाई का सहयोग ने दीप्ति को दी सही दिशा 

हालांकि, सफलता की राह आसान नहीं थी। शुरू में जब दीप्ति को क्रिकेट खेलने भेजा जाता, तो लोगों और रिश्तेदारों के सवालों का सामना करना पड़ता था। कुछ कहते कि चोट लगने पर शादी-ब्याह में समस्या हो सकती है। लेकिन श्रीभगवान शर्मा ने अपने बच्चों पर अटूट विश्वास रखा और उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया। उनके विश्वास ने ही सुमित और दीप्ति की मेहनत को सही दिशा दी और परिणामस्वरूप दीप्ति ने 2014 में मात्र 17 साल की उम्र में भारत की राष्ट्रीय टीम में पदार्पण किया।

अपने माता-पिता के साथ दीप्ति शर्मा
अपने माता-पिता के साथ दीप्ति शर्मा

दीप्ति की सफलता में भाई सुमित का त्याग भी सराहनीय

दीप्ति की सफलता में भाई सुमित का त्याग भी सराहनीय है। सुमित ने अपनी प्रोफेशनल नौकरी और एमबीए की पढ़ाई को दांव पर लगाकर दीप्ति के क्रिकेट करियर के लिए पूरी ऊर्जा समर्पित कर दी। उन्होंने सुनिश्चित किया कि दीप्ति को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। उनका समर्पण, ट्रेनिंग की अनवरत निगरानी, और खेल के तकनीकी पहलुओं पर फोकस ने दीप्ति को ऑलराउंडर खिलाड़ी के रूप में तैयार किया।

कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर बढ़ाया गौरव

कॉमनवेल्थ गेम्स 2023 में भारत की टीम ने सिल्वर मेडल जीतकर गौरव बढ़ाया। इस सफलता के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने दीप्ति शर्मा को तीन करोड़ रुपये के इनाम और डीएसपी की पोस्ट से सम्मानित किया। दीप्ति अपने खेल के साथ-साथ भक्ति के लिए भी जानी जाती हैं और हनुमान जी की भक्त हैं।शहर में भाई-बहन की जोड़ी की मेहनत और समर्पण की चर्चा हर जगह हो रही है। हर कोई दीप्ति के साथ फोटो खिंचवाने के लिए उत्साहित है। लेकिन दीप्ति और सुमित की कहानी केवल प्रसिद्धि की नहीं है; यह संघर्ष, त्याग और परिवार के समर्थन की कहानी है।

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दीप्ति और हरमनप्रीत
दीप्ति और हरमनप्रीत

दीप्ति की कहानी क्रिकेट प्रेमियों व युवाओं के लिए प्रेरणादायक

पिता श्रीभगवान शर्मा हमेशा बच्चों को यही सिखाते रहे कि सफलता के लिए जी-तोड़ मेहनत करो लेकिन अपने आप को सफलता के साथ घमंड न करने दो। यही मूलमंत्र दोनों बच्चों ने आज भी अपनाया। सुमित और दीप्ति की जोड़ी ने यह साबित कर दिया कि यदि परिवार और भाई-बहन का सहयोग मिले, तो सपनों की ऊंचाइयाँ भी संभव हैं।दीप्ति की कहानी न केवल क्रिकेट प्रेमियों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि हर उस युवा के लिए मिसाल है जो अपने सपनों को हासिल करने के लिए संघर्षरत है। यह कहानी बताती है कि सही मार्गदर्शन, अटूट विश्वास और निरंतर मेहनत से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। आज दीप्ति शर्मा केवल उत्तर प्रदेश और भारत की गर्वित बेटी ही नहीं, बल्कि प्रेरणा का प्रतीक बन चुकी हैं।

प्रेमानंद महाराज से मिलकर लिया था जीत का मंत्र 

प्रेमानंद महाराज व दीप्ति ।
प्रेमानंद महाराज व दीप्ति ।

दीप्ति का क्रिकेट में सफर प्रेरणादायक रहा है। पिछले साल मथुरा में संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात के दौरान उन्होंने जीवन में निराशा और हार को कैसे संभालें, इस बारे में मार्गदर्शन लिया। महाराज ने समझाया कि सफलता पाने के लिए रोज अभ्यास करना और हर परिस्थिति में सकारात्मक बने रहना जरूरी है। उन्होंने कहा कि असली विजेता वही है जो हार के बावजूद सीखता और आगे बढ़ता है।भारतीय टीम को टूर्नामेंट में शुरुआत में तीन लगातार हार का सामना करना पड़ा। यह स्थिति टीम के मनोबल पर असर डाल सकती थी, लेकिन दीप्ति ने खुद को और टीम को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हार को अपने आत्मविश्वास और जीत की ताकत में बदलना चाहिए। यही दृष्टिकोण टीम के शानदार वापसी और जीत की वजह बना।

विश्वकप जीतने के बाद दीप्ति ने परिजनों से वीडियो काल पर की बात 

विश्वकप जीत के बाद दीप्ति ने अपनी मां सुशीला देवी, बहन प्रगति और भतीजी राधा से वीडियो कॉल पर जश्न साझा किया। उन्होंने बताया कि टीम इंडिया के साथ खेलना और विश्वकप जीत में योगदान देना उनका बचपन का सपना था। इस टूर्नामेंट में उनकी मेहनत रंग लाई और वह न केवल प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बनीं, बल्कि टीम की हर सफलता में उनका योगदान स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। दीप्ति ने कहा,अब हम बस जीत की खुशी जी रहे हैं। हर मैच में किसी न किसी खिलाड़ी ने अप्रत्याशित प्रदर्शन करके टीम की जीत में योगदान दिया। उनकी कहानी दर्शाती है कि लगन, लगातार अभ्यास और सकारात्मक सोच किसी भी चुनौती को अवसर में बदल सकती है।

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डीजीपी ने विश्व विजेता डीएसपी डीप्टी शर्मा को दी बधाई 

नवी मुंबई स्थित डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से पराजित कर अपना पहला विश्वकप खिताब जीत लिया। इस ऐतिहासिक जीत की नायिका रहीं उत्तर प्रदेश की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर और पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) दीप्ति शर्मा, जिन्होंने अपने आॅलराउंड प्रदर्शन से मैच की दिशा ही बदल दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कुशल खिलाड़ी योजना के तहत स्पोर्ट्स कोटा से पुलिस सेवा में शामिल दीप्ति शर्मा ने फाइनल में 58 रन की शानदार अर्धशतकीय पारी खेली, जिससे भारतीय टीम ने 298/7 का प्रतिस्पर्धी स्कोर खड़ा किया। 

विश्वकप विजेता डीएसपी दीप्ति शर्मा 1
विश्वकप विजेता डीएसपी दीप्ति शर्मा

प्रदेश सरकार के लिए भी गर्व का क्षण

गेंदबाजी में भी उन्होंने कमाल दिखाते हुए 5 विकेट चटकाए, जिनमें दक्षिण अफ्रीकी कप्तान लौरा वोलवॉर्ड्ट जैसी अहम खिलाड़ी शामिल रहीं। उनके संयमित प्रदर्शन और सटीक गेंदबाजी से भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 246 रनों पर समेट दिया। इस शानदार प्रदर्शन के लिए दीप्ति शर्मा को प्लेयर आॅफ द टूनार्मेंट घोषित किया गया। उन्होंने पूरे टूनार्मेंट में रन और विकेट दोनों से टीम की हर जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया। दीप्ति शर्मा की यह उपलब्धि न केवल भारतीय क्रिकेट जगत बल्कि उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रदेश सरकार के लिए भी गर्व का क्षण है। पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश राजीव कृष्णा ने उन्हें इस ऐतिहासिक सफलता पर बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।

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