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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
कृषि विभाग के अफसर शासन से मिलने वाली किसी भी जांच को कितनी गंभीरता से लेते हैं। इसकी बानगी बरेली कृषि विभाग में देखी जा सकती है। एक किसान ने डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय के बाबू पर 5000 रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। शासन से इसकी जांच संयुक्त कृषि निदेशक के पास आई। जेडीए दफ्तर से किसी अधिकारी को यह जांच करनी थी। मगर, जेडीए के बाबू ने ही बाबू की जांच करके खानापूरी कर दी। अब 5000 रुपए रिश्वत मांगने वाले बाबू का जांच में निर्दोष साबित होना तय है।
मझगवां ब्लॉक के गांव नौगवां निवासी किसान चेतन्य प्रकाश ने कृषि यंत्रों पर सब्सिडी पाने के लिए आठ महीने पहले कृषि विभाग में आवेदन किया था। कृषि यंत्र किसान ने खरीद लिए थे। जब किसान को खाते में सब्सिडी भेजने का नंबर आया तो डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय से एक कर्मचारी कुलदीप ने किसान को फोन करके बाबू प्रखर सक्सेना से अकेले में आकर मिलने की बात कही। किसान जब बाबू प्रखर सक्सेना से मिलने डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय पहुंचा तो बाबू ने उनको एकांत में बुलाकर सब्सिडी खाते में भेजने के बदले में 5000 रुपए मांगे। किसान के अनुसार जब उसने 5000 रुपए मांगने की वजह पूछी तो बाबू ने उनसे कहा कि ये तो कृषि विभाग का सिस्टम है। नीचे से ऊपर तक देना पड़ता है। किसान का कहना है कि उसने बाबू के घूस मांगने की शिकायत उसी समय पड़ोस के ही ऑफिस में अपनी कुर्सी पर विराजमान डिप्टी डायरेक्टर अभिनंदन सिंह से की। मगर, डिप्टी डायरेक्टर ने बाबू पर कार्रवाई नहीं की।
किसान चेतन्य प्रकाश ने तत्कालीन जिलाधिकारी रविंद्र कुमार को शपथ पत्र देकर पूरे मामले की शिकायत की थी। डीएम ने उस पर जांच के आदेश फिर उन डिप्टी डायरेक्टर को ही दे दिए, जिन्होंने किसान की शिकायत पहले नहीं सुनी थी। उसका नतीजा यह निकला कि घूस मांगने वाले बाबू पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। उसके बाद किसान चेतन्य प्रकाश ने लखनऊ जाकर शासन में इस मामले की शिकायत की। डायरेक्टर कृषि डॉक्टर जितेंद्र तोमर ने पूरे मामले की जांच संयुक्त कृषि निदेशक बरेली मंडल राजेश कुमार को सौंप दी।
सूत्रों के अनुसार संयुक्त निदेशक कृषि बरेली मंडल राजेश कुमार ने डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय के बाबू प्रखर सक्सेना के घूस मांगने की जांच खुद न करके अपने कार्यालय के बाबू मुकेश से करा ली। अब बाबू अगर किसी बाबू के भ्रष्टाचार की जांच करेगा तो वह जांच कैसी होगी। यह सब जानते हैं। कृषि विभाग के सूत्र बताते हैं कि डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय के बाबू प्रखर सक्सेना हमेशा ऊपरी कमाई वाले पटल देखते रहे हैं। उसमें होने वाली ऊपरी कमाई में सबका हिस्सा रहता है। इसलिए, ज्यादातर अफसर बाबू को प्रत्येक जांच से बचाने में पूरी ताकत लगा देते हैं।
डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय के बाबू प्रखर सक्सेना के 5000 हजार रुपए मांगे जाने की जांच अभी चल रही है। हमारा स्टेनो अकेले जांच करने नहीं गया था। हम खुद भी उसके साथ जांच करने गए थे। अभी जांच खत्म नहीं हुई है। किसान अगर अपनी बात रखना चाहे तो वह हमारे कार्यालय में आकर शपथ पत्र पर अपनी बात कह सकता है। जांच पूरी तरह से निष्पक्ष होगी। बाबू प्रखर सक्सेना अगर दोषी पाए गए तो उन पर कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।
राजेश कुमार, संयुक्त निदेशक कृषि बरेली मंडल बरेली
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