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यूपी के 28 जिलों में वन क्षेत्र घटा, एफएसआई की रिपोर्ट ने उड़ाई अफसरों की नींद

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से आई एक रिपोर्ट ने विन विभाग के अफसरों की नींद उड़ा दी है। रिपोर्ट में पीलीभीत और लखीमपुर समेत 28 जिले में हरियाली का दायरा कम होने पर चिंता जताई गई है।

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Sanjay Shrivastav
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से आई एक रिपोर्ट ने विन विभाग के अफसरों की नींद उड़ा दी है। रिपोर्ट में पीलीभीत और लखीमपुर समेत 28 जिले में हरियाली का दायरा कम होने पर चिंता जताई गई है। अकेले पीलीभीत जिले में 2162 हेक्टेयर हरियाली का दायरा कम हुआ है। मंत्रालय की रिपोर्ट आने के बाद वन विभाग के अंधिकारियों और कर्मचारियों की बेचैनी बढ़ गई है। सभी 28 जनपदां में हुए इस लॉस की वास्तविकता जानने के लिए कवायद शुरू हो गई है। जल्द ही वन अफसर खास मोबाइल एप की मदद से संबंधित क्षेत्रों की ग्राउंड ट्रूथिंग करेंगे।

एफएसआई की रिपोर्ट ने उड़ाई वन अफसरों की नींद

पिछले दिनों पूरे देश में हरियाली को लेकर फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई। उत्तर प्रदेश के लिहाज से यह रिपोर्ट बेहतर रही। मगर इस रिपोर्ट में एक बड़ा चिंताजनक पहलू भी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 28 जिले ऐसे हैं जहां ग्रीन कवर कम हुआ है। पीलीभीत और लखीमपुर खीरी में सबसे ज्यादा ग्रीन कवर कम होने की बात कही गई है।

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पीलीभीत जिले में 2162 हेक्टेयर हरियाली का दायरा घटा

एफएसआई रिपोर्ट के मुताबिक जनपद पीलीभीत में 21.61 वर्ग किमी यानी 2162 हेक्टेयर फॉरेस्ट कवर कम हुआ है। रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदार अफसरों पर उंगलियां उठने लगी हैं। इसकी वजह यह है, क्योंकि यहां पहले से घने जंगल और टाइगर रिजर्व हैं। ऐसे हालात में सवाल उठना लाजिमी है कि यहां फारेस्ट कवर कैसे कम हुआ। फिलहाल वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से रिपोर्ट आने के बाद इसकी तह में जाने की कवायद शुरू की गई है। 

एप के माध्यम से कराई जाएगी ग्राउंड ट्रूथिंग

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शासन के निर्देश पर पीलीभीत में कम होते फारेस्ट कवर हकीकत जानने के लिए ग्राउंड ट्रूथिंग कराई जाएगी। इसमें वन अफसरों द्वारा आर्क मोबाइल एप के माध्यम से उन क्षेत्रों की पड़ताल की जाएगी, जहां रिपोर्ट में फारेस्ट कवर कम होना दर्शया गया है। वन महकमे के मुताबिक ग्राउंड ट्रूथिंग पीलीभीत टाइगर रिजर्व समेत सामाजिक वानिकी क्षेत्र में कराई जाएगी। इसको लेकर दोनों प्रभागों के वन अफसरों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

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